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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

इस साल तो पा ही लें ........







                                इस साल तो पा ही लें .........


दोस्तों ,

आप सभी को नव-वर्ष 2013 की अनेकों शुभ-कामनाएं .........

दुआ है ...

ये नव-वर्ष जीवन में .....

उमंग , उत्साह ,खुशियाँ ,सफलता ,धन , समृद्धि  और संतोष लेकर आये  !

दोस्तों ,

हर व्यक्ति के जीवन में हर साल  2 ऐसे दिन आते हैं ,जब वो अपने अतीत को देख अपने भविष्य की योजनाओं का निर्धारण करता है ! एक तो स्वयं उसका जन्मदिन और दूसरा नए साल का पहला दिन !

हम हर नए साल के लिए कुछ संकल्प लेते हैं ! हर जाते साल के आखिरी दिनों में हमें बड़ा अफ़सोस होता है ,उन कामों के लिए जो हम नहीं कर पाये ,वो लक्ष्य जो अपने आलस ,लापरवाही ,दीर्घसूत्रता  की वजह से नहीं हासिल कर पाए !  हमें साल के अंतिम दिन बड़ी ग्लानी होती है की पूरा साल जाया कर दिया ! ऐसे ही गँवा दिया ! बहुत कुछ था जो हम थोड़ी सी भी मेहनत करते तो पा सकते थे ! ऐसे मे हम थोड़े दार्शनिक हो जाते हैं ! है ना ?

लेकिन तभी हमारा मन हमें बहला देता है की इस साल हम कुछ नहीं कर पाए तो कोई बात नहीं , नया साल आ रहा है ना !  इस नए साल मैं जिंदगी में बहुत कुछ करूँगा ,बहुत से लक्ष्यों को हासिल करूँगा ,ये करूँगा ,वो करूँगा ..........!


फिर मन हमको आत्मसंतुष्टि   के सफ़र पर ले जाता है ! मन अनेकों कल्पनाएं करता है ,नए साल के नए नए मंसूबे बांधता है !
 हम अपने ख्यालों में ही  अपने आने वाले साल के लक्ष्य सोच लेते हैं ! फिर मन ही मन हम संतुष्ट भी हो लेते हैं ,की चलो 
अगले साल के लिए कितना सारा  काम ,कितने सारे लक्ष्य इकट्ठे कर लिए हैं ! 
 हम में से अधिकतर लोग अपने अगले साल के लक्ष्य निर्धारित कर के ही संतुष्ट हो जाते हैं , हमारा मन हमें वहीँ आत्मतृप्ति दे देता है की देखो  कितना काम (?) कर लिया ! चलो अब चैन से सोते हैं !


हमें,हमारी आत्मा को जो थोड़ी देर पहले अपना समय ,अपना साल जाया करने की ग्लानी हुई थी ,जिससे सबक लेकर हम अपने अगले वर्ष के लक्ष्यों की प्राप्ति  हेतु पूरी तरह जुट सकते थे ! मन उस ग्लानी रुपी चिंगारी को अपने आत्म तृप्ति के भुलावे से बुझा देता है ! है ना ?


हम सभी के मन में अनेकों (हजारों ) कल्पनाएं उठती हैं ! उन कल्पनाओं में से कुछ (सेंकडों ) विचारों में परिणित होती हैं ! उन विचारों में से भी मात्र 2-4 % ही संकल्प में तब्दील होती  हैं ! और उन मानसिक 2-4 % संकल्पों में भी मात्र 1 या 2 % ही कर्म में परिणित हो पाती हैं ! हम सोचते तो लाख की हैं ,पर करते एक के लिए भी मुश्किल से ही हैं !


  • कल्पना --->  विचार --->  संकल्प  ---> कर्म  ---> लक्ष्य  प्राप्ति 


हर साल बहुत उमंग ,उत्साह से हम अपने लक्ष्यों की list बनाते हैं , बहुत कुछ निर्धारण करते हैं  की नए साल में ये सब करना है , फिर करना शुरू करते भी हैं  लेकिन अधिकतर के लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न जनवरी के ही ख़त्म होते होते दूध के उफान की तरह ठंडा हो जाता है ! है ना ?

फिर भी बीच-बीच में हमारा हृदय हमें याद दिलाने की कोशिश भी करता है ,की सावधान ,समय बेकार जा रहा है ,कुछ करो भाई ?
लेकिन हमारा मन हमें तुरंत ही बहला देता है ,अरे ! ऐसी भी क्या जल्दी है ,अभी तो पूरा साल पड़ा है ,कर लेंगे .......!
फिर पता पड़ता है किसी दिन ,की अरे आज तो 31 दिसम्बर हो गया और हम वहीँ के वहीँ ! इस साल कुछ ख़ास हासिल ही नहीं कर पाए ! फिर वही  क्षणिक ग्लानी ,फिर वही  मन का बहलाना , और यही चक्र अधिकतर व्यक्तियों के जीवन में जीवन पर्यंत चलता है !  है ना ?

दोस्तों आइये इस नए साल में इस चक्र को तोड़ें ! अपने मन की बातों में न आयें ! लक्ष्य कम लेकिन ठोस बनाएं ! और कोशिश करें की नए साल में हम अपनी मेहनत ,नियमितता और एकाग्रता से उन लक्ष्यों को हासिल कर ही लेंगे !

तो देर किस बात की .......लीजिये डायरी -पेन  और लिख डालिए वो लक्ष्य  जिन्हें नए साल में आप हासिल कर के ही रहेंगे !

पुनः आप सभी को नव-वर्ष 2013 की मंगल-कामनाएं ..........


डॉ नीरज यादव 



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गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

कैसा हो जीवन लक्ष्य ?





                       कैसा हो जीवन लक्ष्य ?



दोस्तों ,

हमारा जीवन कैसा होगा ये हमारे निर्धारित किये गए लक्ष्य पर निर्भर करता है !  जैसा हमारा लक्ष्य होगा ,वैसा ही हमारा जीवन होगा ! क्षण -भंगुर लालसाओं को और उनसे मिलने वाली क्षणिक तृप्ति को हम जीवन का लक्ष्य नहीं बना सकते ! अगर हम पानी के बुलबुलों को अपना लक्ष्य बनाएगे  तो जीवन में कुछ हाथ नहीं आएगा ! 

लक्ष्य तो चट्टान की तरह अडिग और मजबूत होने चहिये ! लक्ष्य को पर्वत-शिखर की तरह ऊँचा  और विशाल होना चाहिये ,जिसे परिस्थितियों की आंधी ,धुंध,और तूफ़ान डिगा  न सकें ,जो हमें घनघोर बारिश में भी स्पष्ट रूप से दिखता  रहे !


एक बार एक छोटी सी चिड़िया को आसमान में चमकता एक छोटा बादल  का टुकड़ा दिखा , चिड़िया ने सोचा - चलो में उस बादल  को छु लूँ !  ऐसा सोच बादल  को अपना लक्ष्य बना वो बादल की तरफ उड़ चली , जैसे ही वो बादल  के समीप पहुंची ,बादल  हवा के झोंके से दूसरी  तरफ चला गया , चिड़िया ने फिर उसकी तरफ उड़ान भरी ! लेकिन बादल भी हवा में अठखेलियाँ करता हुआ कभी पूर्व तो कभी पश्चिम में जाने लगा !  वो चिड़िया के साथ आँख-मिचोली खेलने लगा ! तभी हवा का एक झोंका आया और उस बादल को हवा में ही छितरा दिया !  अपनी पूरी कोशिशो के बाद भी चिड़िया उस बादल तक नहीं पहुँच सकी ! उसने सोचा की जिस बादल को पाने के लिए वो अपनी जान लगा कर मेहनत  कर रही थी उसका तो अब अस्तित्व ही नहीं है !

उसे अपनी भूल का अहसास हुआ ,उसे समझ आया की अगर लक्ष्य बनाना ही है तो क्षण-भंगुर बादलो को नहीं ,बल्कि पर्वत की विशाल चोटियों को बनाना चहिये !

हम भी अपने जीवन में छोटे छोटे लक्ष्य बना लेते हैं !  कभी कोई मोबाइल ,कोई bike  ,कोई कार पाना ,या किसी क्लास में पास होना ही हमारा लक्ष्य बन जाता है ! ठीक है ,लेकिन उसके बाद ??  मोबाइल या कार खरीद कर फिर ?  फिर हम और महंगे मोबाइल या और अच्छे ब्रांड के मोबाइल या कार को अपना अगला लक्ष्य बना लेते हैं !और ये सिलसिला ऐसे ही जीवन पर्यन्त चलता रहता है !

अंत में हमें लगता है की जहाँ हम एक लम्बी छलांग लगा सकते थे ,वहीँ  हमने पूरी जिंदगी छोटे छोटे कदम चल कर ही निकाल दी ! है ना ?
दोस्तों लक्ष्य हमेशा बड़ा बनाइये ,फिर चाहे उसे छोटे छोटे हिस्सों में बाँट लीजिये ! उससे उसे पाने में सुविधा रहेगी !

लक्ष्य को बनाने के पहले हमें ये पता होना चहिये की क्या है हमारे जीवन का लक्ष्य? और जब एक बार ये पता लग जाये तब हमें फिर ये प्रयास करना चहिये की कैसे हासिल करें अपने जीवन का लक्ष्य !



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शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

pt.shriram sharma acharya prayer quotes in hindi







प्रभु, तुम्हारा विश्वास शक्ति बने ,याचना नहीं ....


  • हे प्रभु ! मेरी केवल यही कामना है की में संकटों से घबरा कर भागूं नहीं ,उनका सामना करूँ !  इसलिए मेरी ये प्रार्थना नहीं है की संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो ,बल्कि में तो इतना ही चाहता हूँ की तुम ,मुझे उनसे जूझने का बल दो !

  • मैं ये भी नहीं चाहता की जब दुःख -संताप से मेरा चित्त व्यथित हो जाए ,तब तुम मुझे सांत्वना दो ! मैं अपनी अंजलि के भाव -सुमन तुम्हारे चरणों में अर्पित करते हुए इतना ही मांगता हूँ की तुम मुझे अपने दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति दो !

  • जब किसी कष्ट दायक संकट की घडी में मुझे कहीं से कोई सहायता न मिले तो मैं हिम्मत न हारूँ !  किसी और स्रोत से सहायता की याचना न करूँ ,न उन घड़ियों में मेरा मनोबल क्षीण होने पाए !

  • हे प्रभो ! मुझे ऐसी द्रढ़ता और शक्ति देना  जिससे की मैं कठिन से कठिन घड़ियों में भी ,संकटों और समस्याओं के सामने भी दृढ रह सकूँ और तुम्हें हर पल अपने साथ देखते हुए  मुसीबतों ,परेशानियों को हंसी खेल समझ कर अपने मन को हल्का रख सकूँ ! मैं बस यही चाहता हूँ !

  • मेरे आराध्य ! तुम्हारा विश्वास हमेशा मेरे ह्रदय -मंदिर में दीपशिखा की तरह अखंड ,अविराम प्रज्वलित रहे ! मेरे प्रारब्ध के प्रबल झंझावत ,परिस्थितियों की भयावह प्रतिकूलताएँ ,स्वयं मेरी अपनी मनोग्रंथियाँ इस ज्योति को बुझा तो क्या ,कंपा भी ना सकें !

  • विश्वास की ये ज्योति हर पल मेरे अस्तित्व में आत्मबल की उर्जा और तात्कालिक सूझ का प्रकाश उड़ेलती रहे ! यह विश्वास मेरे लिए शक्ति बने -याचना नहीं ,संबल बने -क्षीणता नहीं !

  • कहीं ऐसा न हो की स्वयं के तमो गुण से ,आलस से घिर कर ,तुम्हारे विश्वास का झूठा आडम्बर रख कर  कर्म से विमुख हो जाऊं ,अपने कर्त्तव्य से मुख मोड़ लूँ !

  • चाहे जैसी भी प्रतिकूलताएं हों लेकिन प्रभु मुझे इतना कमजोर मत होने देना की मैं आसन्न संकटों को देख कर हिम्मत हार बैठूं और ये रोने बैठ  जाऊं की अब क्या करूँ ,मेरा सर्वस्व छिन गया !

  • मैं न अहंकारी बनूँ और न ही अकर्मण्य !  स्वयं को तुम्हारे चरणों में समर्पित करते हुए मेरी इतनी ही चाहत है की जीवन संग्राम में रणबांकुरे योद्धा की तरह जुझारू बनूँ !  तुम्हारे विश्वास की शक्ति से भयावह संकटों के चक्रव्यूहों का बेधन करूँ ,उन्हें छिन्न-भिन्न करूँ !

  • प्रभु ! तुम्हारा विश्वास मेरे लिए वीरता का पर्याय बने , आलस्य नहीं ! वीरता का संबल बने ,आतुरता का आकुलाहट नहीं ! बस इतनी ही कृपा करना !


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रविवार, 16 दिसंबर 2012

advice for just married couple,in hindi...






नवविवाहितों के लिए जरुरी सलाह .....

दोस्तों ,कई दिनों से सोच रहा था ,की इस topic पर लिखूं या नहीं ? , असमंजस में था ! लेकिन पिछले दिनों एक केस ने मुझे इस topic पर लिखने के लिए प्रेरित किया !

पिछले दिनों एक young couple मेरे पास आया ! लड़का well educated , professional और लड़की भी post graduate थी ! लड़का 27 और लड़की 23 साल के थे ! दोनों ही एक बड़े शहर के रहने वाले थे ! और उनकी अभी 4-5 महीने पहले ही शादी हुई थी !
दोनों अपने वैवाहिक जीवन से खुश होते हुए भी संतुष्ट नहीं थे ! वो दोनों भले ही बहुत पढ़े -लिखे , modern थे ,लेकिन उनके बहुत सारे व्यक्तिगत सवाल थे जो शारीरिक संबंधों के बारे में उनकी अनभिज्ञता को बतला रहे थे !

वो आपस में संतुष्ट होना चाहते हुए भी संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे   क्योंकि उनके आस-पास के लोग   (दोस्त,सहेली ....movies ?,books )उन्हें गलत और भ्रमित करने वाला ज्ञान दे रहे थे !

दोस्तों ,
आज का topic थोडा bold पर जरुरी है ,मेरी कोशिश रहेगी की शालीन शब्दों में अपनी बात आप तक पहुंचाऊं ! और जो just married couple हैं उनके संशयों और doubts को थोडा दूर कर सकूँ !

नई-नई शादी लड़का-लड़की के जीवन में एक अलग अहसास लाती है ! एक अलग ही रूमानियत ,उत्तेजना ,ख़ुशी ,थोडा डर ,झिझक और अपने साथी के शरीर और मन को जानने की उत्सुकता एक अलग ही रूमानी दुनिया का निर्माण करते हैं !
शादी के शुरू में अधिकतर जोड़े अपने साथी के रसायन और भूगोल को समझने में इतनी व्यग्रता से डूब जाते हैं की अधिकतर उस जोश में अपना होश भूल जाते हैं !

हमारे शास्त्रों में भी धर्म ,अर्थ,काम  और मोक्ष ये 4 पुरुषार्थ कहे गए हैं ! और मोक्ष के पहले काम (सेक्स) को स्थान दिया गया है !सही और मर्यादाओ में रहकर किया गया काम खुद आपके मोक्ष की सीढ़ी होता है !

हमारे भारतीय समाज में सेक्स को taboo माना जाता है ! कुछ लिहाज ,कुछ शर्म ,थोड़ी झिझक  कई कारणों से हम आपस में इसकी चर्चा नहीं करते हैं ! लेकिन फिर भी चोरी-छिपे अपने दोस्तों से ,सड़क छाप किताबों से movies और इन्टरनेट की कई sites से हम इसके बारे में जानकारी लेने का प्रयास करते   हैं !
हम जानना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर पूछ नहीं पाते ! यह भी नहीं पता होता की पूछें किससे ? ऐसे में हम अपने दोस्तों या सहेलियों से अपनी query करते हैं जो की खुद हमारी तरह ही अनजान और उत्सुक हैं ,इस बारे में किसी से जानने के लिए !
तो ऐसे में फिर होता ये है की एक अँधा व्यक्ति दूसरे अंधे व्यक्ति से रास्ता पूछता है दूसरा पहले से पूछता है और फिर दोनों ही रास्ते से भटक जाते हैं ,है ना ?
अधिकतर ऐसा ही होता है !

मेरे पास जो couple आया था ,वो दोनों ही शारीरिक क्रिया कलापों में पूर्ण होते हुए भी असंतुष्ट और परेशान थे ! कारण था ,ऐसे में जो की अधिकतर होता है ,लड़के के दोस्त और लड़की की सहेलियां ,भाभीयां   जो ऐसे में किसी senior और expert से कम नजर नहीं आते हैं !
ज्यादा विस्तार के भय से संक्षेप में अपनी बात कहने की कोशिश करूँगा !

कुछ सलाह नवविवाहित couple के लिए ----

दोस्तों , 
कभी अपने दोस्तों ,सहेलियों की sex releted सलाह को ज्यादा seriously मत लीजिये ! अधिकतर उनकी ये सलाहें बड़ा चढ़ा कर कही गई होती हैं !
मेरे उस मरीज की पत्नी के मन में ये बात बेठ  गई थी ,जो की उसकी शादी शुदा सहेली ने कही थी की 'उसके पति ने पहले ही दिन ,माफ़ करना रात को उसे रात भर सोने ही नहीं दिया ,वगेरह-वगेरह .........

दोस्तों ,एक साफ़ बात --- बंद कमरे का अफसाना ,किसने जाना ?? है ना ? 
सिर्फ इस बात से वो  लड़की अपने पति के साथ सहज सम्बन्ध होते हुए भी मानसिक रूप से सहज नहीं हो पाती है क्योंकि उसके मन में ये धारणा बन गई है  की --- सम्बन्ध वही ,जो रात भर चले ....!
जबकि हम सब जानते हैं की ये सही और व्यावहारिक नहीं है !

आपकी शादी की रात आपके दोस्त वगेरह अपने आप को expert जतलाने ,अपनी मर्दानगी ?? की कहानियां सुनाने या अपना लोहा मनवाने के लिए जरुरत से ज्यादा बड़ा-चढ़ा कर उनके खुद के किस्से सुनाते हैं !  जो की नए नए जोड़े को और मानसिक रूप से घबरा देते हैं !  इसलिए दोस्तों की सलाह दोस्तों तक !

खाना खाने से आपका पेट भरा या नहीं ,ये कोई दूसरा आपको नहीं बताएगा ,आप स्वयं ही महसूस कर लेंगे ,है ना ?
तो फिर आपके संबंधों से हुयी अनुभूति ,तृप्ति का अनुभव खुद अपने मन और शरीरों को ही करने दीजिये ! किसी दुसरे की राय की हड्डी को ऐसे रूमानी समय में ,अपने बीच में मत लाइये !

उस कपल ने शादी के 4 महीनों में ही पति ने पत्नी को 2-3 बार emergency pills खिला  दी थीं ,अनचाहे गर्भ के डर से !
दोस्तों ,यहाँ में एक बात साफ़ तोर पर आपको कह देना चाहता हूँ की आप जोश में कभी होश मत खोइएगा ! जाहिर है नया जोड़ा कुछ ,महीनो या सालों अकेले रहना चाहता है ! एक दुसरे को पूरी तरह समझना चाहता है ! फ्री रहना चाहता है ! ऐसे में बच्चा उसे किसी अनचाही जिम्मेदारी से कम नहीं लगता !

लेकिन पूरी सावधानी रखने पर भी कभी कभी देवयोग से ऐसा होता है की पत्नी की date (menses ) नहीं आती है ! फिर दोनों tension में आ जाते हैं ! घर वालों को पता चले उसके पहले ही कोशिश होती है की तुरंत menses कैसे भी आ जाए ,वरना घर वालों को अगर पता चल गया तो पोते -पोती की ख़ुशी में वो इसे carry करने को कहेंगे ! फिर हमारी आजादी में खलल पड जाएगा ! है ना ?
ऐसे बहुत सारे case देखे हैं ,जिसमे शुरू में couple बार बार रुकने वाले  अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहता है ! फिर कुछ समय बाद जब "काम ज्वर" का खुमार कम होता है तब वो बच्चा पैदा करना चाहता है ! लेकिन तब उन्हें पता पड़ता है की किसी  complication की वजह से गर्भ नहीं ठहर पा रहा है ,या बच्चा नहीं हो पा रहा है ! फिर शुरू होते हैं infertility centers के चक्कर ,है ना ?

एक शेर मुझे याद आ रहा है -----
कुछ ऐसे भी मंजर हैं ,तारीख की नजरो में ,
लम्हों ने खता की थी ,सदियों ने सजा पायी !

आप समझ गए होंगे ,जो मै कहना चाह रहा हूँ ! अपने 2 minute के मजे के लिए अपने भविष्य को दाँव पर मत लगाइए !

वैसे भी शादी का मुख्य मकसद है  अपना कुलदीपक (लड़का /लड़की दोनों ) पैदा करना ! किसी भी लड़की की सम्पूर्णता तो माँ बनने में ही होती है !
sex क्रिया का main product तो child ही होता है , pleasure  या enjoyment तो by -product होता है !

एक बात और दोस्तों ,कभी किसी sex video ,या net video से बहुत प्रभावित मत होईये ! क्योंकि picture और यथार्थ में बहुत अंतर होता है !  फिर वो चाहे action movie हो या adult और porn movie .

रजनीकांत को robot movie सिर्फ एक movie  ही है ,यथार्थ में ऐसा होना संभव नहीं है , है  ना ??
इसलिए adult और porn movie को या किताबी ज्ञान को अपने संबंधों की कसोटी मत बनाइये ,वो यथार्थ नहीं है ! यथार्थ तो वो है ,जो आपके सामने है --आपका साथी ,उसका साथ ,है ना ??
दोस्तों बहुत सारी  बातें दिमाग में आ रही हैं ,आपके साथ बांटने के लिए ! पर चूंकि लेख लम्बा हो रहा है ,इसलिए आज इतना ही .......

एक निवेदन ---- मैंने यह एक प्रयास किया है ! अगर आपको लगता है ,की इससे आपको कुछ मदद मिलेगी या कहीं  न कहीं ये आपके साथी के साथ आपके संबंधों में सहायक होगा ! तो शालीन शब्दों में बताइयेगा जरूर !
मुझे आपके comments का इन्तजार रहेगा !

डॉ नीरज यादव 
MD(ayurveda)

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शनिवार, 8 दिसंबर 2012

कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............






                 कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............


दोस्तों ,

जीवन को उन्मुख होकर संसार की लहरों में बहने दीजिये ! कभी लहर आप पर होकर गुजरेगी ,कभी आप लहरों पर उतराएंगे ! लेकिन समुद्र की गोद में उसकी लहरों से खेलने का साहस -आत्मविश्वास आप में जाग्रत होगा ! 

जो अकेलेपन या पानी में डूब जाने के भय से  पानी में उतरता ही नहीं ,जो इसी सोच विचार में पड़ा रहता है   की क्या करूँ ? कैसे करूँ ? कब करूँ ? मै मंजिल तक कैसे पहुंचूंगा ? वह कुछ नहीं कर पाता ,उसका विश्वास  मर जाता है ! 

किसी भी कार्य में लगने से पहले ही जिनके संकल्प अधूरे रहते हैं ,जो संशय में पड़े रहते हैं ,वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते ! और अगर कुछ करते भी हैं ,तो उसमे असफल ही होते हैं ,जिसके कारण उनका रहा सहा विश्वास भी मर जाता है !

दोस्तों ,अगर अपना आत्मविश्वास बढाना है  तो उस काम में जी जान से जुट जाइये जो आपको हितकर लगता है ,जिसे आप अच्छा समझते हैं ,उस काम को अपने जीवन का स्वभाव का एक अभिन्न अंग बना लीजिये ! इससे आपके विशवास को बल मिलेगा !

लेकिन इस मार्ग में एक खतरा है ---वह है  ,सफलता -असफलता में अपना संतुलन खो बैठना !   इसके लिए जरुरी है की आप सफलता -असफलता ,हार जीत को गोण मानकर उस कार्य को प्रधान मानें !  कर्म की ये निरंतर साधना ही आपमें विश्वास का अविरल स्त्रोत खोज निकालेगी !

अपने आपको भाग्यशाली ,महत्वपूर्ण समझने वालों को संसार भी रास्ता देता है ! ये भावना अपने अन्दर कूट कूट कर भर लें की आपको किसी महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही इस धरती पर भेजा गया है ! आप अवश्य उस काम को करेंगे ,जरूर करेंगे आखिर आप उस परम शक्ति के अंश जो हैं ! इसी महान श्रद्धा के बल पर आप क्या से क्या बन सकते हैं !

समाज की ,संसार की घर-परिवार की ,पड़ोस की राष्ट्र की किसी भी महान कार्य की जो कोई भी जिम्मेदारी आप पर आयें ,उन्हें सहर्ष स्वीकार कीजिये ! जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाने का संकल्प ही आपके आत्म-विश्वास को बढाने का आधा काम पूरा कर देता है !

ध्यान रखिये --संसार में ऐसा कोई भी काम नहीं ,जिसे आप  जी हाँ आप, ना कर सकते हों !

फिर आप जिम्मेदारियों से क्यों डरते हैं ,क्यों झिझकते हैं ? इसलिए जिम्मेदारियों को निभाना सीखिए ! काम करने से ही अपनी कर्मठता ,अपनी शक्तियों पर विश्वास होता है !

 तो उठिए जुट जाइए अपने काम में ! और हाँ ,वो काम पहले कीजिये जिसे करने में आप घबराते हैं ,झिझकते हैं !  कोशिश तो कीजिये ,आखिर भगवान् भी उन्ही की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता खुद करते हैं !

उठाइये कागज़ कलम और बनाइये उन कामों की list जो आप करना तो चाहते हैं पर डर,झिझक ,आलस ,आत्मविश्वास की कमी की वजह से कर नहीं पा रहे हैं ,फिर वो चाहे english सीखना हो ,dance सीखना हो ,लोगों के सामने lecture देना हो ,सुबह जल्दी उठना  हो  या और कोई काम जो आपकी जिंदगी को बदलने की क्षमता रखता हो !

जिंदगी भर झिझकते रहने से अच्छा है एक बार कूद पड़िये  मैदान में ! या तो आप उस काम को कर ही जाएंगे जिसकी सम्भावना ज्यादा है , -इससे आपको कई फायदे होंगे - पहला आपका वो काम हो जाएगा जो इतने दिनों, सालों से नहीं हो रहा था ! आपका आत्मविश्वास बहुत बढ जाएगा  ! आप अपने उस डर से पार पा जाएंगे जो आपको उस काम को करने से रोक  रहा था ! 

ऊंची कूद का धावक अगर 6 फुट की छलांग सफलतापूर्वक लगा लेता है तो यकीं मानिए उसकी  अगली छलांग 7 फूट से कम नहीं होती है , है ना ?

और मान लीजिये अगर आप उस काम में सफल नहीं भी होते हैं तो भी अपने पीठ थपथपाईए ,आखिर आपने उस काम को करने की कोशिश तो की ,काम एक हो सकता है जिसे हम नहीं कर पाए ,लेकिन उसे करने की हमारी कोशिश तो  असंख्य हो सकती हैं ,है ना ? 

हम ये क्यों मान लेते हैं की अगर एक बार में नहीं हुआ तो होगा ही नहीं !

एक सवाल दोस्तों , आपने  किसी को मोबाइल पर कॉल किया और कॉल नहीं लगा ,लाइन बिजी थी या नेटवर्क नहीं था , तो क्या आपने उस नंबर पर फिर कभी दुबारा कॉल नहीं किया ??,  ये सोच कर की एक बार में कॉल नहीं लगा तो अब क्या लगेगा !  नहीं ना 

दोस्तों जब एक बार कॉल नहीं लगने पर हम उसे तब तक लगाते रहते हैं जब तक उस नंबर से बात नहीं हो जाए  है ना ?

तो फिर जिंदगी के उस अहम् काम को हम सिर्फ एक बार करके ही हताश कैसे हो सकते हैं ? हम क्यों नहीं उसे तब तक करते जब तक की आखिर हमसे वो  हो नहीं जाता ! और दोस्तों एक ही जगह हथोड़ा मारने से तो मजबूत से मजबूत चट्टान भी एक समय बाद टूट जाती है चकनाचूर हो जाती है ! 

तो उठिए जुट पड़िये ,आखिर काम करने से ही तो आत्मविश्वास बढता है ,और आत्मविश्वास बढ़ने  से ही तो असंभव काम संभव हो पाता  है , है ना ?


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ये आर्टिकल पूज्य गुरुदेव के शब्दों और प्रेरणा से  सृजित है ...............

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मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

जीवन में सफलता पाने के सूत्र ....






               जीवन में सफलता पाने के सूत्र ....


दोस्तों ,

जीवन में सफलता पानी है तो उसके लिए प्रबल संकल्प शक्ति और सतत अध्यवसाय एक अनिवार्य शर्त है !

हम हमारे हर  काम में स्वतः ही सफल होते चले जाएंगे ,कोई देवीय अनुकम्पा  किसी के आशीर्वाद से या कुछ तंत्र-मंत्र-कर्मकांड से हम पर बरसती चली जाएगी ,यह आशा करना तो शेखचिल्ली का सपना भर है !

सफलता के मोती यूँ ही धुल में बिखरे हुए नहीं पड़े हैं !  उन्हें पाने के लिए गहरे में उतरने की हिम्मत इकट्ठी करनी होगी , कठोर परिश्रम करने और सतत करते रहने की शपथ लेनी होगी !

कठोर ,दमतोड़ और टपकते स्वेद कणों वाला परिश्रम ही जीवन का सबसे श्रेष्ठ उपहार है ! इसी के फलस्वरूप इस भोतिक जीवन की समस्त सफलताओं -विभूतियों को पाया जा सकता है !

सुअवसर की प्रतीक्षा में बेठे रहना ,कुछ ना कर काहिली में उपलब्ध समय रुपी सम्पदा को गँवा बेठना तो मानव जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता  है !

मेहनत के लिए हर घडी ,हर पल एक शुभ मुहूर्त है ,सुअवसर है !  सस्ती सफलता पाने की ललक के फेर में पड़े रहने से वस्तुतः कुछ भी लाभ नहीं है !   चिरस्थाई प्रगति के लिए  राजमार्ग पर अनवरत परिश्रम और अपराजेय साहस को साथ को साथ लेकर चलना  होगा !

पगडंडीयां या शोर्टकट ढूंढना बेकार है ,वे भटका सकती हैं !  इतिहास में जिन्होंने भी कुछ सफलता पाई है ,जिसे इतिहास में लिखा गया है ,उन्हें गहराई तक खोदने व उतरने के लिए कमर कसनी पड़ी है !

विजय श्री का वरण करने के लिए कमर कसना ,आस्तीन चढ़ाना और खोदने की प्रक्रिया आरम्भ कर देना आवश्यक है ,पर ध्यान ये भी रखा जाना चाहिये की अनावश्यक उतावली से कहीं कुदाली से पैर ही ना कट जाए !

परिस्थितियां ,साधन और क्षमता का समन्वय करके आगे बढ़ना ही समझदारी है ! यही सफलता के लिए अपनाई गई सही रीति -नीति है ! किन्तु यह तथ्य गाँठ बाँध लेना चाहिये की सफलता केवल समझदारी पर ही तो निर्भर नहीं है , उसका मूल्य माथे से टपकने वाले श्रम -सीकरों से ही चुकाना पड़ता है !


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दोस्तों , ये आर्टिकल पूज्य गुरुदेव के ज्ञान के सागर की कुछ बूंदें हैं !

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मंगलवार, 27 नवंबर 2012

सूरज की चाह रखो ,चाँद तो मिल ही जाएगा





                                    सूरज की चाह रखो ,चाँद तो मिल ही जाएगा 

एक बार सागर ने एक खाली तालाब से पूछा,"बोल कितना पानी चाहिये ?"  तालाब बोला ,महाराज ,इतना तो दे ही देना की मेरे पेंदे की मिटटी  गीली हो जाए !
सागर  हंसा ,बोला "अरे बावरे , तू चाहता तो मै तुझे एक छोटा सागर बना देता ! पर तेरी चाह (इच्छा ) ही बहुत छोटी है !  अरे ,ज्यादा नहीं तो अपने आप को लबालब पानी से भरने की इच्छा तो रखता !
मैं तो दिल खोल कर देने को तैयार था !  मेरा मन था आज  अपना अनुदान तुझ पर  लुटाने का !  पर तुमने तो अपनी झोली भी पूरी नहीं फैलाई ! अब मैं अपनी अनुग्रह की बारिश भी कर दूँ ,तो भी तुम पाओगे तो उतना ही  जितनी तुमने झोली फैलाई है ! 

दोस्तों ,वो तालाब हम ही हैं ,सागर है  परमात्मा (अवसर )!   हम इच्छा भी बड़ी कंजूसी से करते हैं !  ये दुनिया का नियम है की हम जो चाहते हैं ,उससे कम ही पाते हैं !   एक विद्यार्थी 100% no. लाने की चाह रखता है ,उस हिसाब से मेहनत  करता है ! तब भी उसके 80-90%  से ज्यादा no. मुश्किल से ही आ पाते हैं ! 

अब अगर कोई विद्यार्थी केवल 50 % no. की ही चाह रखे ,तो जाहिर है वो मेहनत भी 50% के हिसाब से ही करेगा ! और शायद 45-48% बना भी लेगा ! 

आप किसी ओसत इंसान से पूछिए , जीवन मे कितना कमाना चाहते हो ?  तो अधिकतर का जवाव ये ही होगा , बस  दाल -रोटी अच्छे से चल जाए !  अब जिसने अपना लक्ष्य ही दाल -रोटी तक सीमित कर लिया ,वो उससे ऊपर के लक्ष्य पनीर ,कोफ्ता ,छप्पन भोग को क्या देख पाएगा !

   एक ऊँची कूद का धावक उतनी ही ऊंचाई तक कूद पाता है , जितनी ऊंचाई तक उसका लक्ष्य होता है !  एक फुट के लक्ष्य वाला धावक 7 फुट की छलांग कभी नहीं लगा सकता !  लेकिन 7 फुट के लक्ष्य वाला धावक 7 नहीं तो 6 फुट छलांग तो लगा ही लेगा !

दोस्तों  जिंदगी मे हमेशा सूरज की (श्रेष्ठतम  की ) चाह रखो ,ताकि अगर वो ना भी मिला तो चाँद (श्रेष्ठ ,अच्छा ) तो हाथ आ ही जाएगा !

डॉ. नीरज यादव ,
MD(आयुर्वेद),

बुधवार, 21 नवंबर 2012

सर्दी आई सेहत लाई ..........









                                            सर्दी आई सेहत लाई ..........

सर्दी का मौसम ,शरीर की बेट्री को चार्ज करने का मोसम है !   आयुर्वेद के अनुसार ,विसर्ग काल और शरद हेमंत शिशिर ऋतुएं सहज ही शरीर के बल को बड़ा देती हैं !  इस समय शरीर की जठराग्नि (पेट की अग्नि ) अपनी तीव्रता पर होती है , जिससे वो खाए हुये हर  तरह के गरिष्ठ पदार्थों को सहज ही पचा देती है !  

सर्दी का मोसम सेहत बनाने का मोसम है ! इस समय सही और पोष्टिक  आहार विहार का सेवन और पालन कर हम पूरे  साल के लिए बल और शक्ति का संचय कर सकते हैं !

सर्दी में पालने योग्य कुछ स्वर्णिम सूत्र -----

  • सूर्योदय के पहले उठें ,प्रातः काल किया गया योग ,व्यायाम और प्राणायाम सहज ही शरीर की शक्ति को बड़ा देगा !

  • सर्दी में  शरीर  में वात का प्रकोप और रूखापन दोनों बढ़ते  हैं ,  इसलिए रोज नहीं तो सप्ताह में 2 या 3 बार सारे शरीर  की तिल  या सरसों के तेल से मालिश (अभ्यंग)करें ,थोड़ी देर सुबह की धूप  का सेवन करें फिर कसुने(गुनगुने ) जल से नहाएं !

  • जिस प्रकार लकड़ी को तेल पिलाने से वो मजबूत और लचीली हो जाती है उसी प्रकार अभ्यंग हमारे शरीर को लचीला ,बलवान और कान्तिमान बनाता  है ! मालिश के बाद हलकी धूप का सेवन सहज ही विटामिन D का निर्माण कर देता है जो हड्डियों की मजबूती के लिए जरुरी है ! 

  • नस्य लें ,नहाने के बाद और रात्री में सोने से पहले सरसों या तिल तेल की एक एक बूँद अपनी कनिष्ठा ऊँगली से दोनों नथुनों में लगा लें !

  • नाभि में एक बूँद तेल लगाना आपके होठों को नर्म रखेगा !

  • सर्दी का मुख्य  फल आंवला ,जो की जीवनीय शक्ति का अकूत भण्डार है ,इसका किसी भी रूप में सेवन करें !

  • प्रकृति ने ऋतुओं के हिसाब से ही फलों और सब्जियों की रचना की है ,गाजर ,सेव,अंजीर ,बादाम ,आंवला ,मूली ,मटर, मेथी, पिण्ड खजूर ,अदरक का सेवन भरपूर करें !

  • गाजर का हलवा ,उरद के लड्डू ,बादाम पाक ,असगंध पाक ,च्यवनप्राश ,ब्राह्म रसायन ,हल्दी वाले दूध का सेवन आपकी ताकत और जीवनीय  शक्ति को बढ़ा देगा !
  •    तिल  और इसके बने पदार्थों का सेवन शरीर  की आंतरिक शक्ति और स्निग्धता को बढ़ा  देगा !

  • सर्दी में बहुत ज्यादा गर्म जल से स्नान नहीं करें !यह शरीर की प्राकृतिक स्निग्धता को कम कर रूखापन बढ़ा देगा !                                    
  • नहाते समय कभी सर पर गर्म जल नहीं डालें !

  • अच्छे च्यवनप्राश का सही सेवन  ना सिर्फ आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा देगा ,बल्कि  एलर्जी   से आये दिन होने वाले जुकाम ,खांसी आदि रोगों से भी मुक्त रखेगा !    च्यवनप्राश एक रसायन है ! प्रातः काल लिया गया च्यवनप्राश सारे दिन शरीर में स्फूर्ति और शक्ति का संचार करता है !

  • सर्दी में रुखा ,हल्का ,ठंडा भोजन ,भूखा रहना ,ठन्डे जल से स्नान ,और दिन में सोना त्याग देना चाहिये !

डॉ नीरज यादव 
MD(आयुर्वेद )

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

आ से आंवला ,आ से आरोग्य







                     आ से आंवला ,आ से आरोग्य 

हमारे देश में बहुतायत से मिलने वाला फल ,जिसे धात्रीफल ,अमृत फल भी कहते हैं !  अमृत  जिसके सेवन से देवता अमर और चिरयुवा हो गए !  और इस अमृत फल के सेवन से वृद्ध च्यवन ऋषि पुनः युवा हो गए थे ! आयुर्वेद के अनुसार ये त्रिदोषनाशक है ! इसके गुण इसके अमृत फल नाम को सार्थक करते हैं !


  • वय स्थापक (शरीर को युवा रखने वाले ) द्रव्यों में यह सर्वश्रेष्ठ है !  यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है ! आंवले में नारंगी से 20 गुना अधिक vitamin c होता है !  यह एक बेहतर antioxident है जो शरीर  को युवा और स्वस्थ रखता है !


  • आंवला एक उत्तम रक्तशोधक है !     खून में जमा हुए विजातीय तत्वों को दूर करता है !  इसलिए   रक्तविकार (फोड़े-फुंसी )  नाशक है !


  •  यह  एक श्रेष्ठ रसायन है ,जो शरीर  की कोशिकाओं को लम्बे समय तक स्वस्थ और युवा रखता है !  इसका सेवन बालों एवं आँखों  के लिए लाभकारी है !

  • शारीर में महसूस होने वाली झूठी गर्मी ,दाह (acidity ),और पुरुषों में वीर्य की गर्मी को दूर करता है !

  • इसके रस को मिश्री के साथ लेने से गुर्दों में जमा मल  दूर होता है !


  • शरीर में होने वाली थकान ,विबंध (constipation),यकृत विकार ,महिलाओं में अत्यधिक रक्तस्राव ,प्रदर ,गर्भाशय की दुर्बलता और पुरुषों में प्रमेह और शुक्रमेह को दूर करता है !  पोरुष को बढाता  है !


  • आंवला सुप्रसिद्ध योग च्यवनप्राश और त्रिफला का मुख्य घटक है !


  • चूर्ण,मुरब्बा ,केन्डी ,आमलकी रसायन ,स्वरस(मिश्री या शहद मिला कर ) ,च्यवनप्राश किसी भी रूप में इसका सेवन किया जा सकता है !

तो आइये इन सर्दियों में आंवला खाएं ,आरोग्य पाएं !
                         
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डॉ नीरज यादव ,
M .D .(Ayurved)

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सोमवार, 12 नवंबर 2012

happy diwali....in hindi



 दीपक का संकल्प ...



दोस्तों ,

आप सभी Achhibatein के पाठकों और प्रियजनों  को ...

दीपावली की अनेकों शुभ कामनाएं .............

दुआ है ...

रौशनी का ये पर्व जीवन में ....

उजाला ,खुशियाँ ,उमंग ,सुख ,समृद्धि और संतोष लेकर आये .........

आइये ,
अँधेरे की इस रात में हम भी दीपक सा एक संकल्प करें ...........अँधेरा मिटाने  का , रौशनी को फेलाने का !  
अपनी दुर्बलताओं ,डर ,भय ,तनाव के अन्धकार को   अपने  विवेक ,विश्वास और पुरुषार्थ के प्रकाश से मिटाने  का !







                                 दीपक का संकल्प 

ढल चुका  था सूरज ,अन्धकार था छाया !
तम  ने अपना रूप बढ़ा ,अपने को सर्वत्र फेलाया !

हर  तरफ घनघोर कालिमा ,कर को कर ना सूझ रहा था !
कौन  लड़े इस घनघोर तिमिर से ,हर कोई यह सोच रहा था !

सबने अपने पाँव थे खींचे ,सबने अपने को सिमटाया !
उस तम से लड़ने को  किन्तु ,कोई भी आगे ना आया !

अट्टहास कर हंसा फिर तिमिर ,प्रकाश को उसने था दबाया !
सर्वत्र छा गई फिर कालिमा .हर तरफ अँधेरा था छाया !

उसी समय कहीं दूर धरा पर , छोटा सा एक दीप जला !
दूर करने तम  की सत्ता को , तम से फिर वो सतत लड़ा !

दूर हुआ अन्धकार धरा से ,दूर हुई तम  की कालिमा !
छाया फिर नव प्रकाश धरा पर ,फैल गई सर्वत्र लालिमा !

जब तक उदित ना होगा सूरज ,तब तक मै स्वयं सतत जलूँगा !
नहीं बढेगा अब अँधियारा ,अन्धकार से सतत लडूंगा !

डॉ. नीरज यादव .... 
बारां 

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बुधवार, 7 नवंबर 2012

अवधूत दत्तात्रेय के गुरु





                            अवधूत दत्तात्रेय के गुरु

दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने दत्तात्रेय के 12 गुरु के बारे में जाना , आइये बाकी बचे 12 गुरु को भी जाने और उन्हें अपने जीवन में माने भी --


  • मधुमक्खी -- फूलों का मधुर रस संचय कर दूसरों के लिए समर्पित करने वाली मधुमक्खी ने मुझे सिखाया की मनुष्य को स्वार्थी नहीं परमार्थी होना चाहिये !


  • भौंरा -- राग में आसक्त भोंरा अपना जीवन -मरण न सोच कर कमल पुष्प पर ही बैठा  रहा ! रात को हाथी ने वो पुष्प खाया तो भोंरा भी मृत्यु को प्राप्त हुआ ! राग  ,मोह में आसक्त प्राणी किस प्रकार अपने प्राण गँवाता है ! अपने गुरु भोंरे से यह शिक्षा मैंने ली !


  • हाथी -- कामातुर हाथी मायावी हथनियों द्वारा प्रपंच में फँसा  कर बंधन में बाँध दिया गया  और फिर आजीवन त्रास भोगता रहा ! यह देख कर मैंने वासना के दुष्परिणाम को समझा और उस विवेकी प्राणी को भी अपना गुरु माना ?


  • हिरण (मृग)-- कानों के विषय में आसक्त हिरन को शिकारियों के द्वारा पकडे जाते और जीभ की लोलुप मछली को मछुए के जाल में तड़पते देखा तो सोचा की इंद्रियलिप्सा के क्षणिक आकर्षण में जीव का कितना बड़ा अहित होता है ,इससे बचे रहना ही बुद्धिमानी है ! इस प्रकार ये प्राणी भी मेरे गुरु ही ठहरे !


  • पिंगला वेश्या -- पिंगला वेश्या जब तक युवा रही तब तक उसके अनेक ग्राहक रहे ! लेकिन वृद्ध होते ही वे सब साथ छोड़  गए ! रोग और गरीबी ने उसे घेर लिया ! लोक में निंदा और परलोक में दुर्गति देखकर मैने सोचा की समय चूक जाने पर पछताना ही बाकी रह जाता है ,सो समय रहते ही वे सत्कर्म कर लेने चाहिये जिससे पीछे पश्चाताप न करना पड़े ! अपने पश्चाताप से दूसरों को सावधानी का सन्देश देने वाली पिंगला भी मेरे गुरु पद पर शोभित हुई !


  • काक (कौआ )-- किसी पर विश्वास ना करके और धूर्तता की नीति अपना कर कौवा घाटे  में ही रहा ,उसे सब का तिरस्कार मिला और अभक्ष खा कर संतोष करना पड़ा !यह देख कर मेने जाना की धूर्तता और स्वार्थ की नीति अंतत हानिकारक ही होती है ! यह सीखाने  वाला कौवा भी मेरा गुरु ही है !


  • अबोध बालक -- राग ,द्वेष ,चिंता ,काम ,लोभ ,क्रोध से रहित जीव कितना कोमल ,सोम्य और सुन्दर लगता है कितना सुखी और शांत रहता है यह मैंने अपने नन्हे बालक गुरु से जाना !


  • स्त्री -- एक महिला चूडियाँ पहने धान कूट रही थी ,चूड़ियाँ आपस में खड़कती  थीं ! वो चाहती  थी की घर आये मेहमान को इसका पता ना चले इसलिए उसने हाथों की बाकी चूड़ियाँ उतार दीं और केवल एक एक ही रहने दी तो उनका आवाज करना भी बंद हो गया !यह देख मेने सोचा की अनेक कामनाओ के रहते मन में संघर्ष उठते हैं ,पर यदि एक ही लक्ष्य नियत कर लिया जाए तो सभी उद्वेग शांत हो जाएँ ! जिस स्त्री से ये प्रेरणा  मिली वो भी मेरी गुरु ही तो है !


  • लुहार -- लुहार अपनी भट्टी में लोहे के टूटे फूटे टुकड़े गरम कर के हथोड़े की चोट से कई तरह के औजार बना रहा था ! उसे देख समझ आया की निरुपयोगी और कठोर प्रतीत होने वाला इन्सान भी यदि अपने को तपने और चोट सहने की तैयारी कर ले तो उपयोगी बन सकता है ! 


  • सर्प (सांप)-- दूसरों को त्रास देता है और बदले में सबसे त्रास ही पाता  है यह शिक्षा देने वाला भी मेरा गुरु ही है जो यह बताता है की उद्दंड ,आतताई, आक्रामक और क्रोधी  होना किसी के लिए भी सही नहीं है !


  • मकड़ी -- मकड़ी अपने पेट में से रस  निकाल कर उससे जाला बुन  रही थी और जब चाहे उसे वापस पेट में निगल लेती थी ! इसे देख कर मुझे लगा की हर  इंसान अपनी दुनिया  अपनी भावना ,अपनी सोच के हिसाब से ही गढ़ता है और यदि वो चाहे तो पुराने को समेट  कर अपने पेट में रख लेना और नया वातावरण बना लेना भी उसके लिए संभव है !


  • भ्रंग कीड़ा --भ्रंग कीड़ा एक झींगुर को पकड़ लाया और अपनी भुनभुनाहट से प्रभावित कर उसे अपने जैसा बना लिया ! यह देख कर मेने सोचा एकाग्रता और तन्मयता के द्वारा मनुष्य अपना शारीरिक और मानसिक कायाकल्प कर डालने में भी सफल हो सकता है !इस प्रकार भ्रंग भी मेरा गुरु बना !


24 गुरुओ का वृत्तान्त सुना कर दत्तात्रय ने राजा से कहा  --गुरु बनाने का उद्देश्य जीवन के प्रगति पथ पर अग्रसर करने वाला प्रकाश प्राप्त करना ही तो है ! और यह कार्य अपनी विवेक बुद्धि के बिना संभव नहीं है !  इसलिए सर्वप्रथम गुरु है -विवेक ! उसके बाद ही अन्य सब ज्ञान पाने के आधार बनते हैं !

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रविवार, 4 नवंबर 2012

अवधूत दत्तात्रेय के 24 गुरु ...






              अवधूत दत्तात्रेय के 24 गुरु ...


परम तेजस्वी अवधूत दत्तात्रेय का दर्शन पाकर राजा  यदु ने अपने को धन्य माना और विनयावनत होकर पूछा --" आपके शरीर ,वाणी और भावनाओं से प्रचंड तेज टपक रहा है ! इस सिद्धावस्था को पहुँचाने वाला ज्ञान आपको जिन सदगुरु द्वारा मिला हो उनका परिचय मुझे देने का अनुग्रह कीजिये "!


अवधूत ने कहा --"राजन! सदगुरु किसी व्यक्ति विशेष को नहीं मनुष्य के गुणग्राही दृष्टिकोण को कहते हैं !  विचारशील लोग सामान्य वस्तुओं और घटनाओं से भी शिक्षा लेते और अपने जीवन में धारण करते हैं ! अतएव उनका विवेक बढ़ता जाता है ! यह विवेक ही सिद्धियों का मूल कारण है !

अविवेकी लोग तो ब्रह्मा के समान गुरु को पाकर भी कुछ लाभ उठा नहीं पाते !इस संसार में दूसरा कोई किसी का हित साधन नहीं करता ,उद्धार तो अपनी आत्मा के प्रयत्न से ही हो सकता है !


मेरे अनेक गुरु हैं ,जिनसे भी मैंने ज्ञान और विवेक ग्रहण किया है  उन सभी को मै अपना गुरु मानता हूं !पर उनमे 24 गुरु प्रधान हैं ,ये हैं ---



  • पृथ्वी (धरती )-- सर्दी ,गर्मी ,बारिश को धेर्यपूर्वक सहन करने वाली ,लोगों द्वारा मल -मूत्र त्यागने और पदाघात जैसी अभद्रता करने पर भी क्रोध ना करने वाली ,अपनी कक्षा और मर्यादा पर निरंतर ,नियत गति से घूमने वाली पृथ्वी को मैंने गुरु माना है !


  • वायु (हवा)--  अचल (निष्क्रिय ) होकर ना बेठना ,निरंतर गतिशील रहना ,संतप्तों को सांत्वना देना ,गंध को वहन तो करना पर स्वयं निर्लिप्त रहना ! ये विशेषताएं मैंने पवन में  पाई और उन्हें सीख कर उसे गुरु माना !


  • आकाश (गगन)--  अनंत और विशाल होते हुए भी अनेक ब्रह्मांडों को अपनी गोदी में भरे रहने वाले ,ऐश्वर्यवान होते हुए भी रंच भर अभिमान ना करने वाले आकाश को भी मैंने गुरु माना  है !


  • जल (पानी)-- सब को शुद्ध बनाना ,सदा सरल और तरल रहना ,आतप को शीतलता में परिणित करना ,वृक्ष ,वनस्पतियों तक को जीवन दान करना ,समुद्र का पुत्र होते हुए भी घर घर आत्मदान के लिए जा पहुंचना -इतनी अनुकरणीय महानताओ के कारण जल को मैंने गुरु माना !


  • यम -- वृद्धि पर नियंत्रण करके संतुलन स्थिर रखना ,अनुपयोगी को हटा देना ,मोह के बन्धनों से छुड़ाना और थके हुओं को अपनी गोद में विराम देने के आवश्यक कार्य में संलग्न यम  मेरे गुरु हैं !


  • अग्नि -- निरंतर प्रकाशवान रहने वाली , अपनी उष्मा को आजीवन बनाये रखने वाली , दवाव पड़ने पर भी अपनी लपटें उर्ध्वमुख ही रखने वाली ,बहुत प्राप्त करके भी संग्रह से दूर रहने वाली ,स्पर्श करने वाले को अपने रूप जैसा ही बना लेने वाली ,समीप रहने वालों को भी प्रभावित करने वाली अग्नि मुझे आदर्श लगी ,इसीलिए उसे गुरु वरण कर लिया !


  • चन्द्रमा -- अपने पास प्रकाश ना होने पर भी सूर्य से याचना कर पृथ्वी को चांदनी का दान देते रहने वाला परमार्थी चन्द्रमा मुझे सराहनीय लोक-सेवक लगा !         विपत्ति में सारी  कलाएं क्षीण हो जाने पर भी निराश होकर ना बेठना  और फिर आगे बढ़ने के साहस को बार -बार करते रहना  धेर्यवान चन्द्रमा का श्रेष्ठ गुण कितना उपयोगी है ,यह देख कर मैंने उसे अपना गुरु बनाया !



  • सूर्य -- नियत समय पर अपना नियत कार्य अविचल भाव से निरंतर करते रहना ,स्वयं प्रकाशित होना और दूसरों को भी प्रकाशित करना ,नियमितता ,निरंतरता ,प्रखरता और तेजस्विता के गुणों ने ही सूर्य को मेरा गुरु बनाया 1



  • कबूतर -- पेड़ के नीचे बिछे हुए जाल में पड़े दाने को देखकर लालची कबूतर आलस्यवश अन्यत्र ना गया और उतावली में बिना कुछ सोचे विचारे  ललचा गया और जाल में फँस पर अपनी जान गवां बैठा ! यह देख कर मुझे ज्ञान हुआ की लोभ से ,आलस्य से और अविवेक से पतन होता है ,यह मूल्यवान शिक्षा देने वाला कबूतर भी मेरा गुरु ही तो है !


  • अजगर -- शीत ऋतु में अंग जकड जाने और वर्षा के कारण मार्ग अवरुद्ध रहने के कारण भूखा अजगर मिटटी खा कर काम चला रहा था और धेर्य पूर्वक दुर्दिन को सहन कर रहा था ! उसकी इसी सहनशीलता ने उसे मेरा गुरु बना दिया !



  • समुद्र (सागर) -- नदियों द्वारा निरंतर असीम जल की प्राप्ति होते रहने पर भी ,अपनी मर्यादा से आगे ना बढ़ने वाला ,रत्न राशि के भंडारों का अधिपति होने पर भी नहीं इतराने वाला , स्वयं खारी होने पर भी बादलों को मधुर जल दान करते रहने वाला  समुद्र भी मेरा गुरु है !


  • पतंगा -- लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने प्राणों की परवाह न करके अग्रसर होने वाला पतंगा  जब दीपक की लौ पर जलने लगा तो आदर्श के लिए ,अपने लक्ष्य के लिए उसकी अविचल निष्ठा ने मुझे बहुत प्रभावित किया ! जलते पतंगे को जब मैने गुरु माना तो उसकी आत्मा ने कहा इस नश्वर जीवन को महत्त्व ना देते हुए अपने आदर्श और लक्ष्य के लिए सदा त्याग करने को उद्धत रहना चाहिये !



दोस्तों ,आज बस इतना ही ,बाकी 12 गुरु अगली पोस्ट पर ........     आभार 

एक निवेदन --please comment जरूर कीजिएगा ........

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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

sardar vallabhbhai patel quotes in hindi





लोह पुरुष "सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड  गुजरात में एक गुजरती कृषक परिवार में हुआ था ! आप स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री थे ! देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण आपकी एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी !  बारडोली कसबे में सशक्त सत्याग्रह करवाने के लिए ही आपको सरदार कहा जाने लगा !  15 दिसम्बर 1950 को मुंबई में आपका निधन हो गया !  आप सच्चे अर्थों में स्वतंत्र भारत के निर्माता और राष्ट्र एकता के बेजोड़ शिल्पी थे !

सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल कथन ---

  • जो काम कल करना है ,उसकी बातों में ही आज का काम बिगड़ जाएगा ! और आज के काम के बिना कल का काम नहीं होगा ! आज का काम कीजिये ,तो कल का काम अपने आप हो जाएगा !

  • काम करने में तो मजा ही तब आता है ,जब उसमे मुसीबत होती है ! मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है ! मर्दों का काम है ! कायर तो मुसीबतों से डरते हैं ! लेकिन हम कायर नहीं हैं ,हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये !

  • लोहा भले ही गरम हो जाए ,परन्तु हथोड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिये ! हथोडा गरम हो जाए तो अपना ही हत्था जला देगा ! 

  • मेरी तो आदत पड़ गई है की जहाँ पैर रख दिया ,वहां से पीछे न हटाया जाए !जहाँ पैर रखने के बाद वापस लोटना पड़े ,वहां पैर रखने की मुझे आदत नहीं ,अँधेरे में कूद पड़ने का मेरा स्वभाव नहीं है !

  • अविश्वास भय का कारण है !

  • जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है ,उसी की अहिंसा सच्ची कही जाएगी ! कायरों की अहिंसा का क्या मूल्य ?

  • इंसान जितने सम्मान के लायक हो ,उतना ही उसका सम्मान करना चाहिये ,उससे अधिक नहीं करना चाहिये ,नहीं तो उसके नीचे गिरने का डर रहता है !

  • मान-सम्मान  किसी के देने से नहीं मिलते ,अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं !

  • थका हुआ इंसान दोड़ने लगे ,तो स्थान पर पहुँचने के बजाय जान गंवा बेठता है !      ऐसे समय पर आराम करना और आगे बढ़ने  की ताकत जुटाना उसका धर्म हो जाता है !

  • मुफ्त चीज मिलती है ,तो उसकी कीमत कम हो जाती है ! परिश्रम से पाई हुई चीज की कीमत ही ठीक तरीके से लगाई जाती है !

  • कोशिश करना हमारा फर्ज है ! अगर हम अपने फर्ज को पूरा ना करें तो हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं !

  • बहुत बोलने से कोई लाभ नहीं ,बल्कि हानि ही होती है !

  • जवानी को जाते देर नहीं लगती ,और गई हुई जवानी फिर वापस नहीं आती ! जो मनुष्य जवानी के एक एक पल का उपयोग करता है ,वह कभी बूढा नहीं होता !  सदा जवान बने रहने की इच्छा वाला मनुष्य मरते दम तक अपने कर्त्तव्य पालन में जुटा  रहता है !

  • विश्वास रख कर आलस्य छोड़ दीजिये ,वहम मिटा दीजिये ,डर छोड़िये ,फूट का त्याग कीजिये ,कायरता निकाल डालिए ,हिम्मत रखिये ,बहादुर बन जाइए ,और आत्मविश्वास रखना सीखिए ! इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे ,अपने आप मिलेगा ! दुनिया में जो जिसके योग्य है ,वह उसे मिलता ही है !

  • जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है ,इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती !

  • उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये !

  • कठिनाइयाँ दूर करने का प्रयत्न ही न हो ,तो कठिनाइयाँ मिटें कैसे ?  मुश्किलें दिखते  ही हाथ-पैर बाँध कर बैठ  जाना  और उन्हें दूर करने की कोशिश न करना  निरी कायरता है !

  • यह सच है की पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं ,किनारे खड़े रहने वाले नहीं ! मगर ऐसे लोग तैरना भी नहीं सीखते !

  • हमें गम खाना सीखना चाहिये ! मान-अपमान सहन करने की आदत डालनी चाहिये !

  • अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं ,वह कोई बड़ी बात नहीं ,जिसके लिए हम मगरुरी ले सकें ! क्योंकि जो कुछ हम करते हैं ,उसमे हमारा क्या भाग है ? असल में कराने  वाला तो खुदा है !

  • हमें चिंता कभी नहीं करनी चाहिये ! जितना दुःख भोगना नसीब में लिखा होगा ,उतना भोगना ही पड़ेगा !

  • जीवन में सब दिन एक से नहीं जाते !

  • पिछला दुखड़ा रोना कायरों का काम है ! हिसाब लगा कर मुकाबले की तैयारी करना बहादुरों का काम है !

  • कल हमें कोई मदद देने वाला है ,इसलिए आज बेठे रहे ,तो आज भी बिगड़ जाएगा ,और कल तो बिगड़ेगा ही !

  • भगवान् के आगे झुकना चाहिये ,दूसरों के आगे नहीं ! हमारा सर कभी ना झुकने वाला होना चाहिये !

  • बेकार मत बेठिये ! बेकार बेठने वाला सत्यानाश कर डालता है ! इसलिए आलस्य छोड़िये ! रात-दिन काम करने वाला इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है !


  • बोलने में मर्यादा मत छोड़ना ,गालियाँ देना तो कायरों का काम है !

  • आम का फल समय से पहले तोड़ोगे तो वह खट्टा लगेगा , दांत खट्टे हो जाएंगे ! मगर उसे पकने देंगे तो वह अपने आप टूट जाएगा और अमृत के सामान लगेगा !

  • जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए ,तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये ,यही सच्ची विजय है 

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शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

your health your choice in hindi





मन से करें या बेमन से ,करना तो पड़ेगा ही .....


दोस्तों ,

एक सवाल आपसे ?  आप किसी को रोज 10 रुपये ख़ुशी से देना पसंद करेंगे या किसी दिन कोई आपसे जबरदस्ती 10,000 रुपये ले जाए ! कोनसी  परिस्थिति आप चाहेंगे की आप के साथ हो ?

जाहिर है , आप सभी ख़ुशी से रोज 10 रुपये देना ज्यादा पसंद करेंगे !  है ना ?

तो फिर आप क्यों  नहीं ख़ुशी से रोज 10 मिनट अपने शरीर ,अपनी सेहत के लिए देते ! रोज के 10 मिनट का किया गया ये निवेश आपको स्वस्थ और सेहतमंद रखेगा !

अब आप कहेंगे की 10 मिनट तो हम जरूर दे देंगे  पर हमारे पास इतना काम का बोझ है की हमें 10 मिनट भी हमारे अपने लिए समय नहीं है !

            दोस्तों , ये तो वही  बात हुई की आप अपनी गाडी चलाने  में इतने व्यस्त हैं  की  आपको पेट्रोल भरवाने का भी समय नहीं है ! इसका परिणाम आप जानते ही हैं !  कभी अचानक कहीं रास्ते में आपकी गाडी का पेट्रोल ख़तम हो जाएगा और आपको परेशान हो कर अपनी गाडी को खींच कर पेट्रोल पम्प तक लाना पड़ेगा और पेट्रोल भरवाना पड़ेगा ! है ना ?

तो क्यों ना ,आप पेट्रोल ख़तम होने के पहले ही टेंक full करवा लेते ?

दूसरी बात ,अगर हम रोज अपने शरीर पर ध्यान नहीं देंगे ,उसकी देखभाल नहीं करेंगे तो वह कमजोर होगा ,बीमार होगा ,आपको इशारे देगा की थोडा मुझ पर भी ध्यान दे लो भाई !
लेकिन फिर भी अगर काम की अधिकता ,आलस और लापरवाही की वजह से आप उसके लक्षणों की उपेक्षा करेंगे, तो थक हार कर वो हथियार डाल  देगा !

         आप किसी कमजोर ,थके घोड़े को चाबुक मार कर ज्यादा देर नहीं चला सकते ! एक समय बाद वो सड़क पर ही बैठ जाएगा ,फिर आप चाहे कितना भी चाबुक मारें वो हिलेगा भी नहीं !

उसी तरह शरीर का ध्यान नहीं रखने पर एक समय बाद वो कमजोर हो जाएगा ,बीमार पड़ जाएगा ! तब फिर आपको मजबूरी में hospital भी जाना पड़ेगा ,डॉक्टर  को फीस भी देनी पड़ेगी ,दवा भी खानी पड़ेगी और सारे जरुरी काम छोड़ कर total rest भी करना पड़ेगा ,खर्चा होगा वो अलग ! येही है जबरदस्ती किसी का आपसे 10,000 रुपये लेना !

बीमार होकर भी जब हमें शरीर का ध्यान रखना ही है ,तो क्यों न सेहतमंद रहते हुए ख़ुशी से केवल 10 मिनट रोज देकर अपने शरीर और सेहत का ध्यान रखें !

 मन से करें  या बेमन से ,करना तो पड़ेगा ही ....आखिर सेहत का सवाल है ! है ना ?

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