may14

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

story Trust and faith in hindi



श्रद्धा और विश्वास.... 

रात के 2 बजे थाने की  घंटी बजी !
हलो ! कौन ?
यहाँ जन्नत मार्ग निष्ठा पथ पर इंसानियत के खंडहर के पीछे एक लड़का और एक लड़की लहुलुहान हालत में पड़े हैं ,जल्दी आइये ! बताने वाले ने अपना नाम नहीं बताया ! 
मौका मुआयना करने पर पुलिस वालों ने देखा ,एक जवान लड़की ,अधमरी अवस्था में ,लगभग निर्वस्त्र ,लहुलुहान सी ,बेदम पड़ी है ! शायद उसका बलात्कार हुआ है ! वहीँ पास में एक युवा सुदर्शन सा लड़का बेहोश पड़ा है ,जिसकी पीठ और सीने पर खंजर के कई वार हैं ! देखा ,दोनों कि नब्ज रुक-रुक कर चल रही है !
तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया 
डॉ मानव के अथक प्रयास से उन दोनों कि जान बच सकी और वे बयान देने की हालत में आये !
लेडी इंस्पेक्टर करुणा ने पूछा ,कैसी हो ? क्या अपनी आपबीती बता सकती हो ?

जरुर इंस्पेक्टर ,  मैडम  मेरा नाम श्रद्धा है और ये मेरा भाई विश्वास है ! कहाँ से शुरू करूँ ,एक समय था जब हर घर में मेरी पहुँच थी ,मैं लोगों के दिलों में ,उनकी आत्मा में रहा करती थी ! मेरा भाई भी मेरे साथ ही लोगों के मन में रहा करता था ! 
लेकिन समय का फेर देखिये ,जिन्होंने हमें पैदा किया ,जिनकी गोद में हम पले-बढे ! कुछ सफेदपोश , ढोंगी ,दुराचारीयों  ने उनके जैसा वेश बना कर मेरा शील-हरण किया ! मैं बहुत रोई ,गिड़गिड़ाई ,पर वो निष्टुर ,पापी बिलकुल नहीं पसीजे ! समाज के सामने अपना आदर्श रूप दिखाते रहे ,और रोज उसकी आड़ में मेरा बलात्कार करते रहे ! उनके देखा-देखी और दूसरे कामी लोलुप लोगों ने भी धर्म,मजहब की आड़ में अपने वीभत्स क्रिया-कलाप शुरू कर दिए ! 

मेरे भाई विश्वास का सहारा लेकर भी उन जालिमों ने मुझे नोच डाला ! मेरे भाई के साथ भी यही हुआ ! इन दुष्टों ने सामने से मुस्कुरा कर ,गले लगा कर उसकी पीठ में धीरे से खंजर भोंक दिया ! और ये सब इतना दबे छुपे हुआ कि भोली-भाली ,मासूम जनता को इन तथाकथित धर्म,मजहब के ठेकेदारों के कुकर्मों का पता नहीं लग पाया ! 

ऐसे लोगों की वजह से ही अच्छी और सच्ची जगहों पर से भी हमारा वजूद ख़तम होता जा रहा है ! एक अच्छे इंसान , फ़रिश्ते को भी लोग शक़ और नफरत की नजर से देखने लगे हैं !

अब जबकी इन सफेदपोशों के दामन के दाग बाहर दिखने लगे ,तो बजाय शर्मिंदा होने के ,इन हवस के भेड़ियों ने मेरा सामुहिक शील हरण कर लिया ! मेरे अस्तित्व को तार तार कर दिया ! मेरा अंतर्नाद सुन जब भाई मुझे बचाने आया तो इन दरिंदों ने उसकी पीठ और सीने को खंजरों से भेद दिया !
शुक्रिया डॉ मानव ,कि हमारा वजूद अभी बच गया ,लेकिन कब तक ? हम सही होकर बाहर निकलेंगे और ये घात लगाए भेड़िये फिर हमें लूट लेंगे ,हमें मार डालेंगे ! इसका कोई समाधान नहीं है क्या ?
क्यों नहीं है ,जरुर है ! डॉ विवेक ने कहा 
तुम्हारा शील बचा रह सकता है अगर ये भोली जनता थोडा सा मेरा भी उपचार ले ले ! डॉ विवेक ने हँस कर कहा 
वो क्या डॉक्टर ?
देखो ! भगवान् ,परमात्मा ने हर इंसान को आँख,कान और दिमाग दिया है ,जो सही गलत ,अच्छे बुरे का अंतर कर सकता है ! तो क्यों नहीं ऐसी जगहों पर इंसान अपने विवेक का इस्तेमाल करता ! क्यों वो अंधश्रद्धा और अन्धविश्वास के  मकड़जाल में उलझ जाता है ! पडोसी के जलते  घर को देख कर भी आँखें मूंदे बैठे रहेंगे तो अगला जलता घर हमारा ही होगा !
और अगर कोई मेमना आँख बंद कर अपने आप को भूखे भेड़िये के सामने ले जाएगा ,तो वो तो उसको खाएगा ही !
ये तथाकथित धर्म मजहब के ठेकेदार इन मासूमों की इस कमजोरी का ही फायदा उठा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं ! जरुरी नहीं हर चमकती चीज सोना ही हो ! काश कि ये बात इंसान समझ पाये !
चलो , जल्दी से ठीक हो जाओ दोनों ,क्योंकि तुम्ही से तो इस दुनिया का वजूद है !

डॉ नीरज यादव ,बारां 

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