may14

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा .....




                                   निर्विघ्नं कुरु में देव  सर्व कार्येषु सर्वदा .....


दोस्तों ,
गणेश चतुर्थी  के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक मंगल कामनाएं ! 

दुआ है   
रिद्धि सिद्धि के दाता,विघ्नहर्ता ,सुखकर्ता ,सदबुद्धि के दाता गजानन
        achhibatein के सभी सुधि पाठक जनों  और 
                                         इस संसार के सभी प्राणियों को 
                                                             अपने आशीष से नवाजें !

सृष्टी के सर्वप्रथम पूज्य देव गणेश  जी हैं !  गजानन जी रिद्धि -सिद्धि ,शुभ -लाभ ,बुद्धि के दाता हैं !  गणेश जी का हर अंग प्रत्यंग हमे जीने का सही ढंग बताता है ! 

गज  मुख --गज अर्थात ब्रह्म !  बड़ा सर बड़ी सोच को दर्शाता है !  हमे जीवन मे हमेशा बड़ा और श्रेष्ठ ही चिंतन करना चाहिये !

चार भुजाएं --ये हमे चार विशेषताओं को अपने पुरुषार्थ से पाने का इशारा करती हैं , वे हैं --समझदारी ,इमानदारी ,जिम्मेदारी  और बहादुरी !  ये 4 भुजाएं धर्म ,अर्थ ,काम  और मोक्ष की भी परिचायक हैं !

इन 4 भुजाओं मे गजानन 4 चीजें धारण करते हैं --पाश ,अंकुश दन्त और वर !

पाश --मोहनाशक है !  हमे हमेशा सजग रहना चाहिये , कभी भी किसी भी परिस्थिति मे मोह ग्रस्त नहीं होना चाहिये , अपना विवेक बनाये रखना चाहिये ! 
अंकुश --यानी रोक !  हमे अपनी बुरी आदतों ,आलस्य, प्रमाद ,लोभ ,अहंकार ,वासना  इर्ष्या पर अंकुश रखना चाहिये ! 
दन्त --दुष्ट नाशक ,शत्रु विनाशक है !  हमे अपने उपरोक्त आलस,डर,तनाव, भय जैसे शत्रुओं का विनाश कर देना चाहिये !
वर --यानी अभिष्ट की प्राप्ति !  अच्छाई की ,सफलता की ,श्रेष्टता की ,सुख की प्राप्ति का वर हमे पाना चाहिये ! 

लम्बोदर --अच्छी पाचन शक्ति होने के कारण गणेश जी को लम्बोदर भी कहते हैं !  जो सारी  सृष्टी की सभी चीजें अपने उदर मे समा लेते हैं ! हमे भी लम्बोदर सा होना चाहिये  , दूसरों की कमी ,बुराई ,अपनी अच्छाई ,अहंकार , कटाक्ष ,जैसी बातों को अपने अन्दर ही रखना चाहिये !

सूप  जैसे कान -- सूप असली को  नकली से अलग करने का कार्य करता है !  चीजो को छान कर ,कचरा हटा कर फिर उन्हें रखता है !  हमे भी सूप की तरह अच्छी और श्रेष्ठ बातों को ही अपने कान के अन्दर जाने देना चाहिये !  गलत और खराब बातों को बाहर ही फटक देना चाहिये ! 

वाहन मूषक (चुहा)-- चूहा विवेचक ,विभाजक ,भेद्कारक और बुद्धि का सूचक है !
गणेश अर्थात----विवेक             चुहा अर्थात ----बुद्धि 
चुहे  पर गणेश जी का बिराजना यह दर्शाता है की हमे भी अपनी बुद्धि को विवेक तले ही रखना चाहिये !  क्योंकि  बांसुरी बनाने वाली बुद्धि कब बन्दूक बना दे ,पता नहीं ! 

पुनः आप सभी को गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाएं ..........

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