may14

रविवार, 19 जनवरी 2014

article for teenagers in hindi ...





चढ़ती जवानी , न करना नादानी ...



दोस्तों,
ये post खासतौर  से मेरे युवा साथियों के लिए ,  या यूँ कहें अभी ताजा -ताजा जवान हुए या हो रहे adolescent,teenagers दोस्तों के लिए !

कल्पना कीजिये एक पिता अपने किशोर पुत्र को एक नई bike दिलाता है ! बेटा बड़ी शान और style से अपनी new bike road पर चलाता है ! जाहिर है speed से भी ! और अगर सामने से कोई मोहतरमा आ जाये तो style और speed दोनों ही बढ़ जाती हैं , स्वाभाविक ही है !

मान लीजिये ऐसे में drive करते करते road पर एक slope या ढलान आ जाती है ! आप क्या करेंगे ? उसी तेज speed से bike चलाते रहेंगे या speed control करेंगे ,brake को use करेंगे ,speed को कम करेंगे ?

जाहिर है brake की help से speed control करेंगे ,ताकि कहीं गिर न जाएँ ,लग न जाए ,है ना ?

और अगर चिकनी ,फिसलनभरी ढलान पर भी उसी  style और speed से तेज चलते रहे तो बहुत सम्भावना है कि bike slip कर जाए ,bike और biker दोनों को लग जाये !

दोस्तों, चढ़ती उम्र भी उसी नयी  bike की तरह है जिसे speed और ज्यादा speed से आप चलाना चाहते हैं ! स्वाभाविक ही है ,ये उम्र ही ऐसी है जब शरीर में male harmons का ज्वार उफान पर आने को होता है ! चंचल मन सारे बंधन तोड़ हर सीमा से परे जाना चाहता है ! अज्ञात को जानने की इच्छा अपना सिर उठाती है ! एकान्त अच्छा लगता है ! दोस्तों,हमउम्र के साथ कल्पना के जगत में विचारना भाता है ! विपरीत-लिंग आकर्षित करता है ! मन में भावनाओं ,इच्छाओं ,कल्पनाओं का ज्वालामुखी फूटने के कगार पर होता है ,दुनिया मुट्ठी में महसूस होती है ! समाज के नियम तोड़ना जवान होने का अहसास कराता है ! चढ़ती जवानी या यूँ कहें आती युवावस्था रूपी नई bike speed की सारी हदों को तोड़ देना चाहती है ! हर अनुभव से गुजर जाना चाहती है !  Internet, mobile,  Whatsapp जैसे gadgets इस यौवन की आग में घी का काम करते हैं ! और ऐसे में जवान नयी bike कब राजपथ से main road  से उतर कर  कीचड भरी पगडण्डी में ,गड्ढों  में ,उबड़-खाबड़ रस्ते पर उतर जाती है पता ही नहीं पड़ता !
और जब पता पड़ता है तब तक देर हो चुकी होती है ,bike फिसल कर गिर चुकी होती है ! कई बार repair हो पाती है ,कई बार repair भी नहीं हो पाती ,कबाड़ हो जाती है !

क्या करें कि bike भी अच्छे से चलायें और गिरें भी नहीं ! 
करना क्या है ,अपने विवेक रूपी brake पर पाँव रखिये ! जहाँ लगे कि bike गलत जा रही है ,या आगे गड्ढा है ,फिसलन है ,विवेक रूपी brake लगा लीजिये ,गिरने से ,फिसलने से बच जायेंगे !

एक बात और ,इस चढ़ती उम्र में किसी बड़े का समझाना ,बतलाना ,फूटी आँख नहीं सुहाता , पीछे बेठे पिता या बड़े भाई की नसीहत कि थोडा धीरे चलो ,ढंग से चलाओ ,सम्हाल कर चलाओ , बिलकुल अच्छी नहीं लगती ! है ना ?  क्या करें harmons का प्रभाव ही ऐसा है !

फिर भी भावनाओं ,कल्पनाओं, इच्छाओं के उफान को जो विवेक रूपी बाँध से बांधे रखता है ,वही सच्चा युवा है !
bike चलाते हुए सामने फिसलन भरा रास्ता आ जाए ,तो एक समझदार biker क्या करता है ,जाहिर है सम्हाल कर ,धीरे से ,कम speed से balance बना कर उस रस्ते को , उस फिसलन को ,जहाँ गिरने की सम्भावना ज्यादा है ,पार करता है ! फिर सही और साफ़ highway आने पर वापस speed maintain कर लेता है !

दोस्तों ये teenage का रास्ता {from thirteen through nineteen (13–19)yrs.} भी कुछ कुछ वैसा ही फिसलन भरा है ! जिसमे हमारे (जीवन की ) सड़क पर गिरने की सम्भावना ,बिगड़ने,भटकने ,बहकने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है ! और विडम्बना कि  इसी उम्र में हम नई-नई bike चलाना सीखते हैं !
नया-नया driver , नयी bike ,खुली आमंत्रित करती सड़कें ,सारा सरंजाम जुटा होता है गिरने का !
पर एक सच्चा युवा वो ही है ,जो ऐसे में भी ,इतने प्रलोभनों में भी अपने विवेक रूपी brake की सहायता से सफलता पूर्वक इस फिसलन भरे रस्ते को पार करता है ! और भविष्य की जिंदगी की race में अव्वल आने के लिए अपने स्वयं और अपनी bike को fit and maintain रखता है !

अपनी जवानी के घोड़े को विवेक के चाबुक तले रखिये ! फिर देखिये ,ये ऊर्जा,उत्साह ,सेहत से भरपूर घोडा आपको जिंदगी के अनेक राजपथों पर ,मंजिलों पर ले जाता है ! 

कहीं ऐसा न हो इस कच्ची उम्र में किया गया एक गलत काम जिंदगी भर की पीड़ा दे जाए ! थोडा सा मजा जिंदगी की सजा न हो जाए !

एक शेर मुझे याद आ रहा है ----

कुछ ऐसे भी मंजर हैं , तारीख की नज़रों में 
लम्हों ने खता की थी ,सदियों ने सजा पाई !!



आगे आप खुद समझदार हैं ,है ना ?

डॉ नीरज यादव, बारां 


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