असफलता का कारण....
दोस्तों ,
जीवन में असफलता के कई कारण होते हैं ,उनमे से एक है डर ,नई शुरुवात करने का डर, मेहनत करने का डर ,आराम छोड़ने का डर ,हारने का डर आदि ! ये कविता मैंने 1998 में लिखी थी !
* असफलता का कारण *
मैं नहीं बन सका कुंदन क्योंकि
भट्टी में तपने से डरा हूँ !
अंकुर बन मैं नही उग पाया
धरती में गलने से डरा हूँ !!
चाहा सुमन बन गंध फैलाऊँ
चाहा औरों को सुख पहुँचाऊँ !
लेकिन सुमन बन नहीं उग पाया
शूलों में खिलने से डरा हूँ !!
चाहा बहुत मैं घट बन जाऊं
त्रषितों की मैं प्यास बुझाऊँ !
नहीं बन सका घट मैं क्योंकि
कुटने और पिटने से डरा हूँ !!
धारा के संग में बहुत बहा हूँ
अनुकूलताओं में ही मैं पला हूँ !
विपरीत धारा में नहीं बह पाया
प्रतिकूलताओं से भी में डरा हूँ !!
आये संघर्ष कई राह में
उनको मैंने पीठ दिखाई !
आई कई बाधाएं पथ में
उनसे भी है ठोकर खाई !!
फिर भी लक्ष्य को पा न सका मैं
कदम बढ़ाने से ही मैं डरा हूँ !!
हम कब तक डरते रहेंगे ,नई शुरुवात करने से ,कोशिश करने से ,मेहनत करने से ,प्रतिकूलताओं से जूझने से ,कब तक ? डरेंगे तो डरते ही रहेंगे हमेशा ,इसलिए उठें साहस के साथ ,डराएं अपने डर को अपने साहस और हिम्मत से ,झटक दें अपनी हताशा और निराशा ! और उठ खड़े हों अपनी मंजिल पाने के लिए ,आखिर डर के आगे ही तो जीत है ,है ना ?
डॉ नीरज यादव ,बारां
----------------------------------------------------------------------