पर उपदेश कुशल बहुतेरे ...
दोस्तों ,ये कहावत आपने अक्सर सुनी होगी ! इसका आशय है की दूसरों को ज्ञान देना बहुत आसान है ! लेकिन खुद अमल करना उतना ही मुश्किल ! हम आज उस समाज मे रह रहे हैं जहाँ हर कोई एक दुसरे को ज्ञान देने पर तुला है ! जहाँ उपदेश देने वालों की भी कमी नहीं है , वहीँ उपदेश सुनने वाले भी बहुत हैं ! उपदेश दिए भी जा रहे हैं ,उपदेश लिए भी जा रहे हैं ,लेकिन उन पर अमल कोई नहीं कर रहा !
ऐसा अधिकतर होता है की किसी को परेशानी मे देख बजाए उसका दुःख बांटने के हम उसे उपदेश देने लग जाते हैं ! किसी की छोटी सी गलती हमे अक्षम्य लगती है , लेकिन हमारी बड़ी से बड़ी गलती पर भी हम ये बर्दाश्त नहीं कर पाते की कोई हमे कुछ कह भी दे !
सामने वाले का हाथ भी कट जाए तो उसे भी हम ज्ञान देने से नहीं चूकते ,' क्यों चिल्ला रहा है ? हाथ ही तो कटा है ! कोनसा पहाड़ टूट गया ! सही हो जाएगा ! क्या कमजोर आदमी है ! जरा होसला रख ! लेकिन वहीँ हमे जरा सी एक सुई भी चुभ जाए फिर देखिये सारा आसमान हम सर पर उठा लेते हैं !
एक सच्चा इंसान वही है जो वो अपनाता है ,वही दूसरों को बतलाता है !
एक बार एक बहुत बड़े महात्मा थे ! रोज उनके पास सेंकडों लोग प्रवचन सुनने आते थे ! महात्मा जी भी खूब ज्ञान ,ध्यान की बातें उनको बताते थे ! उनकी समस्याओं का समाधान करते थे ! मोह माया से दूर रहने का उपदेश देते थे ! एक बार गाँव मे एक व्यक्ति का जवान बेटा मर गया ! उस व्यक्ति पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ! रो रो कर उसका बुरा हाल हो गया ! वो अपनी सुध बुध खो बेठा ! उसकी ऐसी अवस्था देख गाँव के लोगों ने महात्मा जी से कहा ! महात्मा जी उसके घर गए , उसको समझाया , उपदेश दिया ,"बेटा ,दुनिया तो आनी -जानी है , जो आया है वो तो जाएगा भी ! शरीर तो नश्वर है ,आत्मा अमर है ! मोह माया व्यर्थ है ! अपने को मजबूत बनाओ ,इस दुःख से बाहर निकलो ! ऐसे जरा सी बात पर ऐसे रोना चिल्लाना अच्छा नहीं है !
महात्मा जी के उपदेश और प्रवचनों को सुन कर वह आदमी थोडा सही हुआ ! उसने अपनी भावनाओं को काबू मे किया ! महात्मा जी को प्रणाम कर बोला , आपने मेरी आँखें खोल दी! मुझे दुःख से निकलने का रास्ता बता दिया ! महात्मा जी के भक्तों की संख्या मे एक का इजाफा हो गया ! वो रोज महात्मा जी के दर्शन के लिए जाने लगा !
एक दिन जब वो दर्शन के लिए गया तो देखा ,महात्मा जी बुरी तरह दहाड़े मार कर रो रहे हैं ! छाती पीट रहे हैं ! आंसू बह बह कर उनकी दाड़ी को गीला किये जा रहे हैं ! लोगों का हुजूम महात्मा जी को घेरे खड़ा है ! उसने अपने पास खड़े व्यक्ति से पूछा ,'क्या हुआ भाई , ये महात्मा जी ऐसे क्यों रो रहे हैं ? उसने कहा ,"देखता नहीं , सामने महात्मा जी की बकरी मरी पड़ी है ! उस आदमी को बड़ा आश्चर्य हुआ ! वो महात्मा जी के पास गया और बोला ,"महात्मा जी ,आपको यूँ एक बकरी के लिए रोना चिल्लाना शोभा नहीं देता ! उस दिन मेरे लड़के के मरने पर आप मुझे मोह माया से दूर रहने का उपदेश दे रहे थे ! और आज एक बकरी के लिए आप पछाड़ खा कर रो रहे हैं ?
तब महात्मा जी ने रोते हुए कहा ,"अरे भाई ,लड़का तो तेरा था ,पर बकरी तो मेरी थी !
--------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------