may14

रविवार, 4 नवंबर 2012

अवधूत दत्तात्रेय के 24 गुरु ...






              अवधूत दत्तात्रेय के 24 गुरु ...


परम तेजस्वी अवधूत दत्तात्रेय का दर्शन पाकर राजा  यदु ने अपने को धन्य माना और विनयावनत होकर पूछा --" आपके शरीर ,वाणी और भावनाओं से प्रचंड तेज टपक रहा है ! इस सिद्धावस्था को पहुँचाने वाला ज्ञान आपको जिन सदगुरु द्वारा मिला हो उनका परिचय मुझे देने का अनुग्रह कीजिये "!


अवधूत ने कहा --"राजन! सदगुरु किसी व्यक्ति विशेष को नहीं मनुष्य के गुणग्राही दृष्टिकोण को कहते हैं !  विचारशील लोग सामान्य वस्तुओं और घटनाओं से भी शिक्षा लेते और अपने जीवन में धारण करते हैं ! अतएव उनका विवेक बढ़ता जाता है ! यह विवेक ही सिद्धियों का मूल कारण है !

अविवेकी लोग तो ब्रह्मा के समान गुरु को पाकर भी कुछ लाभ उठा नहीं पाते !इस संसार में दूसरा कोई किसी का हित साधन नहीं करता ,उद्धार तो अपनी आत्मा के प्रयत्न से ही हो सकता है !


मेरे अनेक गुरु हैं ,जिनसे भी मैंने ज्ञान और विवेक ग्रहण किया है  उन सभी को मै अपना गुरु मानता हूं !पर उनमे 24 गुरु प्रधान हैं ,ये हैं ---



  • पृथ्वी (धरती )-- सर्दी ,गर्मी ,बारिश को धेर्यपूर्वक सहन करने वाली ,लोगों द्वारा मल -मूत्र त्यागने और पदाघात जैसी अभद्रता करने पर भी क्रोध ना करने वाली ,अपनी कक्षा और मर्यादा पर निरंतर ,नियत गति से घूमने वाली पृथ्वी को मैंने गुरु माना है !


  • वायु (हवा)--  अचल (निष्क्रिय ) होकर ना बेठना ,निरंतर गतिशील रहना ,संतप्तों को सांत्वना देना ,गंध को वहन तो करना पर स्वयं निर्लिप्त रहना ! ये विशेषताएं मैंने पवन में  पाई और उन्हें सीख कर उसे गुरु माना !


  • आकाश (गगन)--  अनंत और विशाल होते हुए भी अनेक ब्रह्मांडों को अपनी गोदी में भरे रहने वाले ,ऐश्वर्यवान होते हुए भी रंच भर अभिमान ना करने वाले आकाश को भी मैंने गुरु माना  है !


  • जल (पानी)-- सब को शुद्ध बनाना ,सदा सरल और तरल रहना ,आतप को शीतलता में परिणित करना ,वृक्ष ,वनस्पतियों तक को जीवन दान करना ,समुद्र का पुत्र होते हुए भी घर घर आत्मदान के लिए जा पहुंचना -इतनी अनुकरणीय महानताओ के कारण जल को मैंने गुरु माना !


  • यम -- वृद्धि पर नियंत्रण करके संतुलन स्थिर रखना ,अनुपयोगी को हटा देना ,मोह के बन्धनों से छुड़ाना और थके हुओं को अपनी गोद में विराम देने के आवश्यक कार्य में संलग्न यम  मेरे गुरु हैं !


  • अग्नि -- निरंतर प्रकाशवान रहने वाली , अपनी उष्मा को आजीवन बनाये रखने वाली , दवाव पड़ने पर भी अपनी लपटें उर्ध्वमुख ही रखने वाली ,बहुत प्राप्त करके भी संग्रह से दूर रहने वाली ,स्पर्श करने वाले को अपने रूप जैसा ही बना लेने वाली ,समीप रहने वालों को भी प्रभावित करने वाली अग्नि मुझे आदर्श लगी ,इसीलिए उसे गुरु वरण कर लिया !


  • चन्द्रमा -- अपने पास प्रकाश ना होने पर भी सूर्य से याचना कर पृथ्वी को चांदनी का दान देते रहने वाला परमार्थी चन्द्रमा मुझे सराहनीय लोक-सेवक लगा !         विपत्ति में सारी  कलाएं क्षीण हो जाने पर भी निराश होकर ना बेठना  और फिर आगे बढ़ने के साहस को बार -बार करते रहना  धेर्यवान चन्द्रमा का श्रेष्ठ गुण कितना उपयोगी है ,यह देख कर मैंने उसे अपना गुरु बनाया !



  • सूर्य -- नियत समय पर अपना नियत कार्य अविचल भाव से निरंतर करते रहना ,स्वयं प्रकाशित होना और दूसरों को भी प्रकाशित करना ,नियमितता ,निरंतरता ,प्रखरता और तेजस्विता के गुणों ने ही सूर्य को मेरा गुरु बनाया 1



  • कबूतर -- पेड़ के नीचे बिछे हुए जाल में पड़े दाने को देखकर लालची कबूतर आलस्यवश अन्यत्र ना गया और उतावली में बिना कुछ सोचे विचारे  ललचा गया और जाल में फँस पर अपनी जान गवां बैठा ! यह देख कर मुझे ज्ञान हुआ की लोभ से ,आलस्य से और अविवेक से पतन होता है ,यह मूल्यवान शिक्षा देने वाला कबूतर भी मेरा गुरु ही तो है !


  • अजगर -- शीत ऋतु में अंग जकड जाने और वर्षा के कारण मार्ग अवरुद्ध रहने के कारण भूखा अजगर मिटटी खा कर काम चला रहा था और धेर्य पूर्वक दुर्दिन को सहन कर रहा था ! उसकी इसी सहनशीलता ने उसे मेरा गुरु बना दिया !



  • समुद्र (सागर) -- नदियों द्वारा निरंतर असीम जल की प्राप्ति होते रहने पर भी ,अपनी मर्यादा से आगे ना बढ़ने वाला ,रत्न राशि के भंडारों का अधिपति होने पर भी नहीं इतराने वाला , स्वयं खारी होने पर भी बादलों को मधुर जल दान करते रहने वाला  समुद्र भी मेरा गुरु है !


  • पतंगा -- लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने प्राणों की परवाह न करके अग्रसर होने वाला पतंगा  जब दीपक की लौ पर जलने लगा तो आदर्श के लिए ,अपने लक्ष्य के लिए उसकी अविचल निष्ठा ने मुझे बहुत प्रभावित किया ! जलते पतंगे को जब मैने गुरु माना तो उसकी आत्मा ने कहा इस नश्वर जीवन को महत्त्व ना देते हुए अपने आदर्श और लक्ष्य के लिए सदा त्याग करने को उद्धत रहना चाहिये !



दोस्तों ,आज बस इतना ही ,बाकी 12 गुरु अगली पोस्ट पर ........     आभार 

एक निवेदन --please comment जरूर कीजिएगा ........

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