may14

रविवार, 19 अगस्त 2012

पैसे की कीमत ....


                                               पैसे की कीमत ....


दोस्तों ,  एक इंसान की जिंदगी का सफ़र उसके अपनी मां  के पेट मे आने के समय से ही शुरू हो जाता है !   या हम कहें की संस्कारों का बीजारोपण  माँ के गर्भ से ही होने लगता है,   जिस तरह अभिमन्यु ने माँ   के गर्भ मे ही चक्रव्यूह   तोड़ने का संस्कार पा लिया था !  
हमारे पैदा होने से लेकर बाकी सारी जिंदगी के सफ़र मे कुछ बातें , कुछ द्रश्य ,  कुछ विचार , कोई सीख , किसी की सलाह ,ऐसी अनेक चीज हैं जो हम पर  जाने अनजाने अपनी अमिट छाप छोड़ जाती हैं , वो अनजाने ही हमारे संस्कार बन जाते हैं    हम  उन्हें  ताउम्र नहीं भूल पाते , है ना ?

ऐसे ही बहुत साल पहले जब मै बहुत छोटा था , मै किसी पेपर की xerox   करवाने किसी शॉप पर गया था , उस समय एक रूपया  आज के 10 रुपये के बराबर होता था !  वहां xerox के पैसे देते समय मेरी जेब से एक  रूपए का सिक्का निकल कर जमीन पर गिर गया   और टेबल के नीचे चला गया !  मैंने एक नजर देखा ,  नहीं दिखा  तो मैंने सोचा जाने दो , मुझे बड़ा अजीब सा लगा ,  एक रूपए को ढूंढने के लिए जमीन पर झुकना !
मै xerox   के पैसे देकर आने लगा   तभी वहां  एक  सज्जन बैठे थे , वो city  के माने हुए सेठ थे , वो इस परिस्थिति और मेरी मनस्थिति दोनों को देख रहे थे ! 
मुझे अभी भी वो शब्द याद हैं  , जब मुझे उन्होंने  पास बुला कर कहा , 'बेटा , नीचे झुको और अपना रुपया ढुंढो ,  रूपए की क़द्र करना सीखो, जब स्वयं कमाओगे  तब जानोगे की एक रुपया कैसे कमाया जाता है !  और एक रूपये से ही एक लाख  और करोड़  रुपये बनते हैं ,जो इंसान एक रूपए की क़द्र नहीं करता ,वो एक करोड़  रूपए की भी क़द्र नहीं कर सकता ! 
उन  सज्जन के वो शब्द एक संस्कार की तरह मेरे स्मृति मे अमिट रूप से save हो गए !   आज इतने वर्ष बाद भी वो बात याद रहती है !  सही भी है जो इंसान पैसे की क़द्र नहीं करता एक समय बाद पैसा भी उसकी क़द्र नहीं करता !  और दोस्तों   बूंद बूंद करके तो सागर भी खाली हो जाते हैं ! है ना ?
और हम स्वयं पैसे की कीमत समझेंगे , तभी अपने बच्चों को बचत कि अहमियत और पैसे की कीमत समझा पाएँगे ! 
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