may14

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

अपनी इज्जत अपने हाथ ….








                      अपनी इज्जत अपने हाथ ….


दोस्तों,

ऐसे scene आपने अपने आस-पास अधिकतर देखे होंगे ! आप किसी शहर में ऑटो से एक से दूसरी जगह जाते हैं !  गंतव्य पर पहुँच कर आप ऑटो वाले को पैसे देते हैं ! आप देते हैं 30 रूपए ,वो मांगता है 40  ,आप अड़ जाते हैं ,वो भी अड़ जाता है , बहस हो जाती है ,भीड़ लग जाती है ,फिर ऑटोवाला अपनी बदतमीजी पर आ जाता है ,आप उसकी तरह बदतमीज नहीं हो सकते ,फिर आप खिसियाकर उसे 10 रूपए दे ही देते हैं !

दूसरा scene , एक संभ्रांत और अमीर सी दिखने वाली lady सब्जीवाली से सब्जी खरीद रही है ! बहुत मोलभाव कर वो महिला सब्जी खरीदती है ! बिल होता है 55 रूपए ,वो 50 रूपए देती  है ! सब्जीवाली अड़ जाती है --5 रूपए और दो मेमसाब !
50 ही दूंगी ,लेने हैं तो ले ,महिला कहती है !
सब्जीवाली कहती है -- रहने दो ,वापस रख दो सब्जी ,कुत्ते को 100 रूपए के बिस्कुट खिला सकती हो पर गरीब के 5 रूपए नहीं दे सकती ……….
वो lady 10 और ग्राहकों के बीच अपने को अपमानित सा महसूस करते हुए वहां से चली जाती है !

दोस्तों, कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब हम किसी छोटी सोच के अक्खड़ इंसान से उलझ जाते हैं ,बहस करने लगते हैं ! अड़ जाते हैं ! इससे उसका तो कुछ नहीं बिगड़ता ,लेकिन आपकी गरिमा और इज्जत खतरे में आ जाती है !

ऐसा अधिकतर होता है की हम ऑटोवाले,ठेले वाले , maid , सब्जीवाले ,Mechanic , conductor ,आदि लोगों से बहुत छोटी सी बात या थोड़े से पैसे को लेकर उलझ जाते हैं ! और इसका खामियाजा हमें कई लोगों के बीच अपनी हंसी करवा कर चुकाना पड़ता है !

तो क्यों न हम क्षणिक आवेग की जगह विवेक से काम लें ! अपने पद और गरिमा का ध्यान रखें ! आखिर अपनी इज्जत तो अपने ही हाथ होती है ,है ना ?

एक बार एक जंगल की चोपाल पर कई जानवर बैठे थे ! वो देश (जंगल ) की राजनीति और गिरती मुद्रा पर चर्चा कर रहे थे ! हाथी ने कहा --भाइयों ,मुझे समझ नहीं आ रहा कि हमारी मुद्रा ज्यादा तेजी से गिर रही है या हमारी नेतिकता ?
तभी वहां से घूमते हुए जंगल का राजा बब्बर शेर निकला ! सभी जानवर उसके सम्मान में खड़े हो गए ,और एक तरफ होकर उसे आगे जाने का रास्ता देने लगे ! तभी अचानक एक टल्ली गधा शेर के सामने आकर खड़ा हो गया ! बोला --शेर महाराज ,बहुत हो गई तुम्हारी तानाशाही ,बहुत कर ली दादागिरी ! आज में सब जानवरों के सामने तुम्हें चुनोती देता हूँ ,आओ मुझसे युद्ध करो , देखें कौन  जीतता है ! गधा अपनी पिनक में और भी न जाने क्या क्या शेर को कहता रहा !
सारा जंगल दम साधे ये सब तमाशा देख रहा था ! सबने सोचा ,अब इस गधे की खेर नहीं ,ये तो गया ! देखें अब शेर इसका क्या हश्र करता है ! सब सांस रोक ,आगे होने वाले घटना क्रम को देखने लगे ! 

गधा अभी भी चिल्ला रहा था ! शेर ने उस पर एक नजर डाली ,और गधे को मारना तो दूर ,बिना उसको कुछ कहे ,सुने वो वहां से आगे चला गया ! और अपनी माँद में जाकर बैठ गया !

सब जानवरों में कानाफूसी शुरू हो गई ! एक लोमड़ी को ये बात हजम नहीं हुई ! वो भागी-भागी माँद में शेर के पास गई ,बोली --गुस्ताखी माफ़ महाराज ! लेकिन ये बात समझ नहीं आई की आपने उस गधे के प्राण लेना तो दूर ,उसे कुछ कहा भी नहीं ,डांटा भी नहीं ,चुपचाप उसकी बकवास सुन कर चले आये ,सब क्या सोचेंगे ?

तब शेर ने गंभीरता से कहा ,सुन लोमड़ी मैंने ये बाल धूप में भूरे नहीं किये हैं ! ये सच है की मैं एक ही पंजे में उस गधे का काम तमाम कर देता ! अगर मैं उसकी बकवास सुन कर उससे बहस करने लगता ,तो उस टल्ली गधे का तो कुछ नहीं जाता ,लेकिन मेरी गरिमा कम हो जाती ! सब जानवर कहते ,देखो  कैसा राजा है जो एक गधे के मुँह  लग रहा है !

और अगर मैं गुस्से में आकर उसको मार डालता ,जो की मेरे बाएं पन्जे  का काम था , तो भी सब जानवर बोलते --देखो कैसा जालिम राजा है ,एक बिचारे गरीब गधे की जान ले ली !

और अन्दर की बात , गधा तो गधा ही ठहरा ,अगर मैं उससे लड़ता और गलती से उसकी लात या दुल्लती मेरे मुँह पर पड़ जाती तो मेरी तो आने वाली 10 पीढियाँ बर्बाद हो जातीं ! वो राजा बनना  तो दूर ,किसी को अपना मुंह दिखाने  के काबिल भी नहीं रहतीं !  सब कहते --अरे देखो   ये तो उसी शेर के वंशज हैं , जिसे एक गधे ने मुंह पर लात मारी थी !

तो समझदारी और गरिमा इसी में ही थी की बजाय इस बकवास के लिए उस गधे के मुंह लगने के ,मैं उसे ignore करूँ ! 

लोमड़ी ने कहा --सच है महाराज ! आप बल से ही नहीं ,विवेक से भी बलवान हैं ! आखिर अपनी इज्जत तो अपने ही हाथ होती है ! 


डॉ नीरज यादव 


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