इस साल तो पा ही लें .........
दोस्तों ,
आप सभी को नव-वर्ष 2013 की अनेकों शुभ-कामनाएं .........
दुआ है ...
ये नव-वर्ष जीवन में .....
उमंग , उत्साह ,खुशियाँ ,सफलता ,धन , समृद्धि और संतोष लेकर आये !
दोस्तों ,
हर व्यक्ति के जीवन में हर साल 2 ऐसे दिन आते हैं ,जब वो अपने अतीत को देख अपने भविष्य की योजनाओं का निर्धारण करता है ! एक तो स्वयं उसका जन्मदिन और दूसरा नए साल का पहला दिन !
हम हर नए साल के लिए कुछ संकल्प लेते हैं ! हर जाते साल के आखिरी दिनों में हमें बड़ा अफ़सोस होता है ,उन कामों के लिए जो हम नहीं कर पाये ,वो लक्ष्य जो अपने आलस ,लापरवाही ,दीर्घसूत्रता की वजह से नहीं हासिल कर पाए ! हमें साल के अंतिम दिन बड़ी ग्लानी होती है की पूरा साल जाया कर दिया ! ऐसे ही गँवा दिया ! बहुत कुछ था जो हम थोड़ी सी भी मेहनत करते तो पा सकते थे ! ऐसे मे हम थोड़े दार्शनिक हो जाते हैं ! है ना ?
लेकिन तभी हमारा मन हमें बहला देता है की इस साल हम कुछ नहीं कर पाए तो कोई बात नहीं , नया साल आ रहा है ना ! इस नए साल मैं जिंदगी में बहुत कुछ करूँगा ,बहुत से लक्ष्यों को हासिल करूँगा ,ये करूँगा ,वो करूँगा ..........!
फिर मन हमको आत्मसंतुष्टि के सफ़र पर ले जाता है ! मन अनेकों कल्पनाएं करता है ,नए साल के नए नए मंसूबे बांधता है !
हम अपने ख्यालों में ही अपने आने वाले साल के लक्ष्य सोच लेते हैं ! फिर मन ही मन हम संतुष्ट भी हो लेते हैं ,की चलो
अगले साल के लिए कितना सारा काम ,कितने सारे लक्ष्य इकट्ठे कर लिए हैं !
हम में से अधिकतर लोग अपने अगले साल के लक्ष्य निर्धारित कर के ही संतुष्ट हो जाते हैं , हमारा मन हमें वहीँ आत्मतृप्ति दे देता है की देखो कितना काम (?) कर लिया ! चलो अब चैन से सोते हैं !
हमें,हमारी आत्मा को जो थोड़ी देर पहले अपना समय ,अपना साल जाया करने की ग्लानी हुई थी ,जिससे सबक लेकर हम अपने अगले वर्ष के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु पूरी तरह जुट सकते थे ! मन उस ग्लानी रुपी चिंगारी को अपने आत्म तृप्ति के भुलावे से बुझा देता है ! है ना ?
हम सभी के मन में अनेकों (हजारों ) कल्पनाएं उठती हैं ! उन कल्पनाओं में से कुछ (सेंकडों ) विचारों में परिणित होती हैं ! उन विचारों में से भी मात्र 2-4 % ही संकल्प में तब्दील होती हैं ! और उन मानसिक 2-4 % संकल्पों में भी मात्र 1 या 2 % ही कर्म में परिणित हो पाती हैं ! हम सोचते तो लाख की हैं ,पर करते एक के लिए भी मुश्किल से ही हैं !
- कल्पना ---> विचार ---> संकल्प ---> कर्म ---> लक्ष्य प्राप्ति
हर साल बहुत उमंग ,उत्साह से हम अपने लक्ष्यों की list बनाते हैं , बहुत कुछ निर्धारण करते हैं की नए साल में ये सब करना है , फिर करना शुरू करते भी हैं लेकिन अधिकतर के लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न जनवरी के ही ख़त्म होते होते दूध के उफान की तरह ठंडा हो जाता है ! है ना ?
फिर भी बीच-बीच में हमारा हृदय हमें याद दिलाने की कोशिश भी करता है ,की सावधान ,समय बेकार जा रहा है ,कुछ करो भाई ?
लेकिन हमारा मन हमें तुरंत ही बहला देता है ,अरे ! ऐसी भी क्या जल्दी है ,अभी तो पूरा साल पड़ा है ,कर लेंगे .......!
फिर पता पड़ता है किसी दिन ,की अरे आज तो 31 दिसम्बर हो गया और हम वहीँ के वहीँ ! इस साल कुछ ख़ास हासिल ही नहीं कर पाए ! फिर वही क्षणिक ग्लानी ,फिर वही मन का बहलाना , और यही चक्र अधिकतर व्यक्तियों के जीवन में जीवन पर्यंत चलता है ! है ना ?
दोस्तों आइये इस नए साल में इस चक्र को तोड़ें ! अपने मन की बातों में न आयें ! लक्ष्य कम लेकिन ठोस बनाएं ! और कोशिश करें की नए साल में हम अपनी मेहनत ,नियमितता और एकाग्रता से उन लक्ष्यों को हासिल कर ही लेंगे !
तो देर किस बात की .......लीजिये डायरी -पेन और लिख डालिए वो लक्ष्य जिन्हें नए साल में आप हासिल कर के ही रहेंगे !
पुनः आप सभी को नव-वर्ष 2013 की मंगल-कामनाएं ..........
डॉ नीरज यादव
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