may14

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

happy dasara.........





              आइये  हम अपने दशानन पर विजय करें ....


दोस्तों ,

                आप सभी को विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं 


राम भी हमारे में हैं , और रावण  भी हमारे अन्दर ही है !  दोनों के ही गुण हमारे अन्दर हैं !   हम सभी मनुष्य एक पुल की तरह हैं   जिसके एक तरफ अच्छाई (राम) हैं   तो दूसरी तरफ बुराई (रावण)है !  अच्छे की राह थोड़ी ऊँची है उस तरफ जाने में मेहनत  लगती है ,पसीना निकलता है ,  कोशिश करनी पड़ती है और राह थोड़ी पथरीली भी है  लेकिन इसके बाबजुद जो इस राह पर चल देता है ,वही  राम बन जाता है !

वहीं  दूसरी तरफ बुराई की राह ढलान वाली है फिसलने वाली है , उस तरफ जाने पर आपको बिलकुल चलने में मेहनत नहीं करनी पड़ती ,  आप सिर्फ एक कदम बढ़ा दीजिये पाँव अपने आप उस रस्ते पर फिसलने लगते हैं !  लेकिन इस ढलान का अंत बुराई के कीचड रुपी दलदल में होता है !  रावण वही  होता है जो इस बुराई  के रस्ते पर चलता है !

अब आपको किस रस्ते पर जाना है ,ये आपकी मर्जी है ,  क्योंकि आपकी जिंदगी के रथ के सारथि तो आप ही हैं !  है ना ?

दोस्तों ,   हमने रावण के पुतले तो बहुत जला लिए लेकिन अब  आइये इस विजयादशमी पर हम अपने ---

काम        क्रोध         अहंकार      डर        तनाव        लालच       निराशा       द्वेष        कटु वचन     और    आलस    रुपी दशानन का 

अपने   दृढ निश्चय       प्रेम       सदबुद्धि      निडरता       निरंतरता       मेहनत      मीठी बोली        आशा      नम्रता    और    शुचिता   रुपी राम के तीरों से संहार करें !

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