may14

शुक्रवार, 2 मई 2014

sex advice for married couples in hindi



कैसे पाएं सम्बन्धों में तृप्ति ....

दोस्तों,
आज सलाह विवाहित साथियों के लिए ! मेरे पास कई married patients आते हैं ,जिनमे से अधिकतर इस समस्या से ग्रसित होते हैं जिसकी बात आज हम करने जा रहे हैं ! 

पति-पत्नि  एक गाडी के दो पहिये हैं और कोई भी गाडी तब ही अच्छे से चल सकती है जब उसके दोनों पहिये एक जैसे चलें ,एक साथ मंजिल पर पहुंचें ,दोनों में हवा का दवाब समान हो ,है ना ? ये बात संबंधों के परिपेक्ष्य में कही जा रही है !

देखिये गृहस्थाश्रम की ईमारत 4 तरह की नींव पर खड़ी होती है ! वे हैं --धर्म ,अर्थ, काम (sex ) और मोक्ष ! जिसमे काम यानि sex की बडी महती भूमिका  होती है !
sex में अच्छे सम्बन्ध एक अच्छी ओर खुशहाल गृहस्थी क आधार होते हैं ! एक दूसरे का दिल से ध्यान रखना ओर शारीरिक तौर पर एक दूसरे को तृप्त करना पति-पत्नी का पारस्परिक कर्तव्य होता है  !

 ये गाडी (अंतरंग संबंधों की ) डगमगाती तब है जब एक पहिया 100 की speed पर दौड़ता है दूसरा 40 की speed पर ही रह जाता है ,या बीच मे puncture हो जाता है ,उसकी हवा निकल जाती है ! आप उपमाओं को समझ गये होंगे ! और अगर ऐसा अधिकतर होने लगे तो गाडी या तो damage हो जाती है या ज्यादा समय तक अच्छे से नहीं चल पाती !

मुझे topic के subject को cover करने के साथ साथ शब्दों की मार्यादा का भी ध्यान रखना है क्योंकि मेरे सुधी पाठक युवा,बच्चे,बुजुर्ग,महिला,पुरुष सभी हैं !

अधिकतर patients क कहना होता है कि संबंधों के दौरान एक तृप्त हो पाता है ओर दूसरा प्यासा ही रह जाता है ! फिर इसका असर पूरे परिवार पर देखने को मिलता है ! लड़ाई-झगड़ा , मनमुटाव ,कटाक्ष ,हीनता आदि भाव एक अच्छी खासी गृहस्थी को बिगाड़ देते हैं !

ज्यादा detail मे नहीं जाऊँगा क्योंकि इस बारे मे आप बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे ! वैसे ये समस्या ज्यादातर शादी-शुदा जोड़ों की होती है !

क्या करें कि संबंधों में तृप्ति की अनुभूति दोनों partners को हो ,एक साथ हो ,समान रूप से हो !
वैसे तो ये काम-शास्त्र का विषय है ! महर्षि वात्स्यायन एक पूरा ग्रन्थ इस पर लिख गए हैं ! फिर भी अधिकतर married couple इस परेशानी से जूझ रहे हैं !

आंतरिक संबंध अगर नियमित रुप से ही पूर्णता पर नहीं पहुंच पाएं तो एक समय बाद अतृप्त साथी अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगता है ! उसे लगता है कि मुझे तो सिर्फ़ use किया जा रहा है ! इन्हें (?) तो सिर्फ अपनी ही संतुष्टि से मतलब है ! धीरे-धीरे ये भावना अवसाद , कुंठा , उग्रता का भी रुप ले लेती है !  और सम्बन्ध के तुरन्त बाद पीठ फेर कर सो जाना आग मे घी का काम करता है , है ना ?

चलिए भूमिका तो बहुत बन गई ,पर अब  क्या करें कि ऐसी परिस्थिति क सामना न करना पड़े ! दोनों पहिये एक साथ अपनी मन्जिल (चरमावस्था ) पर पहुंचें !

ये बताने के पहले मैं  आपको एक दृश्य दिखलाता हूँ !
olympic की 400 मीटर की race में दो धावक (runner) दौड़ रहे हैं ! बंदूक की गोली की आवाज के साथ दोनो ने एक साथ दौड़ शुरु की ! थोड़ी दूरी तक दोनो बराबरी से दौड़ें ! उसके बाद एक runner अपनी speed बढ़ा कर आगे निकल गया ओर दूसरा थोङा थक कर धीरे दौड़ने लगा ! दौड़ समाप्ति पर एक धावक finish line  को पार कर गया जबकि दूसरा थक कर बीच track पर ही गिर गया , दौड़ भी पूरी नहीं कर पाया ! दोस्तों sex संबंधों की भी कुछ कुछ ऐसी ही कहानी है ,है ना ?

अब क्या करें कि दोनो धावक एक साथ finish line को पार करें ,या कहें एक साथ तृप्ति की ,आनन्द की अनुभूति करें !
करना क्या है बस थोड़ी सी जुगत लगानी होगी ! एक-दो उदाहरण से मैं अपनी बात कहने क प्रयत्न करुँगा उपमाओं मे ,उम्मीद है आप बात के मर्म को समझ लेंगे !

मान लीजिये दो कुएँ हैं अगल-बगल ! एक में पानी आराम से बाहर आ जाता है जबकि दूसरे कुएँ मे पानी कम है ,बड़ी मुश्किल से कभी-कभी थोड़ा पानी बाहर आता है ! ऐसे में क्या करें ! करना क्या है ,दूसरे कुएँ मे एक पानी की मोटर लगा लीजिये ,बटन दबाया पानी का अथाह सैलाब हाजिर ,ठीक है ना ,युक्ति तो लगानी पड़ेगी !

 तो हम बात कर रहे थे धावकों क़ी ,क्या करें कि दोनो runner एक साथ  finish line पर पहुंचें ,वही थोड़ी जुगत लगानी होगी !
करना ये होगा कि दौड़ शुरु होने के समय थकने वाला runner अपनें पैरो मे roller skating लगा ले या साइकिल पर अपने साथी धावक के साथ बराबरी से दौड़े ! और जैसे ही finish line के पास पहुंचें अपने skating या साइकिल को एक तरफ हटा कर अपने 'पैरों ' से दौड़ना शुरु करे ओर साथी के साथ मे साथ साथ finish line को पार करे ! साथी भी खुश ओर दूसरा runner साथी भी !

उम्मीद है आप मेरे कहने का आशय समझ गये होंगे ! ज्यादा detail मे बताऊँगा तो शिष्टता का उललंघन हो जाएगा !
तो जुगत लगाइये ओर अपने संबंधों की दौड़ को सफ़ल ओर सुहानी बनाईये !
आगे आप खुद समझदार हैं !

मेरा ये छोटा सा प्रयास है शालीनता के दायरे मे रह कर अपनी बात आप तक पहुंचाने का ! आपके comments ही ये बता पायेंगे की मै अपनें इस प्रयास मे कितना सफल हुआ या नहीं ?
आपके valuable comments क इंतज़ार रहेगा !

डॉ नीरज यादव ,बारां 

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