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सोमवार, 30 जुलाई 2012

भोजन(meal ) के नियम .........


                                                    भोजन(meal ) के नियम 

 दोस्तों, पिछले article achhibatein: जिगर मा बड़ी आग है ........  मे हमने जठराग्नि (appetite) के बारे मे बात की थी!  हमारे स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध  हमारी जठराग्नि से है और इसका सीधा सम्बन्ध  हमारे भोजन से है ,  हमारी भूख सही बनी रहे ,  खाना सही से पचता रहे ,  इसके लिए जरूरी है   की हम हमारे खाने पर ध्यान दें!  क्या खाना है  और कब खाना है, ये २ जरूरी बातें हैं!   हम खाना तो अच्छा खाते हैं, पोष्टिक खाते हैं पर टाइम बे टाइम खाते हैं तो उसका कोई फायदा नहीं !


जिस प्रकार आपकी लाखों की गाडी का ईंधन उसका पेट्रोल होता है ,  उसी तरह आपके  इस अनमोल शरीर  का ईंधन आपका खाना होता है !   यह खाने से मिली energy ही है   जो आपके शरीर  रूपी गाडी को अपने रास्ते पर चलाये रखती है!
भोजन का महत्व ----दोस्तों ,जिस तरह एक गाय हरा चारा खाती है ,  वो उसके शरीर मे दूध मे बदलता है ,  दूध से दही , दही से मक्खन   और मक्खन से घी बनता है और घी ताकत मिलती है !    उसी तरह हम जो खाना खाते हैं ,  वो पेट मे अच्छे से पच कर रस बनता है,  रस से रक्त (blood ),रक्त से मांस ,मांस से मेद(fat ),मेद  से अस्थि (bones ),अस्थि से मज्जा (bone marrow ),मज्जा से शुक्र (semen ) और शुक्र से ओज (energy ) बनता है !    इसलिए सही खाना और सही समय पर खाना बहुत जरूरी है !   इसीलिए आयुर्वेद मे भोजन से संबंधित कुछ नियम बताये गए हैं ,जिनका सहज रूप से पालन कर हम हमारी जठराग्नि,  हमारे शरीर  को स्वस्थ और सबल रख सकते हैं ! 
भोजन(meal ) के नियम ---    
  • जिस तरह भट्टी की आग इंधन के बिना बुझ जाती है   उसी तरह भूख लगने पर खाना नहीं खाने से जठराग्नि मंद (slow )हो जाती है !
  • जो व्यक्ति खाने के समय के पहले ही खा लेते हैं उन्हें headache ,indigestion ,अजीर्ण जैसे रोग हो जाते हैं!
  • और जो व्यक्ति खाने के समय के बहुत बाद खाना खाते हैं   उनकी जठराग्नि को पेट की वायु नष्ठ कर देती है , जिससे उस खाने के पचने मे कठनाई होती है ,  और बाद मे खाना खाने की भी इच्छा नहीं होती है , शरीर  मे आलस्य सा बना रहता है !
  • दोस्तों अगर आप कुकर मे चावल पकाने को रखें , लेकिन अगर आप कूकर को पूरा ही चावल से भर दें !  या चावल  , पानी  और  हवा का अनुपात सही नहीं रखें तो आप भी जानते हैं   चावल नहीं पकेंगे या वो जल जायेंगे ,  या कच्चे रह जाएँगे !  उसी तरह आपका पेट भी एक pressure -cooker की ही तरह है !    खाना अच्छे से पचे इसके लिए आप पेट के काल्पनिक 4 भाग कीजिये ,  उनमे से 2 भाग अन्न से भरिये ,1 भाग पानी के लिए और 1भाग  हवा के लिए रहने दीजिये ! 
  • जिस तरह पहिये मे हवा कम भरेंगे तो वो puncher हो जाएगा और जरुरत से ज्यादा हवा भरने से वो फूट भी सकता है,  उसी तरह कम खाने से शारीर कमजोर हो जाता है ताकत घट जाती है , और जरूरत से ज्यादा खाने से आलस्य ,भारीपन, पेट दर्द, vomit ,diarroheaआदी हो जाते हैं!
  • प्यास लगने पर खाना खाना  और भूख  मे पानी नहीं पीना चहिये!
  • खाने के तुरंत पहले पानी पीने से जठराग्नि मंद और शरीर निर्बल हो जाता है !   खाने के तुरंत बाद  पानी पीने से कफ  बढता है ,लेकिन खाने के बीच बीच मे थोडा थोडा पानी पीने से अग्नि बढती है ! 
  • खाने  के तुरंत पहले पानी पीने से शरीर पतला ,खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर मोटा और बीच बीच मे थोडा पानी पीने से शरीर समान(ना मोटा ना दुबला ) रहता है!
  • खाना खाते ही तुरंत पैदल चलना, महनत करना ,या तुरंत नींद भर कर  सोना सही नहीं है !
  • जो व्यक्ति किसी तरह की शारीरिक महनत के तुरंत बाद ,या कही से थका हुआ आकर बिना पसीना सुखाये   खाने लगता है या बहुत सारा पानी पी लेता है उसे fever  या वमन (vomit ) हो जाता है !
इसीलिए खाना सही समय पर ,सही तरीके से और सही मात्रा मे खाना चहिये !

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