may14

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

dil na ummed to nahin.......





दिल ना उम्मीद  तो नहीं ..........




दोस्तों,


दिल ना उम्मीद  तो नहीं ,नाकाम ही तो है !

लम्बी है गम की शाम ,मगर शाम ही तो है !!


शुक्रिया दोस्तों ,
इस अहसास के लिए की  अभी तो शुरुआत ही है ! मंजिल अभी बहुत दूर है ! 
 मुझे लगा था की शायद आपके और मेरे बीच एक रिश्ता बना है ,जो मुझे achhibatein लिखने के लिए प्रेरित करता है ! पिछली पोस्ट पर आपसे संवाद के सहयोग की अपेक्षा की थी लेकिन यहाँ मुझे थोड़ी मायूसी हुई  ! मुझे लगा था की आपकी तरफ से शायद उस पहेली के ऐसे जवाब मुझे मिलेंगे जो शायद उस कहानीकार को भी पता ना हों ! 

शायद अभी मेरा प्यार एक तरफ़ा ही है ! लेकिन बहुत जल्दी ही ये दो तरफ़ा होने वाला है ..............आपकी तरफ से भी ,है ना ?

तो दोस्तों उस पहेली  के किस्से को यहीं ख़तम करते हैं और उसकी 3  अनमोल शिक्षा को भी !  क्योंकि मुझे लगता है की शायद आप उन्हें जानना नहीं चाहते हैं ! इसलिए वो बात फिर कभी !

अपने दो तरफ़ा प्यार के लिए मेरा अगला कदम ...........अगली post ...
शुक्रिया 
डॉ नीरज