may14

शनिवार, 20 अप्रैल 2013

How to make the right decisions in life in hindi






कौआ बनें ,गिलहरी नहीं ........

दोस्तों ,
एक सवाल आपसे ,क्या आप  जानते हैं ,सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा जान किस जानवर की जाती है ?....................
सही सोचा आपने ,गिलहरी की !

आपने देखा होगा की drive करते समय अचानक गिलहरी भाग कर सड़क के बीच में आ जाती है ,आप अपनी speed पर होते हैं ,आपको लगता है कि वो सड़क के दूसरी तरफ निकल जाएगी ! अचानक बीच सड़क पर वो गिलहरी रुक जाती है confusion में थोडा इधर -उधर देखती है और वापस पीछे की तरफ दौड़ लगा देती है ,और परिणाम ........गाडी का tyre उसके ऊपर से निकल जाता है ...............बेचारी गिलहरी !

वहीं  आपने यह भी देखा होगा की कौआ या कौओं का झुण्ड बीच सड़क पर कुछ खा रहा होता है ,किसी भी गाडी के आने के पहले वो या वो सब तुरंत वहां से उड़ जाते हैं !
मैंने आज तक किसी भी कौए को सड़क दुर्घटना में मरते हुए नहीं सुना है ,या देखा है ,शायद आपने भी नहीं ,है ना ?

गिलहरी  अनिर्णय (Indecision) , उहापोह (Uncertainty) , a Wrong decision maker की परिचायक है ! वो सही समय पर सही और तेजी से कोई निर्णय नहीं ले पाती है , इसीलिए अधिकतर अपनी जान से हाथ धो बैठती है !
वहीँ कौआ  तुरंत ,सटीक (Accurate) और सही समय पर सही निर्णय लेता है  और सफल रहता है ......साथ ही जिन्दा भी !

दोस्तों  हम सब अधिकतर जिंदगी में गिलहरी की तरह confuse ही रहते हैं ,कोई सही और सटीक निर्णय ले ही नहीं पाते ,है ना ?
जिंदगी में क्या बनना है से लेकर आज कोनसी शर्ट पहननी है ? हम यह ही decide नहीं कर पाते ! और इसी confusion और दुविधा में जिंदगी जाया हो जाती है !
इस अनिर्णय की स्थिति में भले ही गिलहरी की तरह हमारी जान नहीं जाती  लेकिन जान जितना ही कीमती समय चला जाता है ,सदा के लिए !

तो क्यों नहीं हम कौआ बनें ......निर्णय लेने में ! जो भी करना है पहले थोडा सोचें और फिर तुरंत करते ही होएं !

एक राज की बात दोस्तों ,हम अधिकतर निर्णय इसीलिए नहीं ले पाते ,हमें लगता है की कहीं ये निर्णय गलत न हो जाए ,फिर पता नहीं लोग क्या कहेंगे ! इसीलिए हम अधिकतर निर्णय की घडी को टालते रहते हैं ,कोई निर्णय लेने से बचते रहते हैं ! सही है ना ?

लेकिन दोस्तों आप चाहें ना चाहें ,निर्णय तो लेने ही पड़ते हैं ! और जब तक आप कोई निर्णय नहीं लेंगे ,तब तक आपको कैसे पता लगेगा की यह निर्णय सही है या गलत ??
कहीं सड़क पर हमसे कोई accident नहीं हो जाए इस डर से हम अपनी गाडी को garage से बाहर ही नहीं निकालते हैं और वो बेचारी वहीं  garage में खड़ी - खड़ी खराब हो जाती है , नाकारा हो जाती है !

दोस्तों निर्णय नहीं लेने में 100 % सम्भावना है कि आप जो चाह रहे हैं वो आपको हासिल ही नहीं होगा ,कभी नहीं ! लेकिन ....कोई भी निर्णय लेने में 50 % जी हाँ  50 %  आधी सम्भावना जरुर है की आप जो चाह रहे हैं वो आपको हासिल हो ही जाएगा !

आप दोराहों में से कोई एक चुन कर चलना तो शुरू कीजिये ! अगर सही राह पर हैं तो आप अपनी मंजिल को पा ही लेंगे ! लेकिन अगर गलत राह चुन ली है तो कोई बात नहीं .....वापस लौट आइये ,दूसरी तरफ चलने के लिए ! क्या बिगड़ता है ,थोडा सा समय ही तो ज्यादा जाया (waste ) होता है ! लेकिन ये उस समय की मात्रा से कहीं कम है जो आप निर्णय न लेकर दोराहे पर ही खड़े रहते हैं  ये सोचते हुए ,कहाँ जाऊं ,कहाँ न जाऊं  , है ना ?

मैंने कहीं पढ़ा था "कभी निर्णय न लेने से कहीं अच्छा है गलत निर्णय लेना " ! इसमें आपको एक तसल्ली तो रहती है कि मैंने निर्णय तो लिया ,चाहे गलत ही सही ,यह आदत (निर्णय लेने की ) आपके आत्म विश्वास को बढाती भी है ! अन्यथा जीवन भर पछतावा ही रह जाता है कि  काश ! मैंने जीवन में कोई निर्णय लिया होता ! और ये पछतावा उस गलत निर्णय के पछतावे से कहीं ज्यादा गहरा और जीवन के लिए घातक होता है !

और दूसरी बात , आज जो इंसान गलत निर्णय ले रहा है  वो उस निर्णय से सबक और अनुभव लेकर कल को सही निर्णय भी तो ले सकता है ,और लेता भी है !  बस  जरुरत है निर्णय लेने की !

तो आगा-पीछा सोचिये ,शांति से सारे पहलुओं पर नजर डालिए और ऊपर वाले को साक्षी मान  निर्णय ले डालिए ! उम्मीद है फिर ,की ऊपर वाले की साक्षी में लिए गए निर्णय सही ही होंगे ! है ना ?

डॉ नीरज 


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