may14

मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

Cause of Failure in hindi



असफलता का कारण.... 


दोस्तों ,
जीवन में असफलता के कई कारण होते हैं ,उनमे से  एक है डर ,नई शुरुवात करने का डर, मेहनत करने का डर ,आराम छोड़ने का डर ,हारने का डर आदि ! ये कविता मैंने 1998 में लिखी थी !

* असफलता का कारण *
मैं नहीं बन सका कुंदन क्योंकि 
भट्टी में तपने से डरा हूँ !
अंकुर बन मैं नही उग पाया 
धरती में गलने से डरा हूँ !!
चाहा सुमन बन गंध फैलाऊँ 
चाहा औरों को सुख पहुँचाऊँ !
लेकिन सुमन बन नहीं उग पाया 
शूलों में खिलने से डरा हूँ !!
चाहा बहुत मैं घट बन जाऊं 
त्रषितों की मैं प्यास बुझाऊँ !
नहीं बन सका घट मैं क्योंकि 
कुटने और पिटने से डरा हूँ !!
धारा के संग में बहुत बहा हूँ 
अनुकूलताओं में ही मैं पला हूँ !
विपरीत धारा में नहीं बह पाया 
प्रतिकूलताओं से भी में डरा हूँ !!
आये संघर्ष कई राह में 
उनको मैंने पीठ दिखाई !
आई कई बाधाएं पथ में 
उनसे भी है ठोकर खाई !!
फिर भी लक्ष्य को पा न सका मैं 
कदम बढ़ाने से ही मैं डरा हूँ !!

हम कब तक डरते रहेंगे ,नई शुरुवात करने से ,कोशिश करने से ,मेहनत करने से ,प्रतिकूलताओं से जूझने से ,कब तक ? डरेंगे तो डरते ही रहेंगे हमेशा ,इसलिए उठें साहस के साथ ,डराएं अपने डर को अपने साहस और हिम्मत से ,झटक दें अपनी हताशा और निराशा ! और उठ खड़े हों अपनी मंजिल पाने के लिए ,आखिर डर के आगे ही तो जीत है ,है ना ?

डॉ नीरज यादव ,बारां 

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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

Every single vote is important...




हर एक वोट जरुरी होता है... 

एक बार एक राजा ने अपने शहर के बीचों बीच एक बहुत बड़ा तालाब खुदवाया ! जब तालाब बन कर तैयार हो गया तब उसने शहर में मुनादी करवाई कि गर्मियां आने वाली हैं और इससे बचने के लिए हर शहरवासी को अपने घर से एक लोटा पानी लाकर  इसमें डालना है ! सबके सहयोग से इसे पूरा भरना है ,पानी का storage करना है ,ये हर शहर वासी की नैतिक जिम्मेदारी है ! और चूँकि आप सब दिन में अपने खेतों और दूसरे जीविका कमाने के काम ने लगे रहते हो इसलिए ये एक लोटा पानी आप रात को भी डाल सकते हो ,इसके लिए राजा ने एक तारीख मुक़र्रर कर दी ,जिस दिन रात को सभी शहरवासियों को अपने हिस्से का एक लोटा पानी उस तालाब में डालना था ! 
वो रात भी आई ,और जैसा की होता है ,लगभग हर शहरवासी ने सोचा कि जब सारा शहर ही उसमे पानी डालने जा रहा है तो मेरे एक लोटा पानी नहीं डालने से क्या फर्क पड़ेगा ,कौन अपनी नींद खराब करे ,तान कर सोते हैं !  
अगले दिन सुबह जब राजा ये देखने आया कि तालाब कितना भरा है ,उसे बड़ा आश्चर्य और दुःख हुआ ,तालाब बिलकुल सूखा था ! उसमे एक भी लोटा पानी नहीं डाला गया था ! जाहिर है उस पूरी भीषण गर्मी में उस शहर के लोगों को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ा और वो राजा से अपनी इस परेशानी को दूर करने का कहने की हिम्मत भी नहीं कर पाये ,किस मुँह से कहते ,उन्होंने अपना फर्ज जो नहीं निभाया था !

दोस्तों ,
मेरे कहने का आशय आप समझ ही गए होंगे ,है ना ? हमारे देश में चुनाव होने वाले हैं ,हम अपनी नई सरकार चुनने वाले है !  हम सभी देश में व्याप्त महंगाई,भ्रष्टाचार,घूसखोरी ,महिला सुरक्षा  जैसे अनगिनत मुद्दों से पीड़ित हैं ! 

हम सभी एक अच्छी और ईमानदार ,जिम्मेदार ,जनहितेषी सरकार चाहते हैं ,स्वच्छ छवि वाले इंसान को चुनना चाहते हैं ! अपने  देश को संवारना चाहते हैं ! लेकिन विडम्बना है कि कोई भी राजनेतिक दल दूध का धुला नहीं है ,कोई भी दल भ्रष्टाचार और महंगाई को खत्म नहीं करने वाला ,किसी को भी चुने , आम आदमी का कुछ ख़ास भला नहीं होने वाला ,ये जानते हुए भी हम नादान भारतीय किसी चमत्कार की आस में यह सोच कर फिर किसी को चुन लेते हैं की शायद अब कुछ बदलाव हो जाए ,कुछ राम राज्य सा वातावरण हो जाए ,जबकि हम अंदर से जानते हैं कि होना जाना कुछ नहीं है ! अबकी बार भी हम इसी उम्मीद में वोट देंगे की इस बार हम आम भारतीयों की सारी समस्याओं ,परेशानियों का अंत हो जाएगा ,हर आदमी सुखी हो जाएगा ,हर गरीब को खाना नसीब होगा ,हर लड़की महफूज रहेगी ,गैस,आलू,प्याज पेट्रोल सस्ता हो जाएगा , भ्रष्टाचार और महंगाई जड़ से ख़तम हो जाएंगे ! वो सुबह कभी तो आएगी ………………।  
 देश की ऐसी परिस्थिति में हममे से कई लोग सोचते हैं ,कि क्या वोट देना ,क्यों देना ,जबकि कुछ होने वाला नहीं है ! सारे उम्मीदवारों में एक भी हमारी पसंद का नहीं है ! सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं !

दोस्तों हम अपना वोट दें या नहीं कोई ना कोई तो चुना ही जाएगा ,और जो चुना जाएगा वो आप भी जानते हैं कैसा होगा ,क्योंकि आप और हम जैसे समझदार और जिम्मेदार लोग तो वोट करने निकलेंगे नहीं ,और जो वोट करेंगे वो पार्टी विशेष या उस व्यक्ति  विशेष के विशेष लोग होंगे ! ये सोच कर कि एक तरफ कुआँ है और दूसरी तरफ खाई है ,हमारी पसंद का साफ़ छवि वाला कई है ही नहीं तो क्या वोट करना !

दोस्तों ये ही हमारी सबसे बड़ी गलती है ! ये ठीक है कि हम सफ़ेद नहीं ले सकते पर कम सफ़ेद और काले में से कम सफ़ेद को तो चुन ही सकते हैं ! और हर उम्मीदवार  भी खराब नहीं है ! देश में अभी भी कुछ चंद नेता और सांसद हैं जिनका व्यक्तित्व और काम काबिले तारीफ़ है ,हम उन्हें चुन सकते हैं !

कुछ हैं जो हैं तो बहुत अच्छे ,सेवा भावी पर वो अपने प्रचार में अनाप-शनाप धन खर्च  नहीं कर सकते ,हम उन्हें चुन सकते हैं !

चुनाव अप्रैल में शुरू हो रहे है ! अप्रैल जाना जाता है अप्रैल फूल बनाने के लिए ! और हम भारतीय कई बार अप्रैल फूल बने हैं ,लेकिन इस बार नहीं ! 

इस चुनाव में हम जो बीज बोएंगे उसकी फसल हमें पूरे पांच साल काटनी पड़ेगी ! अब ये हमारे ऊपर हैं कि गन्ने को बोएं या धतूरे को !

एक मजबूत गगनचुम्बी ईमारत तभी बनती है जब उसकी एक एक ईंट मजबूती से लगी हो ,और एक मजबूत देश भी तभी बनता है जब उसका हर समझदार और जिम्मेदार नागरिक समझदारी से वोट करता है ! 

एक निवेदन ,इस बार अप्रैल फूल नहीं "पॉवर फूल"(powerful) बनिए ,अपने वोट की ताकत पहचानिये ,सही को चुनिए ! वोट जरूर दीजिये ! 

*मैं भी दूंगा ,तुम भी दो ,अपने मत से बदलें देश को *

अच्छीबातें भी तभी अच्छी लगेंगी जब देश में अच्छी चुनी हुई सरकार होगी ,है ना ?

डॉ नीरज यादव,बारां 


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