may14

मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

happy new year 2014


नए साल पर मंथन... 


दोस्तों,

आप सब को नव-वर्ष 2014 की अनेकों शुभ-कामनायें ...

दुआ है ...

ये साल जीवन में...

 उमंग,उत्साह ,ख़ुशी ,सेहत ,प्यार ,इज्जत ,नाम ,काम ,धन ,समृद्धि और संतोष लेकर आये !
 हमारे अच्छे संकल्प पूरे  हों ! अपने जीवन के लक्ष्य की तरफ हमारे कदम बढ़ें !

नए साल के जश्न के साथ थोडा आत्म-चिंतन,थोडा मंथन भी ...


नए साल पर मंथन 

बदलना ही है तो अपनी जिंदगी बदलें हम 
वरना हर नया साल ,हर साल बदलता है !!
वही इच्छायें ,वही काम ,वही भागते से हम 
तकिया वही रहता है ,सिर्फ लिहाफ बदलता है !!
नए साल के शुरू में अपनी खुमारी से जागते हैं हम 
अंजाम वही रहते हैं ,सिर्फ अंदाज बदलता है !!
सोचते तो हैं कुछ नया करेंगे नए साल में 
सोचते ही रह जाते हैं ,और साल बदलता है !!
इस साल कर ना पाये ,अगले साल करेंगे 
साल भी अगले साल में सालों-साल बदलता है !!
नए साल के संकल्प ,कुछ दिन ही रहते याद 
दुबारा तब याद आते  है जब, फिर साल बदलता है !!
 नए साल के बदलने भर से कुछ नहीं बदलता
जब तक सोच वही रहती है तो सिर्फ साल बदलता है !!
बहुत बदल लिया सालों को ,अब खुद को बदलें हम 
हम भी तो बन सकते हैं वो जो इतिहास बदलता है !!
बस थोड़ी सी लगन ,परिश्रम और पक्का इरादा 
अरे,उड़ने वाले परिंदे के लिए तो आकाश बदलता है !!
बदलना ही है तो अपनी जिंदगी बदलें हम 
वरना हर नया साल ,हर साल बदलता है !!
डॉ नीरज यादव ,बारां 

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सोमवार, 30 दिसंबर 2013

thank you .....




शुक्रिया दोस्तों... 


दोस्तों,
कल आपके blog का Total Page Views एक लाख को पार  कर गया !  आप सब के प्रोत्साहन और स्नेह के बिना ये सम्भव नहीं था !
  • शुक्रिया ,मेरे लेखन को पसंद करने के लिए 
  • शुक्रिया ,मेरा साथ देने के लिए 
  • शुक्रिया ,आपके अच्छे-अच्छे comments के लिए 
  • शुक्रिया , आपकी नाराजगी के लिए ,आखिर नाराज भी तो अपने ही  होते हैं ,है ना ?

मुझे उम्मीद है कि मेरे किसी न किसी article ने आपको हताशा भरे क्षणों में आशा की एक हलकी सी किरण दिखलाई होगी ! दुर्बलता के क्षणों में साहस का संचार किया होगा ! व्यस्तता ,दौड़-भाग भरी जीवन शैली में थोडा ही सही पर आपको relax किया होगा ! article की किसी line ने आपके तनाव ग्रस्त चेहरे पर मुस्कान की झलक दिखला दी होगी ! अगर ऐसा जरा सा भी हुआ है ,तो मेरा blog लिखना सार्थक है !

आशा है आपका ये साथ  नए साल में भी achhibatein के साथ रहेगा , आपके अच्छे अच्छे comments मुझे और भी अच्छा लिखने कि प्रेरणा देते रहेंगे !

आप सब को नव-वर्ष की अनेकों शुभ-कामनाएं............ डॉ नीरज 

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शनिवार, 21 दिसंबर 2013

story Trust and faith in hindi



श्रद्धा और विश्वास.... 

रात के 2 बजे थाने की  घंटी बजी !
हलो ! कौन ?
यहाँ जन्नत मार्ग निष्ठा पथ पर इंसानियत के खंडहर के पीछे एक लड़का और एक लड़की लहुलुहान हालत में पड़े हैं ,जल्दी आइये ! बताने वाले ने अपना नाम नहीं बताया ! 
मौका मुआयना करने पर पुलिस वालों ने देखा ,एक जवान लड़की ,अधमरी अवस्था में ,लगभग निर्वस्त्र ,लहुलुहान सी ,बेदम पड़ी है ! शायद उसका बलात्कार हुआ है ! वहीँ पास में एक युवा सुदर्शन सा लड़का बेहोश पड़ा है ,जिसकी पीठ और सीने पर खंजर के कई वार हैं ! देखा ,दोनों कि नब्ज रुक-रुक कर चल रही है !
तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया 
डॉ मानव के अथक प्रयास से उन दोनों कि जान बच सकी और वे बयान देने की हालत में आये !
लेडी इंस्पेक्टर करुणा ने पूछा ,कैसी हो ? क्या अपनी आपबीती बता सकती हो ?

जरुर इंस्पेक्टर ,  मैडम  मेरा नाम श्रद्धा है और ये मेरा भाई विश्वास है ! कहाँ से शुरू करूँ ,एक समय था जब हर घर में मेरी पहुँच थी ,मैं लोगों के दिलों में ,उनकी आत्मा में रहा करती थी ! मेरा भाई भी मेरे साथ ही लोगों के मन में रहा करता था ! 
लेकिन समय का फेर देखिये ,जिन्होंने हमें पैदा किया ,जिनकी गोद में हम पले-बढे ! कुछ सफेदपोश , ढोंगी ,दुराचारीयों  ने उनके जैसा वेश बना कर मेरा शील-हरण किया ! मैं बहुत रोई ,गिड़गिड़ाई ,पर वो निष्टुर ,पापी बिलकुल नहीं पसीजे ! समाज के सामने अपना आदर्श रूप दिखाते रहे ,और रोज उसकी आड़ में मेरा बलात्कार करते रहे ! उनके देखा-देखी और दूसरे कामी लोलुप लोगों ने भी धर्म,मजहब की आड़ में अपने वीभत्स क्रिया-कलाप शुरू कर दिए ! 

मेरे भाई विश्वास का सहारा लेकर भी उन जालिमों ने मुझे नोच डाला ! मेरे भाई के साथ भी यही हुआ ! इन दुष्टों ने सामने से मुस्कुरा कर ,गले लगा कर उसकी पीठ में धीरे से खंजर भोंक दिया ! और ये सब इतना दबे छुपे हुआ कि भोली-भाली ,मासूम जनता को इन तथाकथित धर्म,मजहब के ठेकेदारों के कुकर्मों का पता नहीं लग पाया ! 

ऐसे लोगों की वजह से ही अच्छी और सच्ची जगहों पर से भी हमारा वजूद ख़तम होता जा रहा है ! एक अच्छे इंसान , फ़रिश्ते को भी लोग शक़ और नफरत की नजर से देखने लगे हैं !

अब जबकी इन सफेदपोशों के दामन के दाग बाहर दिखने लगे ,तो बजाय शर्मिंदा होने के ,इन हवस के भेड़ियों ने मेरा सामुहिक शील हरण कर लिया ! मेरे अस्तित्व को तार तार कर दिया ! मेरा अंतर्नाद सुन जब भाई मुझे बचाने आया तो इन दरिंदों ने उसकी पीठ और सीने को खंजरों से भेद दिया !
शुक्रिया डॉ मानव ,कि हमारा वजूद अभी बच गया ,लेकिन कब तक ? हम सही होकर बाहर निकलेंगे और ये घात लगाए भेड़िये फिर हमें लूट लेंगे ,हमें मार डालेंगे ! इसका कोई समाधान नहीं है क्या ?
क्यों नहीं है ,जरुर है ! डॉ विवेक ने कहा 
तुम्हारा शील बचा रह सकता है अगर ये भोली जनता थोडा सा मेरा भी उपचार ले ले ! डॉ विवेक ने हँस कर कहा 
वो क्या डॉक्टर ?
देखो ! भगवान् ,परमात्मा ने हर इंसान को आँख,कान और दिमाग दिया है ,जो सही गलत ,अच्छे बुरे का अंतर कर सकता है ! तो क्यों नहीं ऐसी जगहों पर इंसान अपने विवेक का इस्तेमाल करता ! क्यों वो अंधश्रद्धा और अन्धविश्वास के  मकड़जाल में उलझ जाता है ! पडोसी के जलते  घर को देख कर भी आँखें मूंदे बैठे रहेंगे तो अगला जलता घर हमारा ही होगा !
और अगर कोई मेमना आँख बंद कर अपने आप को भूखे भेड़िये के सामने ले जाएगा ,तो वो तो उसको खाएगा ही !
ये तथाकथित धर्म मजहब के ठेकेदार इन मासूमों की इस कमजोरी का ही फायदा उठा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं ! जरुरी नहीं हर चमकती चीज सोना ही हो ! काश कि ये बात इंसान समझ पाये !
चलो , जल्दी से ठीक हो जाओ दोनों ,क्योंकि तुम्ही से तो इस दुनिया का वजूद है !

डॉ नीरज यादव ,बारां 

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बुधवार, 18 दिसंबर 2013

some selected articles...2





कुछ चुने हुये मोती... 2


दोस्तों ,
जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि हम आगे बढ़ते जाते हैं ,नया सीखते जाते हैं ,पर पुराना भूलते भी जाते हैं ! कितनी भी काम कि बात अगर दोहराई न जाए तो भुला दी जाती है ! जिस पगडण्डी पर लोग नहीं चलते ,उस पर घास उग जाती है ,है ना ? इसीलिए जरुरी है कि नए को सीखा जाए पर पुराने को भी सम्भाला जाए ,याद रखा जाए ,बशर्ते कि वो जीवन में जरुरी हो !

शुक्रिया कि आप सब ने इतना प्यार दिया ,साथ दिया ! Achhibatein के सफ़र में कुछ readers शुरू से साथ रहे हैं ,जिन्होंने हर post को पढ़ा है ,अपना अमूल्य समय और सुझाव भी दिया है ! वहीं कुछ पाठकगण ऐसे भी हैं ,जो इस सफ़र में अभी ही शामिल हुए हैं ! और जैसा कि होता है कि हम हमेशा आगे कि ओर देखते हैं ,पीछे नहीं ! ऐसे ही उन पाठकगण के लिए Achhibatein की माला से चुने हुए कुछ मोती ,आशा है आपको पुनः पसंद आएंगे ----

  1. कैसा हो जीवन लक्ष्य ?
  2. जीवन में सफलता पाने के सूत्र ....
  3. आ से आंवला ,आ से आरोग्य
  4. sardar vallabhbhai patel quotes in hindi
  5. Be Practical........
  6. keep desire for the best in hindi
  7. mahatma vidur neeti in hindi
  8. पर उपदेश कुशल बहुतेरे ...


दोस्तों, आपके comments का इन्तजार रहेगा …… डॉ नीरज 


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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

health article in hindi




आपने अपना saving account खुलवाया क्या ?



दोस्तों,

Title से लग रहा होगा कि आज हम bank से जुडी acchibaatein करेंगे ! जी हाँ ,achhibatein तो करेंगे पर bank  से नहीं, शरीर से related . 

जिस प्रकार bank में हम 2 तरह के ac. खुलवाते हैं , एक current ac. और दूसरा saving ac.  या FD ,RD ,PPF ,etc. 
जिसमे current ac. हमारे रोजमर्रा के खर्चे के काम आता है ,वहीँ saving ac. का पैसा हमारी बड़ी जरूरतों , आपातकाल के समय (शादी ,पार्टी ,foreign trip ,बिमारी आदि )काम आता है !
इसी प्रकार हमारा शरीर भी एक बैंक कि तरह ही है ! जिसमे current ac. है हमारा रोज का खानपान
 
दोस्तों, हमें रोज लगभग 2000 कैलोरी की  आवश्यकता होती है  जो हमारे रोज के खानपान से हमें मिलती है और हमारे daily routine ,like  घूमना ,दौड़ना ,चलना ,सोचना, body system work आदि में खर्च भी हो जाती है !

हम लोग अमूमन खाने में खाते क्या हैं ? 3-4 चपाती ,थोड़ी सी दाल ,सब्जी  ! और फल, सलाद,दूध , juice यदा-कदा ,बाकी नमकीन ,पिज्जा ,कचौरी ,समोसा ,चाट ,पानीपुरी तो अलग है ही ,है ना ?

फिर ऐसे में होता यह है कि जब भी मौसम बदलता है या कोई और कारण , तो हम तुरंत बिमार हो जाते हैं ,सर्दी-जुखाम हो जाता है ! क्योंकि हमारी immunity उतनी नहीं  होती है ,जितनी होनी चाहिए ! और हो भी कैसे क्योंकि हम जो खाना रोज खाते हैं उसकी ऊर्जा तो रोजमर्रा के कार्य में ही खर्च हो जाती है ! बिमारी से लड़ने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा (immunity) शरीर में रहती नहीं है ! 
हम स्वाद के लिए कितना खाते हैं और सेहत के लिए कितना ,यह तो हम जानते ही हैं !

हमारी immunity बढ़ती है हमारे healthy खान-पान और रहन सहन से ! जिसकी immunity जितनी ज्यादा यानि उसका saving ac. उतना ज्यादा और वो इंसान उतना ही स्वस्थ और healthy 

आयुर्वेद कि भाषा में अगर कहूं तो ---

हम जो खाना रोज खाते हैं उसका पाचन होकर शरीर में रस धातु बनती है !  रस से फिर रक्त धातु ,इसी तरह  उत्तरोत्तर वीर्य (in males ) और रज धातु ( in females ) बनती है ! फिर वीर्य/रज का सार भाग (Abstract) ओज बनता है ! और जिसका ओज जितना ज्यादा होगा वो उतना ही ओजस्वी (immune) होगा !


Food (आहार)----------->रस धातु(extract)  -------रक्त धातु(blood)------>माँस धातु(muscle)----->   मेद धातु(fat) ------->   अस्थि धातु(bone) ------->    मज्जा धातु(bone-marrow)   ------->   शुक्र/रज       धातु(semen) ------ओज (immunity)


जाहिर है हमारा आहार जितना healthy और षडरस युक्त होगा हमारा ओज भी उतना ही अच्छा होगा !
दोस्तों यहाँ मैं ज्यादा खाने की बात बिलकुल नहीं कर रहा हूँ ,मैं healthy और immunity ,energy बढ़ाने वाले खाने की बात कर रहा हूँ !

साधारण शब्दों में अगर कहूं तो ,जिस प्रकार ---

गाय का चारा ------> दूध -----> दही ----> मक्खन -----> घी 

गाय को हम जितना अच्छा चारा खिलाएंगे उतना ही अच्छा और ज्यादा घी हमें मिलेगा ! सूखी घास खिलाकर हम ज्यादा घी कि उम्मीद नहीं कर सकते ! उसी प्रकार पिज्जा ,बर्गर ,चाउमीन ,junk/fast food खाकर हम अच्छे ओज और immunity कि भी उम्मीद नहीं कर सकते !

पहले के समय सर्दियाँ आते ही हर घर में उरद ,गोंद के लड्डू ,गाजर का बादाम का हलवा , अलसी की  पिन्नी ,खसखस का हलवा ,तिल के लड्डू ,केसर का दूध ,आमले का मुरब्बा  आदि सेहत से भरे व्यंजन बनते थे ! घर का हर सदस्य उनको खाता  था ! और हाँ ,शारीरिक मेहनत भी उसी अनुपात में करता था ! और पूरे साल सेहतमंद, तंदरुस्त रहता था !
आज विडम्बना है कि पहले तो हम ये चीजें खाते ही नहीं हैं और खाते भी है तो बाजार कि बनी ! और अगर खा भी लेते हैं तो पचा नहीं पाते !
ये सारी  चीजें गरिष्ठ हैं जिनको पचाने के लिए अच्छी जठराग्नि की जरुरत होती है ! बिना पूरी तरह पचे ये चीजें फायदे कि जगह नुक्सान भी कर सकती हैं !
उम्र बढ़ने के साथ शरीर कि क्रियाओं का भी ह्रास होने लगता है ! immunity कम होने लगती है ! खाना भी कम खाने में आता है ,नींद नहीं आती ,घुटने दुखने लगते हैं ,शरीर जल्दी थकने लगता है !

ऐसे समय ही फिर हमारा ये saving ac. काम आता है ! और ये तो आप जानते ही हैं कि bank से withdrawal करने से पहले bank में deposit करना पड़ता है ! खाता खोलना पड़ता है ! 
क्या आपने अभी तक saving ac. नहीं खोला ? कोई बात नहीं अब खोल लीजिये ! जितना अभी इसमें सेहत deposit करेंगे ,बाद में उतनी ही सेहत ब्याज सहित वापस मिलेगी ! ऐसे अनेक ex. हमारे आस-पास हैं जिन्होंने उम्र के 90 साल पार कर लिए हैं पर उनकी energy और health 50 साल के व्यक्ति की तरह है ,बिलकुल fit और active  है ना ? ये उनके अच्छे saving ac. का ही कमाल है ! 

आइये हम भी अपना saving ac. खोलें ,पर कुछ बातें जो याद रखने लायक हैं ---

  • खाना कितना भी healthy और पोष्टिक हो पर अगर पूरी तरह नहीं पचता तो बेकार है !


  • सबसे पहले हमारी जठराग्नि (appetite) सही होनी चाहिए ! हम जो खाएं ,अच्छे से और समय से पच जाए !


  • इसके लिए जरुरी है कि हम थोड़ी सी physical exercise भी करें ,जिसमे --morning walk , पैदल चलना, दौड़ना ,आसन ,प्राणायाम ,खेलकूद,  games खेलना (मैदान में ,mobile या laptop पर नहीं ) आदि भी अपने डॉक्टर कि सलाह से शामिल करें !


  • अंकुरित अन्न ,सलाद, गाजर, मूली , आमला , अमरुद , apple ,पपीता ,अंगूर अनार जैसे फल ,अलसी ,सोयाबीन जैसे धान्य ,बादाम ,काजू , पिस्ता ,चिरोंजी ,अखरोट ,किशमिश आदि का सेवन ,दूध दही ,च्यवनप्राश ,आदि का सेवन 


  • week में 1-2 बार तिल या सरसों के तैल से पूरे शरीर की  मालिश (अभ्यंग)


  • सुबह की गुलाबी धूप का सेवन ,ईश्वर में आस्था ,शारीरिक परिश्रम , मानसिक relaxation ,अच्छी नींद ,शराब,सिगरेट ,तम्बाकू, cold drink ,डर ,तनाव  आदि से दूरी ,गहरी साँस लेने की  आदत जैसी acchibatein 


अगर हम इन सबको समय रहते अपने शरीर के saving ac. में deposit करेंगे तो यकीन मानिये ,जरुरत पड़ने पर हम बहुत सारी सेहत withdrawal कर सकते हैं ! चिर युवा और healthy रह सकते हैं ! 
तो शुभस्य शीघ्रम ……… 

डॉ नीरज यादव 

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मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

some selected articles...1



कुछ चुने हुये मोती... 

दोस्तों ,
जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि हम आगे बढ़ते जाते हैं ,नया सीखते जाते हैं ,पर पुराना भूलते भी जाते हैं ! कितनी भी काम कि बात अगर दोहराई न जाए तो भुला दी जाती है ! जिस पगडण्डी पर लोग नहीं चलते ,उस पर घास उग जाती है ,है ना ? इसीलिए जरुरी है कि नए को सीखा जाए पर पुराने को भी सम्भाला जाए ,याद रखा जाए ,बशर्ते कि वो जीवन में जरुरी हो !

शुक्रिया कि आप सब ने इतना प्यार दिया ,साथ दिया ! Achhibatein के सफ़र में कुछ readers शुरू से साथ रहे हैं ,जिन्होंने हर post को पढ़ा है ,अपना अमूल्य समय और सुझाव भी दिया है ! वहीं कुछ पाठकगण ऐसे भी हैं ,जो इस सफ़र में अभी ही शामिल हुए हैं ! और जैसा कि होता है कि हम हमेशा आगे कि ओर देखते हैं ,पीछे नहीं ! ऐसे ही उन पाठकगण के लिए Achhibatein की माला से चुने हुए कुछ मोती ,आशा है आपको पुनः पसंद आएंगे ----

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

article on self management in hindi




काम नहीं ,कर्मयोग कीजिये.... 


दोस्तों,
एक बार एक मूर्तिकार था ! वो बहुत सुन्दर मूर्तियां बनाता था ! उसकी मूर्ति 10-20 रुपये में बिक जाती था ! उसने अपने बेटे को भी मूर्ति बनाना सिखाया ! उसका बेटा भी सुन्दर मूर्तियां बनाने लग गया ! एक समय बाद उसकी मूर्ति अपने पिता की  मूर्ति से भी महँगी बिकने लगी !
फिर भी उसका पिता रोज उसे मूर्ति में सुधार करने और पहले से भी अच्छी बनाने कि सीख देता ! एक दिन झल्ला कर उसने अपने पिता से कहा ,--पिताजी ,आपको पता है मेरी बनाई मूर्तियां आपसे महँगी बिकती हैं ! मैं अब बहुत अच्छी मूर्तियां बनाता  हूँ ! आप मुझे और सुधार करने की  ना कहें ! मैं अपनी मूर्तियों से संतुष्ट हूँ !
पिता अपना सर पकड़ कर बैठ गया ! बोला--- बेटा , अब तेरी तरक्की रुक गई ! मैं तो तुझे और आगे और सफल देखना चाहता था ! इसलिए तुझमे सुधार की  लौ जलाये रखने के लिए रोज टोकता था ! लेकिन अब तेरी तरक्की कि आग बुझ गई है ! तेरे  में ठहराव आ गया है ! बेटा ,जहाँ संतुष्टि हो जाती है ,वहाँ  फिर प्रगति नहीं होती !

दोस्तों, हम भी कुछ उस लड़के की  तरह ही हैं ! हमें लगता है कि जो जैसा चल रहा है ,ठीक है ! हम उसमे सुधार की, बदलाव की कोशिश नहीं करते ! अनमने भाव से बस करना है इसीलिए किसी तरह काम किये जाते हैं !

एक होता है काम , जो हम शरीर से करते हैं ,मज़बूरी में करते हैं ! हमें रोज-रोज office या school  जाना पसंद नहीं है ,लेकिन बेमन से जाते हैं !
जिसे करने में कोई उमंग ,उत्साह या ख़ुशी महसूस न हो ,जिसे फिर भी करना मज़बूरी हो ,वह काम है !

और कर्मयोग वो होता है ,जो न सिर्फ शरीर बल्कि पूरे मनोयोग से किया जाता है ! हम पुरे दिल से ,उत्साह से जिस काम को करते हैं ! और उसे करते हुए हमारा यह भाव रहता है कि इसे और ज्यादा अच्छे से कैसे किया जाए ! 
जिसे दिन भर करने के बावजूद भी हमें रत्ती भर भी थकान नहीं होती ! जिसे अगले दिन करने के लिए हम पुनः पूरी उमंग और उत्साह से जुट जाते हैं ,वो कर्म योग है !

किसी ने कहा भी है ,काम क्या है ? काम इबादत है ,काम पूजा है ! पूजा भी अगर काम समझ कर की  जाए तो व्यर्थ है ! जबकि सच्चे मन और उत्साह से किया गया काम ही असली पूजा के समान है !
जिस काम में मन ,दिल, और भाव न जुड़े हों ,तो वो कर्म तो वैसे ही निष्प्राण सा है ,है ना ?
तन्मयता,तत्परता ,उमंग,उत्साह से किया गया कर्म सिर्फ काम नहीं रह जाता ,कर्मयोग बन जाता है ! और आपकी मनः स्थिति का प्रभाव आपके कर्म पर साफ़ दिखता भी है !

एक कहानी है ,शायद आपने पढ़ी हो....... 
एक मंदिर बन रहा था ,3 कारीगर उसके लिए पत्थर तराश रहे थे ! किसी राहगीर ने पहले कारीगर से पूछा ,भाई  क्या कर रहे हो ? उस कारीगर ने झल्लाकर बेरुखी से कहा --दिखता नहीं है क्या ? पत्थर तोड़ रहा हूँ !
राहगीर ने दूसरे से पूछा तो उसने कहा --अपनी रोजी-रोटी कमा रहा हूँ ,काम कर रहा हूँ भाई !
तीसरे कारीगर के पास जब वो गया तो वो बड़ी मस्ती में कोई गाना गुनगुनाते हुए पत्थर तराश रहा था ! उससे पूछने पर वो बड़े उल्लासपूर्ण स्वर में बोला --भाई, प्रभु के लिए मंदिर बना रहा हूँ ! मुझे ख़ुशी है कि इस भव्य मंदिर में मेरा भी योगदान हो रह है !
काम तीनो कर रहे हैं ! पैसे भी तीनों लगभग एक समान ही कमा  रहे हैं ! लेकिन जो सच्चा कर्मयोगी है ,वो तीसरा वाला है ,जिसके लिए काम, काम नहीं  एक आनंद है ,मस्ती है ,पूजा है ,है ना ?

डॉ नीरज यादव 


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शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

Do Yoga, but carefully in hindi-part 2







योग करें ,पर सावधानी से.… 2 


दोस्तों ,पिछले article में हमने योग से जुडी कुछ सावधानियों के  बारे में जाना ,आइये थोड़ी और सावधानियों कि बात करते हैं -----

  • अगर पार्क या छत पर योग कर  रहे हैं तो हवा सीधी शरीर पर ना लगे ,तेज हवा में भी योग न करें !

  • दो आसनों के बीच 10 से 20 sec. का gap रखें, जिससे कि किये गए आसन का प्रभाव शरीर और मन पर हो सके !

  • प्राणायाम शुरू करते समय एकदम कपालभाति और भस्त्रिका करना शुरू न करें !

  • प्राणायाम एक जंगली हाथी कि तरह है अगर साध लिया तो आपका पालतू बन आपके अनगिनत काम कर देगा और बेकाबू हो गया तो महावत को ही मार डालेगा !

  • चाहे आसन हों या प्राणायाम ,सहज रूप से क्षमतानुसार ही करें ! झटके से ,जोर लगा कर ,जबरदस्ती से न करें ! शरीर को नुक्सान हो सकता है !

  • आसन,प्राणायाम करने के बाद 5 मिनट ही सही पर शवासन (relaxation) जरुर करें ! शरीर और मन के बढे हुये ताप को सहज अवस्था में आने दें !

  • एक  ख़ास बात ,अगर आप प्राणायाम का अभ्यास कर रहे हैं तो आपको दही खाना बंद कर देना चाहिए !

  • सरल आसनों से शुरू करके धीरे धीरे कठिन आसनो कि ओर बढ़ना चाहिए !

  • कुछ आसन सारे शरीर पर प्रभाव डालते हैं ,जबकि कुछ अंग विशेष के लिए लाभकारी होते हैं ,इसकी भी जानकारी हमें होनी चाहिए !

  • सप्ताह में कम से कम एक बार तिल या सरसों के तैल से शरीर कि मालिश जरुर करनी चाहिए ,ताकि शरीर में लोच (flexibility)पैदा हो !

  • सुबह का शांत,ऑक्सीजन से भरपूर  वातावरण , ब्रह्म मुहूर्त ,उगते सूर्य का दर्शन और रात कि भरपूर  नींद से उठा हमारा चेतन्य शरीर योग करने के लिए श्रेष्ठ है !

  • लेकिन अगर किसी कारणवश सुबह योग नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं ,शाम को कीजिये ,पर lunch या कुछ खाने के 4 घंटे बाद !

  • नियमितता भी जरुरी है ! 2 दिन योग किया फिर 10 दिन आराम ,फिर 2-4 दिन योग किया फिर 8-10 दिन का gap . अगर आप इस तरह योग करने के आदी हैं तो योग ना ही करे तो बेहतर ,क्योंकि इस तरीके से किया गया योग फायदे कि जगह नुक्सान ज्यादा दे सकता है !

  • योग ठोस धरातल या हरी घास पर ही करें !

  • योग के लिए योग चटाई ,एक नेपकिन ,पानी की  बोतल और साथ में कोई meditation music हो तो कहना ही क्या ,music earphone से नहीं सुनना है ,यह ध्यान रखें !

  • नेपकिन पसीना और नाक पोंछने के लिए use करें ! और योग के बीच में घूँट दो घूँट पानी पीने के लिए ,ना कि बोतल भर एक साथ पियें !

  • कुछ आसन  होते हैं जो रोग विशेष में नहीं किये जाते ! for ex.  highBP , heart diseases, spondylitis आदि में शीर्षासन ,हलासन ,सर्वांगासन ,तीव्र कपालभाति ,अंतरकुम्भक नहीं करते हैं !इन बातों का भी ध्यान रखें !

  • आगे झुकने वाले आसनो के पश्चात पीछे झुकने वाले आसनो का क्रम रखें !

इन सब बातों को पढ़ कर अब आप कहेंगे कि जब इतनी सारी  बातें ध्यान रखनी हैं,ऐसे करना है वैसे नहीं करना ,इतने प्रपंचों में कौन पड़े ! इससे तो अच्छा है कि योग करे ही नहीं ! खायें पीयें मस्त रहे , है ना ?

लेकिन दोस्तों यह तो वही बात हुई कि खाने के लिए कौन बाजार से सब्जी लाये,काटे ,छोंके ,गैस चालू करे , कढ़ाई रखे , नमक के अनुपात का ध्यान रखे ! इससे तो अच्छा है कि खाना ही नहीं खाया जाए !
लेकिन ऐसा नहीं होता ! हम बहुत रच-पच कर खाना बनाते हैं ! खाना खाना नहीं छोड़ते तो फिर योग करना क्यों छोड़ें ?

सावधानी से करें, समझ कर करें ,सहजता से करें ,पर करें जरुर योग ! कहा भी है ----

"करें योग ,रहे निरोग "     



डॉ नीरज यादव 


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शनिवार, 9 नवंबर 2013

Do Yoga, but carefully in hindi




योग करें ,पर सावधानी से…… 



दोस्तों,

"करें योग,रहे निरोग "   यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी !  आजकल योग universal या कहें सर्व सुलभ हो गया है ! जहाँ देखिये वहीँ आपको योग होता हुआ दिख जाएगा ! सुबह-शाम TV पर बाबाजी योग सिखाते मिल जाएंगे ! book stores पर योग related किताबों के ढेर मिल जाएंगे ! आपके शहर के पार्क में भी योग करते लोगों के दर्शन आपको सहज ही हो जाएंगे !

कहने का आशय ,आज योग बहुत ही सुलभ हो गया है ! हर दूसरा आदमी योगाचार्य या yog guru बन गया है ! और अपना ज्ञान (?) दूसरों को देने में लगा है ! है ना ?

हम भी वातावरण से प्रभावित होकर ,TV में देख कर या कोई book पढ़कर योग करना शुरू कर देते हैं ! लेकिन होता यह है कि कभी कभी योग से बजाय फायदा होने के ,शरीर को नुक्सान भी हो सकता है ! योग अगर सही तरीके से किया जाए तो body के     लिए beneficial है अन्यथा गलत तरीके से किया गया योग शरीर को हानि भी पहुँचा सकता है !

आज कुछ सावधानियों की बातें ,योग शुरू करने से पहले………… 

योग में सावधानियों से पहले in short योग कि बात ,ठीक है ना ?
मैं ज्यादा विस्तार से इस बारे में बात नहीं करूँगा क्योंकि आप इस बारे में पढ़ चुके होंगे !

महर्षि पातञ्जलि ने अष्टांग योग का वर्णन किया है ,वे हैं --
1 यम  2 नियम 3 आसन  4 प्राणायाम  5 प्रत्याहार   6 धारणा  7 ध्यान  और 8 समाधि 

लेकिन आजकल हम सिर्फ आसन और प्राणायाम को ही योग समझ बेठे हैं !
योग केवल शरीर को ही साधने का विज्ञान नहीं है किसी नट कि तरह ! अपितु योग शरीर के साथ मन और अंतर्रात्मा को भी साधने कि कला है !
जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने कि सीढ़ी है अष्टांग योग ! लेकिन ये बहुत गूढ़ विषय है ,जिस पर चर्चा फिर कभी !

आसन क्या हैं ?
"स्थिरसुखमासनम् " शरीर कि विभिन्न मुद्रायें जो अंग विशेष पर दवाव डालती हैं ,वो आसन कहलाती हैं !
वैसे तो 84 आसनो का वर्णन ज्यादा मिलता है और उनमे भी 32 आसन ही प्रमुख और ज्यादा जरुरी हैं ,शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए ,जिनकी चर्चा आगामी articles में !

प्राणायाम क्या है ?
प्राण+आयाम 
प्राण है जीवनीय  शक्ति  और आयाम है उसका नियमन ! जीवनीय शक्ति के नियमन को ही प्राणायाम कहा है !
जीवनीय शक्ति का  नियमन होता है श्वास-प्रश्वास inhale and exhale के द्वारा ! आम भाषा में कहें तो सही तरीके से सांस लेने और छोड़ने कि क्रिया ही प्राणायाम है !
अब वापस मुद्दे पर आते हैं !

योग शुरू करने से पहले सावधानियां ---

  • अगर आप जिंदगी में पहली बार योग करना शुरू कर रहे हैं तो धीरे धीरे ,कम समय के लिए ,सरल आसनो के साथ शुरू कीजिये ! शरीर को तानना ,उसमे हल्का खिंचाव पैदा करना ,अपने को warmup करना ,इन क्रियाओं को करने के बाद ही योग शुरू कीजिये !

  • शुरुआत सूक्ष्म व्यायामों से कीजिये !

  • योग करने से पहले अपनी capacity ,age ,शारीरिक अवस्था ,कोई बिमारी (high bp ,diabetes , heart problem , spondylitis ,slip disc ,obesity आदि ) का इतिहास ,आदि बातों का भी ध्यान रखिये !
होता  यह है कि TV पर बाबाजी या किसी trained yog guru को योग करते देख हम भी तुरंत दण्ड पैलने लग जाते हैं ! या सूर्य नमस्कार करना शुरू कर देते हैं ! है ना ?
फिर होता यह है कि हमारी किसी muscle में खिंचाव आ जाता है ! या टखने में मोच आ जाती है ,घुटने दुखने लगते हैं  और योग का अध्याय शुरू होने के पहले ही ख़तम हो जाता है !

  • योग में कभी भी अति न करें ! जबरदस्ती से किया गया योग आपकी सेहत को नुक्सान भी पहुंचा सकता है ! 
एक ऊंट और बकरी दोनों साथ साथ जा रहे थे ! रस्ते में नदी आयी ! ऊंट ने कहा ,पहले में जाता हूँ ,वो पानी में चल कर दूसरी पार निकल गया ! बकरी में चिल्ला कर पूछा ,-कितना पानी है ? ऊंट चिल्लाया ,आजाओ ,कमर तक ही है !
बकरी ने कहा भाई ,तुम्हारी तो कमर तक ही है ,लेकिन मैं तो पूरी ही डूब जाऊंगी ! मैं अपनी औकात और capacity क्यों भूलूँ ?

कहा भी है ---
देखा-देखी करे योग ,छीजे काया बढे रोग !

  • योग एक जीवन शेली है न कि कोई task जिसे fix time में पूरा करना है और काम ख़तम ! नहीं दोस्तों ,जैसे हम रोज श्वास लेते हैं ,रोज खाना खाते हैं ,रोज सोते हैं ! उसी तरह रोज थोडा सा योग भी हमारी life style का हिस्सा होना चाहिए !

  • योग हमेशा खाली पेट किया जाता है !

  • योग का सबसे अच्छा समय प्रातः काल होता है ,सुबह नित्य कर्म से निवृत होकर योग करना चाहिए !

  • योग करने के तुरंत बाद कुछ खाना नहीं चाहिए !

  • योग करते ही नहाने भी नहीं जाना चाहिए ! 

  • योग हमेशा साफ़ ,खुले और स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए !

दोस्तों, आज इतना ही ,बाकी अगले article में ,  अपने comments का 'योग' artical के साथ जरुर बनाये रखिएगा ! 

to be continued....

डॉ नीरज यादव ,
MD (Ayurved )

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रविवार, 3 नवंबर 2013

happy diwali to all of you.....





  Achhibatein 
      के 
     सभी दीप्तिमान 
     प्रकाशमान
      पाठकों 
     को
      दीपावली  
     की 
      प्रकाशमयी 
           शुभकामनायें … 

      डॉ नीरज 

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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

story End of whiteness in hindi



सफेदी का अंत 


दोस्तों,
आज एक अच्छी कहानी आपके लिए ……. 


सारे रंग बहुत उदास थे ! कल रात सफेदी ने आत्महत्या कर ली थी !   मरने के पहले सफ़ेद रंग ने suicide letter  छोड़ा था ,  जिसमे लिखा था !

सृष्टि के शुरुआत में जब ये धरती बनी ,बड़ी बेरंग और नीरस थी ! फिर प्रकृति  की देवी ने इसमें रंगों का संचार किया ! हमें पैदा किया ! और देखते ही देखते दुनिया रंग-बिरंगी  उल्लासित हो गई !  हम सात भाइयों को पृकृति ने अलग अलग गुण और योग्यताएँ दीं !   हरे को जहां खुशहाली  और हरियाली की नेमत दी !  वहीँ मुझे धवलता ,शुचिता ,शान्ति और पवित्रता का प्रतीक बनाया !  मैं बहुत खुश था ,अपने गुणों को लेकर ! बहुत फक्र था मुझे इन पर ! 

पर मेरे ये गुण ही मेरे लिए घातक बन गए ! मेरा पतन तो तब ही शुरू हो गया था जब नेताओं ने मुझे अपनाया था ! लेकिन तब मुझे सुकून था की चलो अधिकतर नेता अच्छे हैं ! लेकिन अब बिलकुल उल्टा हो गया है ! इनके काले कारनामे इतने बढ़ गए हैं ,कि अब मेरा दम सा घुटता है ! अब तो हर बेईमान ,भ्रष्ट ,पापी  मेरी आड़ में अपने आप को छुपाता  है !

मेरी घुटन और शर्म की परकाष्ठा तो तब हो गई ,जब कुछ लोग धर्म की आड़ में अधर्म करने लगे ! कुछ ढोंगी और कामी लोग मुझे पहन कर दिखावटी संत,सुधारक बन गए ! और मेरी आड़ में ऐसे ऐसे कुकर्म करने लगे कि बताने में भी घिन आती है ! 

मैं खुल कर साँस नहीं ले पा रहा हूँ ! मेरे होने का अर्थ ही ख़तम होता जा रहा है !  कहीं ऐसा न हो भविष्य में, कि लोग सफ़ेद कपडे पहनने वाले को शक की नजर से देखना शुरू कर दें ! इससे पहले कि ये बेईमान अपने कुकर्मों से और समाज अपनी शक की नजरों और तानों से मुझे मारें ,मैं खुद ही अपने अस्तित्व को खत्म कर रहा हूँ !

लेकिन जाते जाते अपने बाकी भाइयों को आगाह और सचेत करना चाहता हूँ कि सावधान रहना ! कहीं ऐसा न हो कि मेरे बाद ये ढोंगी, बेईमान , कुकर्मी , भ्रष्टाचारी  तुम्हें अपनी ढाल बना लें ! तुम्हारी आड़ में अपने कुकर्म करें !

खासतोर पर हरा और केसरिया रंग इन दोनों को सजग रहने की ज्यादा जरुरत है !  क्योंकि इनके गुण और इनका वजूद  और  इनकी सार्वभोमिकता भी खतरे में है ! 

हम सब रंग आये तो थे इस धरा को रंगीन करने ,लेकिन आज हम खुद ही बेरंग हो गए हैं ! ठीक है भाइयों चलता हूँ ,अपना ध्यान रखना !

तुम्हारा अभागा भाई……… 
       सफ़ेद 



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डॉ नीरज यादव ,
बारां 

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रविवार, 20 अक्तूबर 2013

3 kind of people in hindi





3 तरह के इंसान 



दोस्तों,

एक तालाब में 3 मछलियाँ रहती थीं !   एक बार कुछ मछुआरे वहां आये और आपस में बोले --  यहाँ पर बहुत सारी मछलियाँ दिखती हैं ,  हम कल यहाँ आकर जाल डालेंगे ! उनकी यह बात सुन कर पहली मछली बोली ,--अरे , हम यहीं ठीक हैं ,जरुरी नहीं के यह लोग कल आयें ही सही !  दूसरी बोली,-भलाई इसी में है कि हम आज रात को ही कहीं और चले जाएँ !   और वो तालाब से जुड़े दूसरे पोखर में चली गई ! तीसरी बोली कल जब ये लोग आयेंगे तभी परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले लूंगी !

अगले दिन मछुआरे सच में ही आ गए ! जाल डाला गया !  पहली मछली पकड़ी गई ! तीसरी मछली ने तुरंत मरने का ढोंग किया ! मरा समझ कर मछुआरों ने उसे जाल से निकाल दिया और वो तुरंत उचक कर गहरे पानी में तैरती हुई दूर चली गई ! पहली वाली पकड़ी गई और भाग्य भरोसे रहने की अपनी आदत को कोसती रही ,बेचारी !


दोस्तों, वैसे तो संसार में अरबों मनुष्य हैं ,जिन्हें मूल रूप से हम इन मछलियों की तरह 3 categories  में बाँट सकते हैं !


1. दूरदर्शी (prudent)--  वे जो आने वाले कल की सोच कर काम करते हैं ! बादल देख कर घड़े नहीं फोड़ते ! भविष्य की भी सोचते हैं !  ऐसे लोग सारा पैसा एकसाथ ही खर्च नहीं करते ,कल के लिए भी कुछ बचा कर रखते हैं ! FD,RD,PPF,NSE,BANK DEPOSIT आदि में अपने पैसे को invest करते हैं ! अपने ऐशआराम के लिए सारा पैसा खर्च नहीं करते ! 
एक समझदार गिलहरी की तरह भरी गर्मी में अपने बिल में अनाज इकठ्ठा करते हैं ताकि बारिश के प्रतिकूल दिनों में भूखे  मरने की नोबत नहीं आये !

2. तुरंत निर्णय लेने वाले (Instant Decision Makers)--   वे व्यक्ति जो देश ,काल परिस्थिति ,के अनुसार तुरंत निर्णय लेते हैं ! सामने आते हुए तेज truck को देख अपने vehicle को तुरंत निर्णय लेकर दायें-बायें कर लेते हैं ,या अपनी  तेज speed को कम कर अपने को safe कर लेते हैं !

3. भाग्य भरोसे रहने वाले (fatalist)---  वो जो सामने से आती हुई बिल्ली को देख कर भी कबूतर की तरह अपनी आँखें बंद कर लेते है  , और सोचते हैं की अब बिल्ली मुझे नहीं देख रही ! बजाय उसके सामने से हटने के ,कर्म करने के , हाथ पर हाथ रख कर बैठ  जाते हैं , और थोड़ी देर बाद बिल्ली के पेट में होते हैं ,फिर वो अपनी मौत के लिए अपने भाग्य को दोष देते हैं !

हम भी इन्हीं तीन में से किसी एक category में आते हैं !  वैसे भी दोस्तों भाग्य भी उन्हीं का ही साथ देता है जो स्वयं श्रमशील हैं ,  कर्मठ हैं,मेहनती हैं ! है ना ? तो कोनसी category के इंसान कहलाय जाना पसंद करेंगे आप ?

डॉ नीरज…. 

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सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

Avoid these food combinations for health in hindi





                               ये साथ है खराब ....


दोस्तों,

आहार या food ऐसी चीज है जो आपको healthy भी रख सकती है और बीमार unhealthy भी कर सकती है ! क्या खाना चाहिए ,कब खाना चाहिए ,कैसे खाना चाहिए इस बारे में तो हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं !

आयुर्वेद में कई तरह के  विरुद्ध आहार का वर्णन है ! आज हम संयोग विरुद्ध आहार की बात करेंगे !     
अगर आम भाषा में कहूँ तो ,उदाहरण के लिए  , दूध अपने आप में healthy और body के लिए हितकर है ,मूली भी अपने आप में शरीर के लिए अच्छी है ! लेकिन अगर इन दोनों को साथ में या थोड़े gape में खाएँगे ,तो इनका ये combination हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होगा !

अगर हम अधिकतर इसी तरह के contrary food का सेवन  रहेंगे ,तो हमें allergy, skin disease , विसर्प ,उन्माद , आध्मान , पाण्डु ,गले के रोग ,विसूचिका , कुष्ठ , ज्वर, जुकाम और दोषों की विषमता जैसे कई रोग हो सकते हैं ! क्योंकि इन विरुद्ध आहार के खाने से हमारा रक्त दूषित होता है ! और फिर ये रक्तजन्य बीमारियाँ और बाकी धातुओं को भी दूषित करता है !

कुछ चीजें nature से ही ,  ज्यादा खाने पर ,बार-बार खाने पर unhealthy होती हैं ,like--
उड़द की दाल ,खारा नमक , सरसों का साग ,गर्मी का मौसम , दही ,क्षार (soda ), माँस ,राब आदि 

संयोग विरुद्ध पदार्थ(contrary food) ---

दूध के साथ --
सभी खट्टे फल (नीबू ,नारंगी ,अनानास आदि )
कुलथी दाल , मटर ,मोठ ,बेलफल ,तोरई ,नमक ,तिलकुट ,जामुन, दही, तेल, मछली ,सत्तू ,बेंगन ,मूली ,कटहल ,उड़द दाल आदि नहीं खाने चाहिए !

दही -केला , शहद -घी , शहद-मछली , शहद-मूली ,शहद-गर्म पानी, खिचड़ी -खीर , छाछ-केला ,उड़द दाल-मूली आदि साथ में नहीं खाने चाहियें !

अगर हम इन छोटी पर काम की बातों का ध्यान रखेंगे तो हम कई तरह के रोगों से सहज ही बचे रहेंगे !

डॉ नीरज यादव 
MD ,(आयुर्वेद )


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सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

we are responsible




                                  हम पर निर्भर है



एक गाँव में एक सन्त रहा करते थे ! वो अपने पास आने वाले भक्तों ,व्यक्तियों के सवालों का सही जवाव दिया करते थे ! लोगों की उन पर बड़ी श्रद्धा थी ! गाँव के एक शरारती लड़के ने सोचा कि में इन महात्मा जी को गलत साबित कर के रहूँगा ! वो अपने हाथ की हथेली में एक छोटी सी चिड़िया छुपा कर ले गया ! अपने हाथ अपनी पीठ के पीछे कर उसने महात्मा जी से पूछा ---महाराज ,मेरे हाथ में क्या है ?   एक चिड़िया है ,महात्मा जी ने कहा 
वो चिड़िया जिन्दा है या मरी हुई ,लड़के ने पूछा ! वो ये सोच के गया था कि अगर महात्मा जी जिन्दा बताएँगे तो में पीठ के पीछे ही उस चिड़िया की गर्दन मरोड़ कर मार दूंगा , और अगर मरी हुई बताएँगे तो उसे जिन्दा आजाद कर दूंगा ! इस तरह उन महाराज को में गलत साबित कर दूंगा ! 
बताइये महाराज चिड़िया जिन्दा है या मरी है ? 
महात्मा जी मुस्कुराए ,बोले --ये तुम पर निर्भर है !

दोस्तों ,हम भी अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं ,पाना चाहते हैं ,करना चाहते हैं ,ये सब बहुत कुछ हम पर ही निर्भर है ! हम एक सफल इंसान बनेंगे या ऐसे ही जिंदगी बिता देंगे ,हम पर निर्भर है ! सब कुछ नहीं पर बहुत कुछ तो हम पर ही निर्भर है !

सुबह जल्दी उठने के लिए आप अलार्म लगाते हैं ,माँ bed-tea बनाकर ला देती हैं ! बहिन बार बार आवाज लगा कर उठाती  है ! छोटा भाई आपके मुंह पर पानी के छींटे डालता है ! कोशिश सब करते हैं आप को सुबह जल्दी उठाने की ,लेकिन जल्दी  उठना   या  नहीं उठना , finally तो आप पर ही निर्भर है ,है ना ?

मातापिता हमारे अच्छे भविष्य के लिए हमें अच्छी शिक्षा दिलाते हैं ,जरुरत की हर चीज ला कर देते हैं ! हमें motivate करते हैं ! दूसरे शहर में पढने भेजते हैं ! तपस्या करते हैं ! उनकी इस तपस्या को सफल करना या नहीं करना फिर हम पर ही निर्भर है !

मैं ये नहीं कहता की हर चीज 100 % हम पर ही निर्भर है ,कभी कभी कुछ परिस्थितियां होती हैं ,मजबूरियां होती हैं कि हम चाह कर भी कुछ  मन माफिक नहीं कर पाते ! 

हम लोगों में से अधिकतर मोटे नहीं होना चाहते ,छरहरे रहना चाहते हैं ! हम जीभ के 2 सेकंड के स्वाद के लिए ,बार बार ,unhealthy ,तला भुना ,junkfood /fastfood  खाएँगे ,या अपनी सेहत और स्वास्थ्य के लिए नियम संयम से खाएँगे ! ये भी हम पर ही निर्भर हैं !

एक गहरी नदी में कूदने पर हम हताश होकर डूब जाएंगे या लहरों से जूझ कर ,साहस के साथ तैर कर पार निकल जाएंगे ,हम पर ही निर्भर है !

last में…
इस post को पढ़कर आप अपने अमूल्य comments देंगे या नहीं ,ये भी आप पर ही निर्भर है 

डॉ नीरज 

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रविवार, 29 सितंबर 2013

Days of the month in hindi





                            महीने के दिन ....


दोस्तों , 

ये तो हम सभी जानते हैं ,की साल में 12 महीने होते हैं ,लेकिन कितने महीने 30 दिन के और कितने 31 दिन के होते हैं ,यह हम आराम से नहीं बता सकते ,है ना ?

आज net पर हर ज्ञान उपलब्ध है ,लेकिन पहले के हमारे बड़े-बुजुर्गों ने भी अपने अनुभव और ज्ञान से कुछ सूत्र ईजाद  किये थे ,जिनकी सहायता से हम बड़ी से  बड़ी चीज भी आसानी से याद कर लेते थे !

बचपन में मुझे भी बड़ा confusion होता था कि कोनसा महिना 31 का है और कोनसा 30 दिन का !
मेरे दादाजी ने मुझे 2 तरीके बताये थे ,इसे याद रखने के ---

उन्होंने एक दोहा बताया था ,वो था --

अप्रैल,सितम्बर जानिये ,जून,नवम्बर तीस (30 )
28 की फरवरी , बाकी सब इकत्तीस (31 )


है ना आसान तरीका ,चलिए दूसरा भी देखते हैं ----


अपने हाथ की मुट्ठी बांधने पर गड्डे और उभार दीखते हैं ,तो जो उभरी जगहें हैं वो 31 के महीने हैं और जो pits हैं वो 30 के महीने हैं --


दोस्तों ,हम net और books से बहुत कुछ knowledge ले सकते हैं ,लेकिन  हमारे बड़े-बुजुर्गों  के पास बहुत कुछ अनुभव और ज्ञान की सम्पदा है ,जो वो हमें बड़ी सहजता और आराम से सिखा सकते हैं ! एक चीनी कहावत है --एक बुजुर्ग एक library के बराबर होता है ,तो क्यों न हम अपने दादा-दादी ,नाना-नानी आदि बड़ों के ज्ञान का लाभ उठायें !

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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

the rule of 72





                                     72 का नियम 



दोस्तों ,

 ये नियम हमें वार्षिक ब्याज दर या रूपए के दुगना होने की दर को आसानी से बताता है ! जीवन में रूपए की कीमत होती है ! हम अपने पैसे को बढाने के लिए या तो invest करते हैं या बैंक में saving करते हैं,FD ,RD ,PPF  ,NSC आदि लेते हैं  ! इनमे हमारा पैसा कितने समय में दुगना होगा , इस नियम के सहयोग से हम इसे आसानी से जान सकते हैं ! 


                                                      72 
                                                 ---------------   =   साल ( जितने में पैसे दुगने होंगे )
                                                   ब्याज दर 



for ex. --

अगर interest rate 10 % है तो इस नियम से ----


                      72 
                  ----------   =लगभग 7. 2 साल  में पैसा दुगना हो जाएगा 
                     10 



अगर interest rate 8% है तो इस नियम से ----

                       72 
                    ---------  =  लगभग 9 वर्ष में 
                       8 


इसी तरह इस नियम की सहायता से हम अपने रूपए के दुगने होने की दर जान सकते हैं !

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