may14

रविवार, 29 सितंबर 2013

Days of the month in hindi





                            महीने के दिन ....


दोस्तों , 

ये तो हम सभी जानते हैं ,की साल में 12 महीने होते हैं ,लेकिन कितने महीने 30 दिन के और कितने 31 दिन के होते हैं ,यह हम आराम से नहीं बता सकते ,है ना ?

आज net पर हर ज्ञान उपलब्ध है ,लेकिन पहले के हमारे बड़े-बुजुर्गों ने भी अपने अनुभव और ज्ञान से कुछ सूत्र ईजाद  किये थे ,जिनकी सहायता से हम बड़ी से  बड़ी चीज भी आसानी से याद कर लेते थे !

बचपन में मुझे भी बड़ा confusion होता था कि कोनसा महिना 31 का है और कोनसा 30 दिन का !
मेरे दादाजी ने मुझे 2 तरीके बताये थे ,इसे याद रखने के ---

उन्होंने एक दोहा बताया था ,वो था --

अप्रैल,सितम्बर जानिये ,जून,नवम्बर तीस (30 )
28 की फरवरी , बाकी सब इकत्तीस (31 )


है ना आसान तरीका ,चलिए दूसरा भी देखते हैं ----


अपने हाथ की मुट्ठी बांधने पर गड्डे और उभार दीखते हैं ,तो जो उभरी जगहें हैं वो 31 के महीने हैं और जो pits हैं वो 30 के महीने हैं --


दोस्तों ,हम net और books से बहुत कुछ knowledge ले सकते हैं ,लेकिन  हमारे बड़े-बुजुर्गों  के पास बहुत कुछ अनुभव और ज्ञान की सम्पदा है ,जो वो हमें बड़ी सहजता और आराम से सिखा सकते हैं ! एक चीनी कहावत है --एक बुजुर्ग एक library के बराबर होता है ,तो क्यों न हम अपने दादा-दादी ,नाना-नानी आदि बड़ों के ज्ञान का लाभ उठायें !

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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

the rule of 72





                                     72 का नियम 



दोस्तों ,

 ये नियम हमें वार्षिक ब्याज दर या रूपए के दुगना होने की दर को आसानी से बताता है ! जीवन में रूपए की कीमत होती है ! हम अपने पैसे को बढाने के लिए या तो invest करते हैं या बैंक में saving करते हैं,FD ,RD ,PPF  ,NSC आदि लेते हैं  ! इनमे हमारा पैसा कितने समय में दुगना होगा , इस नियम के सहयोग से हम इसे आसानी से जान सकते हैं ! 


                                                      72 
                                                 ---------------   =   साल ( जितने में पैसे दुगने होंगे )
                                                   ब्याज दर 



for ex. --

अगर interest rate 10 % है तो इस नियम से ----


                      72 
                  ----------   =लगभग 7. 2 साल  में पैसा दुगना हो जाएगा 
                     10 



अगर interest rate 8% है तो इस नियम से ----

                       72 
                    ---------  =  लगभग 9 वर्ष में 
                       8 


इसी तरह इस नियम की सहायता से हम अपने रूपए के दुगने होने की दर जान सकते हैं !

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रविवार, 22 सितंबर 2013

motivational story in hindi




                    प्रार्थना ही नहीं पुरुषार्थ भी 


एक बार एक  हनुमान भक्त किसान की बैलगाड़ी  कीचड के गड्डे में फंस गई ! वो गाडी से उतरा और एक किनारे बैठ  हनुमान चालीसा पढने लगा ! एक पंडित जी वहां से गुजरे ,पूछा क्या कर रहे हो ? किसान ने कहा -मेरी बैलगाड़ी गड्डे में फँस गई है ,हनुमान जी से प्रार्थना कर रहा हूँ इसे बाहर निकालने की !
पंडित जी ने कहा --अरे बाबरे ,हनुमान जी संजीवनी का पता न होने पर भी पूरा पहाड़ ही उठा लाये थे ,तुम कम से कम कोशिश तो करो इसे बाहर निकालने की ,मैं भी हाथ लगवा दूँगा ! सिर्फ प्रार्थना करने से उपलब्धि नहीं होती ! पुरुषार्थ भी करना पड़ता है ! 
किसान को बात समझ आई ,उसने  जोर लगाया और गाडी गड्डे से बाहर आ गई !

परमात्मा भी उन्ही की सहायता करते हैं , जो अपनी सहायता आप करते हैं !   पहले आप कोशिश तो कीजिये ,हाँ प्रार्थना के साथ की गई कोशिश ज्यादा और जल्दी फल देती है !

आजकल हम इंसानों ने अपनी काहिलता और आलस्य को भाग्य और भक्ति का रूप दे दिया है ! हम पाना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर उसके लिए करना कुछ नहीं चाहते ! फिर हम बड़े धार्मिक होकर कहते हैं ,अगर प्रभु की इच्छा होगी तो मिल ही जाएगा ! 

फिर हमें मलूकदास जी का दोहा याद आ जाता है --

अजगर करे ना चाकरी ,पंछी करे ना काम 
दास मलूका कह गए ,सबके दाता राम 

और हम फिर हाथ पर हाथ रख कर ,आराम से बैठ  जाते हैं !
रोटी रोटी रटने से भूख नहीं मिटती उसके लिए तो रोटी खानी पड़ती है ! उसी तरह परमात्मा का अनुदान -वरदान पाने के लिए पहले अपने पसीने के मणि-मुक्तक बहाने पड़ते हैं ! पुरषार्थ की अग्नि में अपने को झोंकना पड़ता है ! आप सच्ची कोशिश तो कीजिये ,परमात्मा पीछे ही खड़ा है आपका संबल बन कर !

आपको मगरमच्छ और हाथी की कहानी याद है ? जब नदी पर पानी पीने गए  हाथी का पैर मगरमच्छ ने अपने जबड़े में जकड लिया था ! हाथी ने बहुत कोशिश की ,बहुत पुरषार्थ किया अपने को छुड़ाने का , लेकिन अंत में जब वो सफल नहीं हो पाया और लगा की अब मृत्यु निश्चित है तब उसने करुण स्वर में ,पूरी श्रद्धा और आस्था से ,पूरे विश्वास और भावना से ईश्वर को पुकारा ,उसकी सच्चे मन से की गई प्रार्थना भगवान् तक पहुंची ,वो आये अपने सुदर्शन चक्र से मगर का सर काट दिया और हाथी के प्राणों की रक्षा की !

हम प्रार्थना करे पुरुषार्थ की ,विश्वास की ,भक्ति की ,सच्ची शक्ति की ,सफलता की ,श्रेष्ठता की ,और एक सही ,सफल जीवन की ………

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शनिवार, 14 सितंबर 2013

बढायें अपनी जीवनीय शक्ति


                                     बढायें अपनी जीवनीय शक्ति 


जिस प्रकार किसी कंप्यूटर का एंटीवायरस जितना सशक्त होता है ,उतना ही वो वायरस से महफूज और सही रहता है !   उसी प्रकार हमारे शरीर का एंटीवायरस यानी हमारी जीवनीय शक्ति जितनी सशक्त होगी ,हमारा शरीर वातावरण के जीवाणुओं और संक्रमणों से उतना ही सुरक्षित रहेगा !   वातावरण के ये  जीवाणु हमारी सांस ,खान-पान और  संपर्क के द्वारा हमारे शरीर में प्रविष्ट होते रहते हैं !  लेकिन हमारी मजबूत जीवनीय शक्ति के कारण बेअसर हो जाते हैं ! लेकिन जिन व्यक्तियों की जीवनीय शक्ति कमजोर होती है ,वे इन संक्रमणों या जीवाणुओं से आक्रांत हो कर बीमार हो जाते हैं ! जरा सी ठंडी हवा उनके लिए जुकाम और बुखार का सबब बन जाती है !

आयुर्वेद में जीवनीय शक्ति को बल भी कहा गया है ,बल 3 प्रकार का माना है ---

1. सहज बल -- जन्म से ही जो बल हमारे शरीर में होता है ! जिस प्रकार के माता-पिता से (रज-वीर्य से) शरीर की उत्पत्ति होती है ,वैसा ही संतान का भी बल होता है !

2. कालज बल -- यह बल समय के अनुसार स्वयं उत्पन्न होता है ! हेमन्त ऋतु (दिसम्बर-जनवरी)में शरीर में बल श्रेष्ठ होता है ,वहीँ ग्रीष्म ,वर्षा (जून-सितम्बर ) में शरीर में दुर्बलता ज्यादा रहती है ! हम बिमारियों से जल्दी आक्रांत हो जाते हैं ! मोसमी बीमारियाँ भी इन्ही महीनो में ज्यादा होती हैं !

अवस्था के अनुसार बचपन में बल की वृद्धि होती है ,युवावस्था में बल श्रेष्ट होता है  वहीँ वृद्धावस्था आने पर बल क्रमश कम होने लगता है !

3. युक्ति कृत बल -- जिस बल की प्राप्ति हम विभिन्न आहार -विहार की योजना के द्वारा कर सकते हैं !
हम सहज और कालज  बल ,जो की प्रकृति ने हमें दिया है  ,उसे नहीं बदल सकते ! लेकिन योजना के द्वारा कमजोर जीवनीय शक्ति को दूर कर शरीर में बल और शक्ति का संचार कर सकते हैं !



जीवनीय शक्ति बढ़ाने के उपाय --

  • हमेशा षड रस युक्त आहार का ही सेवन करें ! ये 6 रस हैं मधुर (मीठा ),अम्ल (खट्टा -नीबू,नारंगी ),लवण (नमकीन ),कटु (तीखा -हरी मिर्च ),तिक्त (कड़वा -करेला ) और कषाय (कसेला -पालक)!

  • रोटी-सब्जी के अलावा दूध ,दही  ,शुद्ध घी ,फल ,जूस ,अंकुरित अन्न आदि का भी सेवन करें !

  • ब्रह्मचर्य का पालन ,समय पर सही नींद और जरुरत पर आराम  हमारी जीवनीय शक्ति को बढ़ाने में सहायक हैं !

  • सुबह की शुद्ध प्राणवायु का सेवन ,प्राणायाम ,आसन-व्यायाम  हमारे शरीर में प्राण -वायु की बढ़ोतरी करते हैं !

  • जंक-फ़ूड ,फास्ट-फ़ूड ,चाय-काफी का अति सेवन ,शराब ,धूम्रपान ,चिंता ,तनाव ,भय आलस आपके बल को दुर्बल कर देते हैं !

  • तला हुआ आहार (चिप्स,कचोरी ,समोसा, भठूरे नमकीन,पूरी ,पकोड़ी ) और सफ़ेद आहार (मेदा ,पेस्ट्री ,ब्रेड,पिज्जा ,भटूरा आदि ) का सेवन कम से कम करें !

  • 3 से 4 लीटर पानी रोज पियें ! बहुत सारा  पानी एक साथ नहीं पियें ! ये आपके शारीर में कफ को बढ़ा देगा ! थोडा-थोडा पानी दिन में कई बार पियें ! खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पियें ,घूंट दो घूंट ले सकते हैं !

  • सोयाबीन,अलसी,आंवला ,नारंगी,गोभी ,अखरोट, बादाम, सेव ,दालचीनी आदि हमारी जीवनीय  शक्ति की वृद्धि में सहायक होते हैं !

  • अंतिम पर महत्वपूर्ण ,हमेशा गहरी सांस लें ! सुबह 5-10 मिनट प्राणायाम जरुर करें ! बिना कुम्भक के पूरक और रेचक करें ! बाकी दिन में जब भी समय मिले 2 या 3 मिनट तक गहरी सांस सहज रूप से लेने का अभ्यास करें ! गहराई तक ली गई प्राण वायु शरीर में प्राण तत्व को सहज ही बढ़ा देती है !  और प्राण तत्व की बढ़ोतरी से ही जीवनीय  शक्ति  सबल बनती है !

डॉ नीरज यादव 
MD(आयुर्वेद),
बारां 

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शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

जीवन की सार्थकता


राजस्थान पत्रिका  के परिवार परिशिष्ठ  में प्रकाशित रचना ---


                                                जीवन की  सार्थकता

सुन बहना ,आज उठना नहीं है क्या ? ओस की बूंद ने  गुलाब की अनखिली कली से कहा !
नहीं री , आज मन नहीं है उठने का ,खिलने का ,   अनमने से कली  ने कहा
क्यों? क्या हुआ सखी …
कुछ नहीं , यूँ ही.…
बता ना ,कुछ तो है , शबनम ने पूछा

 ये भी कोई जिंदगी है अपनी ? काँटों के बीच रहो ,सुबह खिलो ,अपने को विकसित करो ,जीवन को पूरा जी भी नहीं पाओ कि कोई भी इंसान आ कर तोड़ लेता है ! या कोई जानवर  खा जाता है ! या शरारती बच्चे मसल कर फेंक देते हैं ! और ऐसा कुछ भी नहीं हो तो शाम को अपने आप ही मुरझा कर पोधे से जमीन पर गिर जाते हैं ! क्या जिंदगी है ,बेकार ,निरर्थक   है ना ? कली ने कहा

शबनम मुस्कुराई ,बोली , अरे हमारे जीवन जैसा सार्थक जीवन तो किसी का है ही नहीं !
अब तुम्हें ही लो ,सुबह उठती हो ,अपनी सुवास इस जग में बिखेरती हो ! लोगों की आँखों को सुकून देती हो ,लोग तुम्हें चाहते हैं ,इसीलिए अपने आराध्य के चरणों और अपनी प्रेयसी के बालों में तुम्हें अर्पण करते हैं !तुम लोगों की ख़ुशी में और गम में भी शरीक होती हो ! दिन भर अपनी सुगन्ध से वातावरण को महकाए रखती हो ! और सबसे बड़ी बात  इतनी विषमताओं ,इतने काँटों के बीच भी खिल कर अपनी मुस्कान बनाये रखती हो ,कम बात है क्या ?

और शाम को जब इस दुनिया से जाती हो  तो एक सम्पूर्ण जीवन जी कर ,जीवन को पूरी तरह महसूस कर के जाती हो ! नहीं तो इस दुनिया में ऐसे भी पत्थर और पत्थर जैसे लोग हैं जो हैं तो सालों से जिन्दा ,पर जिंदगी को जीना  अभी तक नहीं आया उन्हें ,निरर्थक है उनकी जिंदगी

और तुम तो फिर भी दिन भर जी लेती हो ,मेरा अस्तित्व तो क्षण भर का ही है ! सूरज दादा के आते ही मेरा वजूद खत्म हो जाता है ! फिर भी जितने भी क्षण में जिन्दा रहती हूँ , सबसे मिलती रहती हूँ ,हर सुबह तुम जैसे सभी पेड़,पोधों ,फूलों को होले से जगाती हूँ ,उनसे दुआ-सलाम करती हूँ ,शायरों की कविताओं की प्रेरणा बनती हूँ ! मैं जानती हूँ ,मेरा जीवन बहुत छोटा है ,पर सार्थक है

चल  अब में चलती हूँ , सूरज दादा आ गए हैं !

सूरज की गर्मी में विलीन होती ओस की बूंद ने देखा ,कलि मुस्कुरा कर ,खिलते हुए ,हाथ हिला कर  उसको विदा कर रही है !

सुवासित फूल अब तैयार था संसार में अपनी सुगंध फैलाने के लिए ……

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डॉ नीरज यादव



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