may14

सोमवार, 23 जुलाई 2012

Pt.Sri Ram Sharma Aacharya quotes in hindi


                          * पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी के अनमोल वचन *
  •  तुम्हे यह सीखना होगा की इस संसार मे कुछ कठिनाइयां हैं जो तुम्हे सहन करनी हैं !  वे पूर्व कर्मो के फलस्वरूप तुम्हें अजय प्रतीत होती हैं !  जहाँ कहीं भी कार्य में घबराहट ,थकावट और निराशाएं हैं, वहां अत्यंत प्रबल शक्ति भी है ! अपना  कार्य कर चुकने पर इक और खड़े होओ!   कर्म के फल को समय की धारा  मैं प्रवाहित हो जाने दो! 
  • अपनी शक्ति भर कार्य करो और तब अपना आत्मसमर्पण करो !  किन्ही भी घटनाओं मे हतोत्साहित ना होओ !  तुम्हारा अपने ही कर्मो पर अधिकार हो सकता है,दुसरो के कर्मो पर नहीं!  आलोचना ना करो,भय ना करो आशा ना करो ,सब अच्छा ही होगा !
  • जब निराशा और असफलता को अपने चारो और मंडराते देखो तो समझो की तुम्हारा चित्त स्थिर नहीं है, तुम अपने ऊपर विश्वास नहीं करते!  वर्तमान दशा से छुटकारा नहीं हो सकता जब तक की अपने पुराने सड़े-गले विचारों को बदल ना डालो!  जब तक ये विश्वास ना हो जाए की तुम अपने अनुकूल चाहे जैसी अवस्था निर्माण कर सकते हो , तब तक तुम्हारे पैर उन्नति की और बढ नहीं सकते!  अगर आगे भी नहीं संभलोगे तो हो सकता है की दिव्य तेज किसी दिन बिलकुल ही क्षीण हो जाए !  यदि तुम अपनी वर्तमान अप्रिय अवस्था से छुटकारा पाना चाहते हो ,तो अपनी मानसिक निर्बलता को दूर भगाओ!  अपने अन्दर आत्मविश्वास जाग्रत करो!
  • इस  बात का शोक मत करो की मुझे बार बार असफल होना पड़ता है !  परवाह मत करो क्योंकि समय अनंत है !   बार बार प्रयत्न करो और आगे की ओर कदम बढाओ !  निरंतर कर्त्तव्य करते रहो ,आज नहीं तो कल तुम सफल होकर रहोगे! 
  • सहायता के लिए दूसरो के सामने मत गिडगिडाओ  क्योंकि यथार्थ मे किसी मे भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सके!  किसी कष्ट के लिए दूसरो पर दोषारोपण मत करो ,क्योंकि यथार्थ मे कोई भी तुम्हे दुःख नहीं पहुचा सकता!  तुम स्वयं ही अपने मित्र हो और स्वयं ही अपने शत्रु हो!  जो कुछ भली बुरी स्थितियां  सामने हैं, वह तुम्हारी ही पैदा की हुई हैं ! अपना द्रष्टिकौण बदल दोगे तो दुसरे ही क्षण  यह भय के भूत अंतरिक्ष मे तिरोहित हो जाएंगे!
  • एक साथ बहुत सारे काम निबटने के चक्कर  मे मनोयोग से कोई कार्य पूरा नहीं हो पाता!  आधा अधूरा कार्य छोड़ कर मन दुसरे कार्यो की ओर दौड़ने लगता है ! यहीं  से श्रम ,समय की बर्बादी प्रारम्भ होती है  तथा मन मे खीज उत्पन्न होती है!  विचार और कार्य सीमित एवं संतुलित कर लेने से श्रम और शक्ति का अपव्यय रुक जाता है और व्यक्ति सफलता के सोपानो पर चढ़ता चला जाता है!
  • दूसरो  से यह अपेक्षा करना की सभी हमसे होंगे  और हमारे कहे अनुसार चलेंगे !  मानसिक तनाव बने रहने का , निरर्थक उलझनों मे फंसे रहने का मुख्य कारण है !  इससे छुटकारा पाने के लिए ये आवश्यक है की हम चुपचाप शांतिपूर्वक अपना काम करते चलें और लोगों को अपने  हिसाब से चलने दें !  किसी व्यक्ति पर हावी होने की कोशिश  ना करें  और ना ही हर किसी को खुश रखने के चक्कर मे अपने अमूल्य समय और शक्ति का अपव्यय ही करें !
  • दूसरो का विश्वास तुम्हें अधिकाधिक असहाय और दुखी बनाएगा !  मार्गदर्शन के लिए अपनी ही ओर देखो ,दूसरो की ओर नहीं !  तुम्हारी सत्यता तुम्हें दृढ बनाएगी ! तुम्हारी द्रढता  तुम्हें लक्ष्य तक ले जाएगी !
  • असफलता केवल ये सिद्ध करती है की सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ !

5 टिप्‍पणियां:

  1. ye jeevan main ik person ko compleat energy sai jene ki prerna deta hai

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  2. please suggest some more quotes.....the updated ones are positive and giving a line to mental thought....actually they are food of thoughts...vivek....

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  3. नर हो न निराश करो मन को...श्री मैथली शरण गुप्त जी की ये पक्तियां ही मुझे
    यहाँ पर इस लेख के लिए मुझे उपयुक्त लगती हैं.
    वास्तव में हम सब कुछ मानसिक बंधनों में जड़े हुए हैं,और इन से मुक्त हुए बिना जीवन को सफल बनाना लगभग नामुमकिन ही है.

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  4. ye jeevan ka vastvik setya hai . jisko aaj kel nahi follow kia jata hai . ager ye sub baton aaj sub follow karen to is sansar main koi dukhi hee naho . very nice post

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दोस्त, आपके अमूल्य comment के लिए आपका शुक्रिया ,आपकी राय मेरे लिए मायने रखती है !