may14

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

Motivational and Inspirational Quotes...part 1





Motivational and Inspirational Quotes...




दोस्तों ,

ये हिंदी ब्लॉग है ,लेकिन मुझे लगता है की शायद आप इस Article को  पसंद करेंगे !  क्योंकि प्रोत्साहन और प्रेरणा कहीं से भी मिले ,अच्छी ही होती है , और achhibatein तो किसी भी भाषा में हो सकती हैं ,है ना ?

ये प्रेरणादायक कथन दुनिया के महान व्यक्तियों के हैं ! जिनके नाम तो मुझे नहीं पता ,लेकिन पूरे आभार सहित ये quotes आप सबकी नजर है ---



  • "Happiness is not a destination. It is a method of life ."


  • "The bad news : Time flies. The good news : You're the pilot."


  • "Obstacles are those frightful things you see when you take your eyes off your goal."


  • "More men fail through lack of purpose than lack of talent."


  • "To have everything is to possess nothing."


  • "Life is a game . Practice everyday and become the best player."


  • 'Strength does not come from physical capacity...It comes from indomitable will."


  • "Much wisdom often goes with fewer words."


  • "The greatest victory is to win over yourself."


  • "Success is a journey.... Not a destination."


  • "There are two things that unite people....Either fear or interest."


  • "If you can DREAM it, You can DO it....."


  • "Don't go through life, GROW through life."


  • "It's never too late to have a happy childhood."


  • "The poor man is not he...Who is without a dream."


  • "We can't direct the wind ,but we can adjust the sail."


  • "The secret of happiness is to admire without desiring."


  • "The positive minds have extra problem solving power."


  • "Laughter is inner jogging."


  • "Our aspirations are our possibilities."


  • "What we do today, right now, will have an accumulated effect on all our tomorrows."

                    
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शनिवार, 26 जनवरी 2013

जीवन क्या है ?









                    जीवन क्या है ?



जीवन एक ........


  • सुयोग है  ---  इसका परिपूर्ण लाभ उठाया जाए !

  • स्वप्न है  ---  जिसे साकार करके दिखाया जाए !

  • आनंद है  ---  जिसे बांटा जाए !

  • चुनोती है --- जिसका सामना किया जाए !

  • संघर्ष है  ---  जिसे बहादुरी से लड़ा जाए !

  • कर्तव्य है --- जिसे पूरी तरह निभाया जाए !

  • खेल है  --- जिसे खिलाडी भावना से खेला जाए !

  • सवाल है --- जिसका जवाव खोजा जाए !

  • गीत है  --- जिसे तन्मयता पूर्वक गाया  जाए !

  • वरदान है --- जिसका उपयोग मिल-जुल कर किया जाए !

  • रहस्य है --- जिसे उदघाटन करके दिखाया जाए !

  • वादा है  --- जिसे पूरी तरह निभाया जाए !

  • पहेली है  -- जिसे सुलझाया जाए !

  • यात्रा है  --- जिसे अनवरत चल कर लक्ष्य तक पहुंचा जाए !


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शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

थोड़े स्वार्थी भी बनिए...






               थोड़े स्वार्थी भी बनिए...


दोस्तों ,
आप कहेंगे ये कोनसी अच्छी बात है ! लेकिन कोई धारणा बनाने के पहले ये लेख आपकी नजर ---

 दुनिया में असंख्य सुख माने गए हैं ,जिनमे से 7 सुख प्रमुख हैं ---

पहला सुख निरोगी काया 
दूजा सुख घर में हो माया 
तीजा सुख सुलक्षणा नारी 
चोथा सुख पुत्र आज्ञाकारी .................

इस दुनिया का पहला और सबसे जरुरी सुख है  --- निरोगी काया 

काया ,आपका भोतिक शरीर या वो नाव जो इस संसार रूपी समुद्र में आपका वाहन है !  वो vehicle जो आपकी इस सांसारिक यात्रा को पूरा करने का एक अहम् साधन है ! हम ये भी जानते हैं की इसे सही और स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है !  हमें हमेशा इसका ध्यान रखना चहिये ! सेहत को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिये !  लेकिन होता ये है की इस सबसे जरुरी सुख को हम सबसे ज्यादा नजरअंदाज कर देते हैं ! 

आप दुनिया में बहुत परोपकार करना चाहते हैं ,दुनिया को कुछ अच्छा देना चाहते हैं ,समाज और देश की उन्नति में अपना योगदान देना चाहते है ,अपने परिवार को सेहत मंद बनाना चाहते है ,है ना ? लेकिन इन सबके लिए जरुरी है की पहले आप भी तो सेहतमंद हों ! 

एक महिला अपने पति ,बच्चों ,बड़ो की देखभाल और काम में इतनी व्यस्त होती है की वो अपनी सेहत का ध्यान पूरी तरह नहीं रख पाती ! या एक employe अपने काम में इतना busy होता है की उसे अपने काम और target के अलावा कुछ भी ध्यान नहीं रहता ! आप सोचते हैं काम पहले है ,परिवार पहले है ,शरीर की देखभाल बाद में है !  है ना ?

लेकिन दोस्तों अपने काम और परिवार का ध्यान आप तभी तो रख पायेंगे जब आपका शरीर स्वस्थ रहेगा ,आप निरोगी रहेंगे ! अगर आप लगातार अपनी सेहत को नजरअंदाज करेंगे उसके प्रति लापरवाही बरतेंगे तो बजाये परिवार का ध्यान रखने के परिवार को आपका ध्यान रखना पड़ेगा ! 


दोस्तों  जिस तरह हमें अपना खाना खुद ही खाना पड़ता है कोई दूसरा उसे हमारे लिए नहीं खा सकता , उसी तरह हमें अपनी सेहत का भी खुद ही ध्यान रखना पड़ता है ! दूसरा आपको सलाह दे सकता है ,लेकिन करना तो आप को खुद ही पड़ता है ,है ना ?

24 घंटे में से 24 मिनट तो आपको अपने स्वयं के लिए निकालने ही चहिये ! अब ये 24 मिनट सुबह के भी हो सकते है ,दिन के भी या शाम के भी ! पर 24 मिनट सिर्फ अपने और अपनी सेहत के लिए जरुर निकालिए ! 

आप अगर ये सोचते है की अगर में थोड़ी देर ये काम नहीं करूँगा या करुँगी ! या फिर कोई काम अगर late हो गया तो ? हम अधिकतर ये सोचते हैं की अगर मैंने ये काम नहीं किया तो पता नहीं दुनिया में फिर ये काम होगा भी या नहीं ! दोस्तों देर सवेर काम तो हो ही जाएगा लेकिन अगर सेहत ही सही नहीं रहेगी तो काम कैसे कर पायेंगे !

अपनी सेहत का ध्यान रखिये --morning walk ,योग ,प्राणायाम ,व्यायाम ,फलों का सेवन ,समय से खाना ,मूत्र ,मल ,शुक्र ,अपानवायु ,वमन,छींक ,डकार ,प्यास,आंसू , नींद,  भूख के वेगों को उत्पन्न होते ही शरीर से बाहर निकाल देना चहिये !

और आप स्वस्थ रहेंगे तभी अपने परिवार का ध्यान और काम को अच्छे तरीके से कर पायेंगे ! 

तो अपने लिए या कहें की अपने परिवार के लिए थोडा स्वार्थी भी बनिए ...............

डॉ नीरज ..........


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शनिवार, 19 जनवरी 2013

मन के हारे हार है मन के जीते जीत...





                मन के हारे हार है मन के जीते जीत


दोस्तों ,

बहुत दिनों से आप अपने आपको थका  हुआ और कमजोर महसूस कर रहे हैं  ! मन में भी नकारात्मक भाव आ रहे हैं ,कोई उमंग महसूस नहीं हो रही है ! जिंदगी बोझिल सी हो रही है ! ऐसे में आप किसी डॉक्टर के पास जाते हैं ! वो आपकी पूरी जांच करने के बाद गंभीर स्वर में आपसे कहता है ,--'माफ़ कीजिएगा ! लेकिन आपकी reports देख कर मुझे लगता है की अगले एक साल में आपको diabetes और heart problem होने वाली है ,थोडा अपना ध्यान रखिए !

आप ये सुन कर shocked हो जाते हैं ! लेकिन अब इसके बाद जो आपकी प्रतिक्रिया होती है ,वो महत्वपूर्ण है !

इस खबर को सुनने के बाद आप दो तरह से प्रतिक्रिया कर सकते हैं !

पहला , ये सुनते ही आपका मन कहता है ,देखा  , में तो पहले ही कह रहा था कुछ तो गड़बड़ है ! तुम बीमार होने वाले हो ! आप तुरंत doctor के prediction के आगे हथियार डाल  देते हैं ! आपकी नकारात्मक सोच आपकी उम्र को 10 साल आगे की स्थिति में पहुंचा देती है ! 

आप हताश और निराश से कुर्सी से उठते हैं ! किसी पराजित आदमी की तरह अपने कंधे झुका कर clinic से बाहर निकलते हैं ! घर आकर चुपचाप या तो बिस्तर या TV के आगे बेठ  जाते हैं !

आपके मन में ये prediction मजबूती से बेठ  गई है की ये तो होना ही है तो क्यों मैं सुबह जल्दी उठूं ,व्यायाम करूँ ,सही आहार लूँ ,मेहनत करूँ ! ये विचार आपके मनोमस्तिक्ष पर इतनी बुरी तरह हावी हो जाते हैं की सोते ,जागते खाते ,पीते आप बस ये ही सोचते रहते हैं की अब तो मुझे diabetes और heart problem होने वाली है आखिर अब तो doctor ने भी ये कह दिया है !

आप निरुत्साहित से अपने काम करते हैं ! चिंता में TV के सामने बेठ  कुछ ना कुछ खाते रहते हैं ! आप अपनी चिंता को खाने की आड़ में दबाने की कोशिश करते हैं ! फिर ऐसे ही हताशा ,निराशा और आलस से भरी आपकी दिनचर्या हो जाती है !

फिर एक दिन अचानक आपकी तबियत ज्यादा  खराब हो जाती है ! आप डॉक्टर के यहाँ जाते हैं ! आपका सारा checkup करने के बाद doctor बड़े ही निराशा भरे स्वर में कहता है  ,-- 'मुझे अफ़सोस है ! लेकिन मैं आपको ये बताना चाहता हूँ की आपको high BP ,diabetes और heart problem हो चुका है ! अगर अब भी आप अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखेंगे तो गाडी ज्यादा देर और दूर तक नहीं चल पाएगी !   आप shocked से सामने दिवार पर लगा कैलेंडर देखते हैं ! अरे अभी तो केवल 5 महीने ही गुजरे हैं ,डॉक्टर ने तो 1 साल की कहा था ! आपकी सोच और मन की हार ने उस भविष्यवाणी को समय से पहले ही सच साबित कर दिया ! आप फिर पहले से भी ज्यादा हताश ,निराश और झुके हुए कन्धों के साथ clinic से बाहर निकलते हैं ! और ये कहानी दोस्तों फिर ज्यादा लम्बी नहीं चलती है ........!

वहीं दूसरी तरफ doctor के ये कहते ही , की अगले एक साल में आपको diabetes और heart problem होने वाली है , आपको आपकी अंतरात्मा को एक झटका सा लगता है !  आप इस बात को एक चुनोती की तरह लेते हैं ! तुरंत आपका मन और आत्मबल एक निर्णय लेते हैं ,की अरे ये सिर्फ एक prediction  ही तो है ,हकीकत नहीं है ,और मैं इसे हकीकत बनने भी नहीं दूंगा ! आप मन ही मन संकल्पित होते हैं ,अपनी पिछली जिंदगी की कमियों ,लापरवाहियों और आलस पर एक नजर डालते हैं और तुरंत निर्णय लेते हैं ,बस अब और नहीं ! अब मेरी जिंदगी ,मेरी सेहत मेरे हाथ में है ! आपकी सोच पूरा u -turn ले लेती है ! आप ये ठान लेते हैं की आज से बल्कि अभी से मैं अपने आप को ,अपनी आदतों को बदल दूंगा ! इस prediction को मैं झूठा साबित कर के रहूँगा ! आप एक संकल्प और मन के विश्वास के साथ कुर्सी से उठते हैं और clinic से बाहर निकलते हैं !

आप अपनी दिनचर्या को पूरी तरह से बदल देते हैं ! जल्दी उठना ,व्यायाम ,सही आहार ,सकारात्मक सोच ,श्रद्धा ,आशावादिता ,उमंग ,उत्साह और पर्याप्त मेहनत  को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेते हैं ! कुछ दिनों के बाद जब मन में निराशा के भाव आने लगते हैं ,आलस पुनः आप पर हावी होना चाहता है ! तो डॉक्टर की भविष्यवाणी को याद कर आप अपनी हताशा को पीछे धकेल देते हैं ! 
आपका ये संकल्प की इस prediction को मैं सही साबित नहीं होने दूंगा ,आप को वापस अपने सेहत के रास्ते पर अग्रसर कर देता है ! 

फिर आप कई साल बाद ऐसे ही अपने routine checkup के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं ! डॉक्टर बड़ी गर्मजोशी और उमंग से कहता है ,-क्या बात है ! आपने तो अपना कायाकल्प ही कर लिया है ! आप तो पहले से भी ज्यादा सेहतमंद और जवान हो गए हैं ! आप मुस्कुरा कर डॉक्टर से हाथ मिलाते हैं और सीटी बजाते हुए क्लिनिक से बाहर आ जाते हैं ! और ये कहानी बहुत अच्छे तरीके से बहुत लम्बी चलती है !

तो दोस्तों ,कहानी कैसी लगी ? वैसे ये कहानी है ही नहीं ! हकीकत है ! हम लोगों में से 90 से 95 % लोग पहले वाली सोच के होते हैं ,है ना ?  केवल 5 या 10 % लोग ही दूसरे नजरिये वाले होते हैं ! जो अपने पुरुषार्थ ,मनोबल और मेहनत से भविष्यवाणी को भी बदल देते हैं ! आपके मन की  नकारात्मक सोच आपको समय से पहले डूबा भी सकती  हैं और सकारात्मक सोच अनेकों ऊँचाइयों तक उठा भी सकती है ! इसलिए जिंदगी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और तदुपरांत सार्थक प्रयत्न आपकी सफल ,सेहत भरी जिंदगी और उज्जवल भविष्य के लिए अति आवश्यक है ! है ना ?

तो मन का कैसा नजरिया रखना चाहेंगे आप ? आखिर ..

जैसा नजरिया है आपका ,वैसी जिंदगी है आपकी ............

डॉ नीरज 

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रविवार, 13 जनवरी 2013

सफलता की सीढ़ी .....


                             




                   सफलता की सीढ़ी .....


 जिंदगी मे हम सभी आगे बढना चाहते हैं ,सफलता की सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं !  लेकिन फिर भी कुछ ही व्यक्ति सफलता की पूरी सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं !  बाकी अधिकतर सीढ़ी के दुसरे या तीसरे पायदान पर ही अटक जाते हैं !  आइये जानते हैं सफलता की सीढ़ी के बारे में---


  • 1.कल्पना --- सीढ़ी का पहला पायदान है ,कल्पना !  हम रोजाना असंख्य कल्पनाये करते हैं ,ख्याली पुलाव पकाते हैं !  अपनी मानसिक शक्ति  का अधिकाँश भाग कोरी कल्पनाओं को करने मे ही खर्च कर देते हैं !  अगर हमे जीवन मे कुछ पाना है   तो सर्वप्रथम उस लक्ष्य की कल्पना अपने मन मे करनी होगी ! क्योंकि जब तक मन रुपी जमीन पर कल्पना रुपी बीज नहीं पड़ेगा तब तक लक्ष्य रुपी पेड़ बनने की प्रक्रिया कैसे शुरू होगी ?

  • 2.तीव्र इच्छा ---  हमारी असंख्य कल्पनाओं मे से कुछ , इच्छाओं मे परिणित होती हैं !  अब ये हम पर है की हम अनेक चीजों (लक्ष्यों ) को एक साथ पाने की थोड़ी थोड़ी इच्छा मे अपनी शक्ति खर्च करें ! या किसी एक लक्ष्य को समग्र रूप से पाने की तीव्र इच्छा मे अपनी पूरी शक्ति खर्च करें !

  • 3.संकल्प --- इच्छा जब बहुत तीव्र हो जाती है तो वह संकल्प मे परिणित हो जाती है !  संकल्प यानी निश्चय !   हम संकल्प तो बहुत करते हैं , नए साल पर , अपने जन्मदिन पर !  लेकिन वो ज्यादा लम्बे समय तक कायम नहीं रह पाते ,है ना ?

  • 4.दृढ संकल्प ---आप कहेंगे संकल्प और दृढ संकल्प मे क्या अंतर है ?  वही जो प्रतिज्ञा और भीष्म प्रतिज्ञा मे है !  जहाँ  द्रढ़ता  आ जाती है वहां स्थिरता भी आ जाती है ! जब संकल्प के साथ आत्म शक्ति और द्रढ़ता  जुड़ जाती है तो वह दृढ संकल्प ,मे  परिणित हो जाती है  !

  • 5. कार्य योजना -- बिना कार्य योजना के दृढ संकल्प सिर्फ एक मानसिक  क्रिया बन कर रह जाता है !  वो यथार्थ मे परिणित नहीं हो पाता !  किसी भी लक्ष्य को जीवन मे पाने के लिए उसकी सही और पूरी कार्य योजना पूर्व मे ही बनानी जरूरी होती हो !  आखिर बिना route chart लिए तो train और plane भी अपना सफ़र शुरु नहीं करते !

  • 6. कठिन परिश्रम ---- सिर्फ सोचने और योजना बनाने मात्र से ही लक्ष्य नहीं पाया जा सकता !  उस हेतु परिश्रम करना पड़ता है , वह भी कठिन परिश्रम ! ढुलमुल तरीके से किया गया परिश्रम व्यर्थ ही जाता है !  route chart लेकर driver गाडी मे ही बेठा रहेगा तो कहीं नहीं जा पायेगा !  लक्ष्य तक जाने के लिए उसे गाडी तो चलानी ही पड़ेगी !

  • 7. एकाग्रता --- जिस तरह अर्जुन को सिर्फ चिड़िया की आँख ही दिखी थी , उसी तरह हमे भी सिर्फ अपना लक्ष्य ही दिखना चाहिये !  एकाग्र होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिये !  ड्राईवर भी सड़क पर एकाग्र होकर गाडी नहीं चलाएगा तो लक्ष्य पाना तो दूर दुर्घटना ग्रस्त हो जाएगा ! 

  • 8. प्रबल विश्वास --- यह प्रबल विश्वास ही है जो भयंकर तूफानों मे घिरी कश्ती को सकुशल किनारे पर लगा देता है !  प्रबल विश्वास सर्वप्रथम अपने आप पर ,अपने लक्ष्य को पाने की इच्छा पर और इन सबसे ऊपर उस परम पिता पर , अपने उस आराध्य पर जो आपके जीवन के रथ का सारथी है ! 

  • 9.अडिगता --- लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग मे कई प्रलोभन ,लालच और मृग मरीचिकायें रुपी फिसलनें आएँगी , जो आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति की सड़क से फिसला कर असफलता रुपी गन्दगी के दलदल मे गिरा देंगी !  आपको दुर्घटना ग्रस्त कर देंगी !  इसलिए जरूरी है की आप इन सब प्रलोभनों से बचते हुए अडिगता से अपने लक्ष्य की ओर अपना सफ़र जारी रखें ! 

  • 10. स्वास्थ्य--- खराब इंजिन,ख़राब आयल वाली   किसी कार को हम  रेस  मे नहीं  जीता सकते ,उसके लिए कार का फिट होना जरूरी होता है !  उसी तरह अपने किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए यह जरूरी है की आप ना सिर्फ शारीरिक अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ एवं सबल हों !

last but not least --

  •  नियमितता  ओर निरंतरता -----आखिरी लेकिन सबसे जरूरी बात ! सफलता की सीढ़ी के ये दस पायदान जिन जिन डंडों के सहारे टिके होते हैं , वे हैं --    नियमितता  ओर निरंतरता ! बिना इनके  बाकी सब का कोई मोल नहीं !  नियमित रूप से किये जाने वाले कार्य ही अपना फल देते हैं ! 
अगर बीच के ये सारे पायदान हट भी जाएँ तो भी इन दो नियमितता  ओर निरंतरता के डंडों के सहारे भी व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुँच ही सकता है ! 


         तो आइये ,बढ़ाते हैं अपनी सफलता की सीढ़ी पर पहला कदम...!
                                                                                                            
          डॉ. नीरज .................


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बुधवार, 9 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद ,युवा प्रेरणा के स्त्रोत ....




        स्वामी विवेकानंद ,युवा प्रेरणा के स्त्रोत 




दोस्तों ,

हमारी जिंदगी में ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो हमारी जिंदगी को सही दिशा देती हैं ,मार्गदर्शन  देती हैं ,फिर वो चाहे कोई book हो ,इंसान हो ,कथन हो या कोई cotation .युवाओं के प्रेरणा स्रोत   स्वामी विवेकानंद ने  मुझे भी बहुत प्रभावित और प्रेरित किया है ! 
स्वामी जी से मेरा परिचय करवाया  "डॉ नरेन्द्र कोहली जी" के  स्वामी जी की जीवनी के रूप में लिखे उपन्यास ---  "तोड़ो कार तोड़ो " ने !

अपने कॉलेज के समय में जब में थोडा हताश और निराश महसूस कर रहा था ,तब मेरे एक गुरु सम अग्रज ने मुझे इस उपन्यास को पढने  के लिए प्रेरित किया !

दोस्तों ,सच मानिए इस उपन्यास ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी ,मैं जब भी  हताश या निराश महसूस करता हूँ तब इसको पढने से मुझमे एक नई ऊर्जा और विश्वास का संचार हो जाता है !

दोस्तों , मैं पूरे आभार सहित डॉ नरेन्द्र कोहली जी के इस उपन्यास  "तोड़ो कार तोड़ो " से कुछ सूत्र इस आशा में प्रस्तुत कर रहा हूँ की जिस तरह इस book और इसकी लाइनों ने मुझे प्रेरणा दी है वैसे ही ये आप सब के लिए भी प्रेरणादायक हों  ----------

  • अपने आप सीख सब कुछ ! अपना काम स्वयं ही करना चाहिए !

  • नरेन्द्र हंसा ,'दान तो मूल्यवान वस्तुओं का ही होता है ! कबाड़ का त्याग तो त्याग नहीं ,स्वार्थ होता है न माँ !'

  • अच्छा लगने और हितकर होने में अंतर है !

  • जीवन को सदा आशावादी दृष्टि से देखना चाहिये !

  • संसार में पाप ,झूठ तथा लोगों के भ्रष्ट आचरण को देख कर अपनी नेतिकता कभी नहीं छोडनी चाहिए ! जीवन को कभी अपवित्र नहीं करना चाहिये ,पुत्र !

  • किन्तु जब परिस्थितियां अपने वश में न हों ,अपने किये समस्या का समाधान संभव न हो ,तब सच्चे मन से ईश्वर की शरण में जाना चाहिये ! जीवन को कभी अपवित्र नहीं करना चहिये पुत्र !

  • पर भागना ,किसी समस्या का समाधान तो था नहीं !

  • माँ ! मैं किसी बात को केवल इसलिए स्वीकार नहीं कर सकता ,क्योंकि वह पहले से प्रचलित है !

  • असफलता की लज्जा क्या किसी कोड़े से कम होती है ?

  • अपने सुख को त्याग ,किसी और के सुख का निमित्त बनने का आनंद ,अपने सुख से बहुत बड़ा होता है !

  • इतिहास के खंडहरों से अधिक महत्वपूर्ण जीवित मनुष्य की पीड़ा है ! खंडहर प्रतीक्षा कर सकते हैं ,पीड़ा की ओर तो तत्काल ध्यान देना होगा !

  • कैसा मूर्ख है तू की किसी ने कहा और तूने मान लिया !

  • किसी भी बात को केवल इसलिए स्वीकार मत करो ,क्योंकि किसी ने तुमसे कहा है , या तुमने उसे किसी पुस्तक में पढ़ा है ! तुम स्वयं उस सत्य को खोजो ! अपनी आँखों से उसे देखो  और तब उस पर विश्वास करो !

  • चुनोती को छोड़ कर पीछे हटना भी उसके मनोनुकुल नहीं था !

  • मैं स्वयम पढता हूँ ! मैं प्रातः भरपूर पढ़कर ही घर से निकलता हूँ ,पढाई को अधूरी छोड़ ,खेलने के लिए नहीं निकलता !

  • किन्तु अपने सम्मान की रक्षा तो करनी ही चहिये  ! बस इस बात का ध्यान रखो की तुम्हारी सत्य-निष्ठा से दूसरों का सम्मान आहत ना हो !  सामान्यतः नियम तो येही है की व्यक्ति को शान्त रहना चाहिए ;किन्तु आवश्यकतानुसार उसे कठोर भी हो जाना चाहिये !

  • अपने अपराधी को क्षमा करना ,बहुत बड़ा गुण है पुत्र ! 

  • जो मनुष्य दूसरों को दुःख देता है ,उसे स्वयं ही उसका फल भोगना पड़ता है !

  • असल में मनुष्य के असंतोष का कारण मोह के सिवा और कुछ नहीं है !

  • कोई भी असाधारण कार्य करने के लिए हमें अपने मस्तिष्क और शरीर का विकास करना है !

  • दूसरों की भूलों को क्षमा कर देना चाहिये ,क्योंकि उन भूलों के पीछे भी उनकी कोई -न -कोई कुंठा होती है !

  • जैसे मैं अपने मानसिक विकास के लिए अध्ययन तथा अन्य प्रकार के मानसिक व्यायाम करता हूँ ,वैसे ही शरीर के विकास के लिए भी मैं यह व्यायाम कर रहा हूँ  और फिर यदि शरीर है तो उसे निरोग भी होना चहिये ,बलिष्ठ भी और सुन्दर भी ! रोगी ,दुर्बल अथवा कुरूप शरीर लेकर क्यों जिया जाए ?

  • जीवन को उसके उच्चतम धरातल पर जीना चाहिए --निम्नतर धरातलों पर नहीं ......!

  • जब इतनी दूर आये हैं ,समय लगाया है ,उर्जा व्यय की है ,तो बिना पूरा प्रयत्न किये लौट तो नहीं जाना चाहिए ना ?

  • यदि हम अपने सम्मान की रक्षा के लिए कठोर नहीं होंगे तो कोई दूसरा हमारे सम्मान की रक्षा क्यों करेगा ?

  • जो प्रभु की इच्छा ! मेरी चिंता से न यह संसार चक्र थमेगा ,न लोगों की प्रकृति बदलेगी और न हमारा भाग्य ही बदलेगा !

  • शिक्षा तो प्रेरणा में है आरोपण में नहीं !

  • चाहे जो हो ,पर मैं अपना कर्तव्य नहीं भूल सकता ,फिर दुनिया रहे या जाए ......!

  • हर समय पढ़ते ही नहीं रहना चहिये ! बहुत पढने से भी आदमी बौरा जाता है !

  • अरे कुछ जीवन से भी सीखो ! कभी-कभी जीवन पुस्तकों से भी कुछ अधिक ही सिखाता है ! जीवन नहीं सिखाता ,जीवन का अनुभव सिखाता है !

  • हाँ ! साधना के बिना कहीं भी सिद्धि नहीं है !

  • बल प्रयोग से न विवादों का निर्णय हो सकता है और न सत्य तक पहुंचा जा सकता है !

  • क्यों यह समाज नहीं समझता की समाज की उन्नति का अर्थ समग्र की उन्नति होता है ! किसी एक वर्ग को पीछे छोड़ ,उसका दमन अथवा शोषण कर ,उसके साथ अन्याय कर ....सम्पूर्ण समाज आगे नहीं बढ़ सकता !

  • मैं पढ़ रहा हूँ ज्ञान के लिए ! प्रतिभा को ज्ञान चहिये ! अंक दूसरों को प्रभावित करने के लिए हैं ,ज्ञान अपने परितोष के लिए है !

  • उसने अपना ध्यान पुस्तक पर केन्द्रित किया ! व्यर्थ की बातें सोचने का क्या लाभ ?

  • और यदि सामने वाले में कोई दुर्गुण है भी तो मेरी इच्छा के विरुद्ध तो वह दुर्गुण अपने -आप मुझ में प्रवेश नहीं कर जाएगा !

  • यदि गंतव्य निश्चित हो तो लम्बी से लम्बी यात्रा करने का धेर्य रखता हूँ !

  • पहले कूदना होगा तभी खोज जा सकता है , पहले खोज कर कूदा नहीं जा सकता !

  • पत्नी का पालन पति का दायित्व है ,और संतान का पालन पिता का ..!

  • तुम ईश्वर के किस रूप में आस्था रखते हो ,यह महत्वपूर्ण नहीं है ! महत्वपूर्ण यह है की तुम ईश्वर को अपने कितने निकट अनुभव करते हो ! तुम उसके अस्तित्व को कितनी तीव्रता से अनुभव करते हो !

  • आस्था और विश्वास से बढ़कर और कुछ नहीं है !

  • ध्यान करते समय ईश्वर में डूब जाना चाहिये ! ठाकुर बोले ,"ऊपर ऊपर तैरने से क्या जल की तह में पड़े रत्न मिल जाएंगे ?

  • आलस मत करो !

  • हरी दास ने कहा ,;नरेन् अब B. A. की परीक्षा निकट आ गई है .............! तो इसमें डरने की क्या बात है ! नरेन् ने कहा ," जमकर पढाई करो ! परीक्षाएं तो होती ही इसीलिए हैं की व्यक्ति की क्षमताएँ उभर कर सामने आयें ! सक्षम लोग परीक्षाओं से डरा नहीं करते !

  • उसका आत्मविश्वास लौटा और उसने अपनी खिन्नता को जैसे बलात पीछे धकेल दिया ! इतनी जल्दी हतोत्साहित हो जाना उसकी प्रकृति नहीं थी !

  • बिना कष्ट के तो कभी कोई उपलब्धि हो नहीं सकती !

  • प्रत्येक उपलब्धि का कोई न कोई मूल्य होता है !

  • अपना मार्ग स्वयं अपने पैरों पर चलना होता है रे ! ठाकुर ने कहा ,"किसी के कंधे पर चढ़ कर कितनी यात्रा हो सकती है !......


आशा है दोस्तों ये सूत्र आपके लिए भी उतने ही प्रेरणा दायक रहेंगे जितना मेरे लिए रहे हैं ! 
                     
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साभार -- डॉ नरेन्द कोहली 
सोजन्य --तोड़ो कारा तोड़ो 
प्रकाशक --किताबघर 

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शनिवार, 5 जनवरी 2013

पाना है तो देना सीखो .............







                        पाना है तो देना सीखो .............


दोस्तों ,

इस प्रकृति के अनेक नियमो की तरह ये भी एक अटल नियम है की अगर आप कुछ भी यहाँ पाना चाहते हैं तो पहले आपको देना पड़ेगा ! यहाँ बिना दिए कुछ भी नहीं मिलता !  इस मामले में प्रकृति बड़ी निष्ठुर है ! 
 चलिए थोडा detail में बात करते हैं ! कुछ सवाल आपसे .........


कोई किसान अगर चाहे की मैं पहले फसल ले लूँ फिर खेत में बीज डालूं ?

कोई इंसान बैंक से कहे आप पहले मुझे बैंक से withdrawal  करने दीजिये फिर मैं अपना खाता  खुलवाता हूँ ?

आप अपने शरीर  से कहें ,की पहले मुझे ताकत ,शक्ति दे दो ,फिर मैं तुम्हें खाना (कैलोरी) दूंगा ?

कोई student  कहे की पहले मैं पास हो जाऊं तब मैं पढना  शुरू करूँगा ?

अपने साथी या प्रियजन से कहिये  पहले तुम मेरी परवाह करो मेरा ख्याल रखो , मुझे प्रेम करो  तो फिर मैं भी तुम्हारी परवाह करूँगा ??

क्या यह संभव है ??   जी हाँ दोस्तों ये उतना ही असंभव है जितना रात में सूरज का चमकना !

एक किसान को अपना फसल रुपी फल पाने के लिए खेत में पहले बीज बोना पड़ता है ,खाद ,पानी देना पड़ता है , पसीना बहाना  पड़ता है , सब्र रखना पड़ता है उसके बाद ही वो  फसल पाने का अधिकारी होता है ,है ना ?

हमारे रिश्तों में भी पहले हमें अपने प्रियजनों की care करनी पड़ती है , उनका ध्यान रखना पड़ता है , उनके लिए समर्पित होना पड़ता है , तभी वो हमारे लिए समर्पित होते हैं ! अगर आप यह सोचें की मेरा ध्यान रखना तो इसका कर्त्तव्य है ,पहले ये मेरा ध्यान रखेगा तो फिर मैं इसका ध्यान रखूँगा !  ये सही नहीं है !  सोचिये अगर वो भी ऐसी ही सोच रखता हो तो ...!

फिर होगा ये की  जिंदगी ही निकल जाएगी और हम  पहले आप पहले आप  के इन्तजार में अपने रिश्ते ,अपने प्यार भरे समय से हाथ धो बैठेंगे !

एक student  भी पहले  अपना समय , अपनी मेहनत  अपनी लगन देता है  तभी फिर अच्छे result  का हकदार होता है !

अगर हमें जिंदगी में अच्छी जिंदगी अच्छे सहयोगी अच्छा मुकाम और अच्छे रिश्ते चाहियें तो जाहिर है की , पहले हमें इसके लिए अपना वक़्त ,प्रेम ,स्नेह सहयोग ,मेहनत  ,समर्पण ,विश्वास  जैसी चीजो को पहले देना होगा !


और एक बात दोस्तों ,
दुनिया के खेत में आप जो भी डालेंगे ,बोएँगे  वो असंख्य गुना होकर आपको वापस मिलेगा !
किसान गेहूं का एक बीज बोता  है ,उससे कई गेहूँ पैदा होते हैं !  एक गन्ना बोने पर कई गन्ने और एक करेला बोने पर कई करेले आपको वापस मिलते हैं !
जरा सोचिये ?? आप दुनिया और अपने संबंधों के खेत में क्या बो रहे हैं ??

प्यार ,सहकार ,समर्पण ,सहयोग ,विश्वास ,अपनत्व  ,ख़ुशी  या    डर,तनाव ,अविश्वास ,बुराई , जलन ,दुःख .....

ध्यान रखिये जो भी हम आज बो रहे हैं ,वही  कुछ समय बाद ब्याज सहित कई गुना होकर हमको वापस मिलने वाला है !
इसलिए आइये इस नए साल में हम अपने समाज में कुछ अच्छा बोयें क्योंकि कल यही अच्छाई हमको ब्याज सहित वापस मिलेगी ! है ना ?

डॉ नीरज 



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